BREAKING | सुप्रीम कोर्ट का मनी लॉन्ड्रिंग मामले में AAP नेता सत्येन्द्र जैन को जमानत देने से इनकार
Shahadat
18 March 2024 12:11 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (18 मार्च) को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) नेता सत्येन्द्र जैन को जमानत देने से इनकार कर दिया। इसने उन्हें दी गई अंतरिम जमानत भी रद्द कर दी और जैन को तुरंत आत्मसमर्पण करने के लिए कहा।
जैन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मई 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन पर अन्य लोगों के साथ 2010-12 और 2015-16 के दौरान तीन कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया था। AAP नेता वर्तमान में मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत पर बाहर हैं, जो उन्हें पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने दी थी।
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। खंडपीठ ने अप्रैल 2023 के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ जैन की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार किया गया। इस मामले में चार दिन की सुनवाई के बाद जनवरी में फैसला सुरक्षित रख लिया गया।
जैन के वकील ने कहा कि वह वर्तमान में फिजियोथेरेपी से गुजर रहे हैं और आत्मसमर्पण में देरी करने की अनुमति मांगी। हालांकि, कोर्ट ने इनकार किया और कहा कि जैन को तत्काल आत्मसमर्पण करना होगा। कोर्ट ने सह-अभियुक्त अंकुश जैन की जमानत अर्जी भी खारिज कर दी।
ED ने क्या दी दलील?
सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों की काफी दलीलें सुनीं। एडिशनल सॉलिसिटर-जनरल एसवी राजू द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए ईडी ने जैन की जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। राजू ने तर्क दिया कि निदेशक के रूप में अपना पद छोड़ने के बावजूद, जैन ने कथित मनी-लॉन्ड्रिंग रैकेट में शामिल कंपनियों पर प्रभावी नियंत्रण रखा।
उन्होंने जोर देकर कहा,
''इन कंपनियों में प्रविष्टियों के माध्यम से चार करोड़ से अधिक की बेहिसाब नकदी प्राप्त हुई। यह विवादित नहीं है।”
ED का मामला इस दावे पर आधारित है कि जैन के परिवार के सदस्यों को कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए प्रॉक्सी के रूप में इस्तेमाल किया गया, सह-आरोपी वैभव और अंकुश जैन महज 'डमी' के रूप में काम कर रहे थे। एजेंसी ने दलील दी कि इन कंपनियों को मिली पूरी रकम का पता सत्येन्द्र जैन से लगाया जा सकता है।
एएसजी राजू ने अदालत को ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के समवर्ती निष्कर्षों को पलटने के खिलाफ भी आगाह किया, दोनों ने पहले जैन के जमानत के अनुरोध को अस्वीकार किया था।
इसके अलावा, उन्होंने इस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए जैन द्वारा इस्तेमाल की गई कथित देरी की रणनीति पर भी सवाल उठाए।
सत्येन्द्र जैन ने क्या दिया तर्क?
उधर, जैन की ओर से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया। सिंघवी ने तर्क दिया कि ED का मामला अस्थिर आधार पर बनाया गया, जो बिना पर्याप्त सबूत के 'मास्टरमाइंड' और 'कंट्रोल' जैसे शब्दों पर निर्भर है। उन्होंने जैन को कथित मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों से जोड़ने वाले विश्वसनीय लिंक की कमी पर जोर दिया। सिंघवी ने जैन की गिरफ्तारी की आवश्यकता पर भी सवाल उठाया, जिसमें फंसी कंपनियों में आप नेता के शेयरों के छोटे हिस्से और उनके निदेशक पद को छोड़ने के उनके फैसले पर प्रकाश डाला गया।
सीनियर वकील ने इस बात पर जोर दिया कि जैन के खिलाफ कोई भी अपराध स्थापित नहीं किया जा सका और धन शोधन निवारण अधिनियम के आवेदन पर सवाल उठाया। अन्य बातों के अलावा, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उनकी भूमिका योग्य वास्तुकार की है, न कि एक निवेशक या धन संभालने वाले की। जांच के दौरान पूर्व मंत्री के पूर्ण सहयोग पर प्रकाश डाला।
सिंघवी के तर्कों का एक हिस्सा जैन की लंबे समय तक कारावास के अन्याय पर केंद्रित है। उन्होंने इस दावे का भी स्पष्ट रूप से खंडन किया कि संकटग्रस्त राजनेता ने अपने मुकदमे में देरी करने के लिए रणनीति अपनाई।
केस टाइटल- सत्येन्द्र कुमार जैन बनाम प्रवर्तन निदेशालय | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) नंबर 6561 2023