संदेशखाली हिंसा: सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका में यौन उत्पीड़न के आरोपों पर CBI/SIT जांच की मांग

Shahadat

16 Feb 2024 6:33 AM GMT

  • संदेशखाली हिंसा: सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका में यौन उत्पीड़न के आरोपों पर CBI/SIT जांच की मांग

    पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के संबंध में रिपोर्टों की CBI/SIT जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई।

    याचिकाकर्ता वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने पश्चिम बंगाल पुलिस पर मिलीभगत और कर्तव्य में लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस मुख्य आरोपी तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता शाहजहां शेख के साथ मिलकर काम कर रही है।

    याचिकाकर्ता ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों पर हुए हमले की ओर इशारा किया, जो तब हुआ था जब ईडी के अधिकारी शेख के घर पर छापा मारने के लिए संदेशखाली गए थे। इसके बाद शेख फरार हो गया।

    याचिकाकर्ता का कहना है कि शेख के क्षेत्र छोड़ने के बाद अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों संबंधित महिलाओं ने साहस जुटाया और 08.02.2024 को सड़कों पर उतर आईं और कथित शेख शाहजहां और अन्य टीएमसी नेताओं द्वारा किए गए कथित यौन उत्पीड़न और अत्याचार का विरोध किया।

    याचिकाकर्ता ने आशंका जताई है कि अगर मामले को राज्य पुलिस पर छोड़ दिया गया तो निष्पक्ष जांच नहीं होगी, इस तथ्य को देखते हुए कि मुख्य आरोपी राज्य पर शासन करने वाली पार्टी का प्रभावशाली सदस्य है।

    इस पृष्ठभूमि में याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो या अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल को स्थानांतरित करने का आग्रह किया। वह मामलों की सुनवाई पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने की भी मांग करते हैं। याचिकाकर्ता ने पीड़ितों के लिए मुआवजे और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की।

    याचिकाकर्ता ने मणिपुर हिंसा के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों पर भरोसा जताया, जिसमें महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा से संबंधित मामलों की जांच के लिए SIT और रिटायर्ड हाईकोर्ट जजों की समिति का गठन किया गया।

    एडवोकेट श्रीवास्तव ने तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए शुक्रवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया।

    सीजेआई ने मामले को सूचीबद्ध करने पर गौर करने पर सहमति जताई।

    इस सप्ताह की शुरुआत में कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था।

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