PMLA कितना भी सख्त क्यों न हो, बीमार और अशक्त आरोपियों को जमानत मिलनी चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
Amir Ahmad
14 Oct 2024 2:46 PM IST
यह देखते हुए कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की कठोरता के बावजूद बीमार और अशक्त व्यक्तियों को जमानत दी जा सकती है, सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन मामले में आरोपी को अंतरिम जमानत दी
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने धन शोधन के अपराध के आरोपी सेवा विकास सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष अमर साधुराम मूलचंदानी को अंतरिम जमानत दी।
पीठ ने राहत देने से पहले जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स द्वारा विशेषज्ञों की 4 सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत मेडिकल रिपोर्टों का अवलोकन किया।
सीनियर एडवोकेट आत्माराम नादकर्णी ने यह कहते हुए जमानत देने का विरोध किया कि आरोपी पर सबूतों से छेड़छाड़ करने के लिए अन्य एफआईआर भी दर्ज हैं तो CJI ने कहा,
"नादकर्णी PMLA कितना भी सख्त क्यों न हो, हमें कानून के दायरे में काम करना होगा। कानून हमें बताता है कि जो व्यक्ति बीमार और अशक्त है, उसे जमानत दी जानी चाहिए। यह कहना कि उसका सरकारी अस्पताल में इलाज हो सकता है। कानून के अनुसार नहीं है।"
संदर्भ के लिए PMLA की धारा 45 के प्रावधान में कहा गया कि जो आरोपी बीमार या अशक्त है, उसे जमानत देने के लिए निर्दिष्ट दोहरी शर्तों के बावजूद जमानत दी जा सकती है।
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि मुलचंदानी क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित है। जेल में रहने के दौरान वह दैनिक गतिविधियां नहीं कर सकता।
नादकर्णी ने सुझाव दिया कि उसे हिरासत में लेकर पास के अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है। जवाब में रोहतगी ने जोर देकर कहा कि आरोपी की उम्र 67 साल है, वह 1 साल और 3 महीने से जेल में है और उसका नाम किसी भी तरह के अपराध में नहीं है।
केस टाइटल: अमर साधुराम मूलचंदानी बनाम प्रवर्तन निदेशालय और अन्य