S.52A NDPS Act | सैंपल यथासंभव अभियुक्त की उपस्थिति में लिए जाएं, जब्ती स्थल पर नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धांतों का सार दिया
Shahadat
21 Jan 2025 11:34 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) की धारा 52ए के बारे में सिद्धांतों का सारांश दिया, जिसमें जब्त किए गए प्रतिबंधित पदार्थों के सुरक्षित निपटान को सुनिश्चित करने और साक्ष्य की अखंडता को बनाए रखने के लिए प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों को लागू करने के उद्देश्य पर जोर दिया गया।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने धारा 52ए के बारे में सिद्धांतों का सारांश निम्नलिखित बिंदुओं में दिया: -
(I) हालांकि धारा 52ए मुख्य रूप से जब्त किए गए प्रतिबंधित पदार्थों के सुरक्षित तरीके से निपटान और विनाश के लिए है, फिर भी यह नशीली दवाओं के निपटान के तत्काल संदर्भ से परे है, क्योंकि यह जब्ती के बाद मादक पदार्थों के उपचार में प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों को लागू करने के व्यापक उद्देश्य को भी पूरा करता है। साथ ही यह सूची तैयार करने, जब्त किए गए पदार्थों की तस्वीरें लेने और मजिस्ट्रेट की उपस्थिति और प्रमाणन के साथ उनसे नमूने लेने का प्रावधान करता है। राजपत्रित अधिकारी की उपस्थिति में मात्र सैंपल लेना NDPS Act की धारा 52ए उपधारा (2) के अंतर्गत अधिदेश का पर्याप्त अनुपालन नहीं माना जाएगा।
(II) यद्यपि, ऐसा कोई अधिदेश नहीं है कि जब्त पदार्थ से सैंपल लेना जब्ती के समय ही होना चाहिए, जैसा कि मोहनलाल (सुप्रा) में कहा गया। फिर भी हमारा मत है कि जब्त पदार्थ की सूची बनाने, फोटो खींचने और सैंपल लेने की प्रक्रिया यथासंभव अभियुक्त की उपस्थिति में होनी चाहिए, यद्यपि यह जब्ती स्थल पर नहीं किया जा सकता।
(III) NDPS Act की धारा 52ए और उसके अंतर्गत नियमों/स्थायी आदेशों के अंतर्गत निर्धारित प्रक्रिया के पर्याप्त अनुपालन में तैयार की गई जब्त पदार्थ की कोई सूची, फोटो या सैंपल को NDPS Act की धारा 52ए उपधारा (4) के अनुसार अनिवार्य रूप से प्राथमिक साक्ष्य माना जाएगा, भले ही मूल पदार्थ वास्तव में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया हो या नहीं।
(IV) NDPS Act की धारा 52ए के अनुसार स्थायी आदेश/नियमों द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का उद्देश्य केवल अधिकारियों का मार्गदर्शन करना तथा यह देखना है कि जांच के प्रभारी अधिकारी द्वारा निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाई जाए। इस प्रकार जो अपेक्षित है, वह है उसमें निर्धारित प्रक्रिया का पर्याप्त अनुपालन।
(V) धारा 52ए या उसके अंतर्गत स्थायी आदेश/नियमों के अंतर्गत प्रक्रिया का केवल गैर-अनुपालन मुकदमे के लिए घातक नहीं होगा, जब तक कि भौतिक साक्ष्य में विसंगतियां न हों, जो अभियोजन पक्ष के मामले को संदिग्ध बनाती हैं, जो कि अनुपालन किए जाने पर नहीं हो सकती थीं। न्यायालयों को अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य में मौजूद विसंगतियों के बारे में समग्र और संचयी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए तथा प्रक्रियागत खामियों को ध्यान में रखते हुए उनका अधिक सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए।
(VI) यदि अभियोजन पक्ष द्वारा मौखिक या दस्तावेजी तौर पर प्रस्तुत अन्य सामग्री अभियुक्तों से प्रतिबंधित पदार्थ की बरामदगी तथा सचेत कब्जे के संबंध में न्यायालय को विश्वास दिलाती है तथा संतुष्ट करती है तो ऐसे मामलों में भी न्यायालय NDPS Act की धारा 52ए के अनुसार किसी भी प्रक्रियागत दोष के बावजूद अभियुक्त को दोषी ठहराने में संकोच नहीं कर सकता।
(VII) उक्त प्रावधान या उसके अंतर्गत नियमों का गैर-अनुपालन या विलंबित अनुपालन न्यायालय को अभियोजन पक्ष के विरुद्ध प्रतिकूल निष्कर्ष निकालने के लिए प्रेरित कर सकता है। हालांकि ऐसा निष्कर्ष कब निकाला जा सकता है, इसके बारे में कोई कठोर नियम नहीं बनाया जा सकता तथा यह प्रत्येक मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।
(VIII) जहां पुलिस की ओर से NDPS Act की धारा 52ए में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने में या अभियोजन पक्ष की ओर से इसे साबित करने में चूक हुई है, वहां न्यायालय के लिए NDPS Act की धारा 54 के तहत अवैध सामग्री के कब्जे से अपराध के होने की वैधानिक धारणा का सहारा लेना उचित नहीं होगा, जब तक कि न्यायालय रिकॉर्ड पर मौजूद अन्य सामग्री से अभियुक्त व्यक्तियों से ऐसी सामग्री की जब्ती या वसूली के संबंध में अन्यथा संतुष्ट न हो।
(IX) प्रारंभिक दायित्व अभियुक्त पर होगा कि वह पहले आधारभूत तथ्य प्रस्तुत करे, जिससे यह पता चले कि धारा 52ए का अनुपालन नहीं किया गया था, या तो स्वयं साक्ष्य प्रस्तुत करके या अभियोजन पक्ष के साक्ष्य पर भरोसा करके और अपेक्षित मानक केवल संभावनाओं की प्रधानता होगी।
(X) जब आधारभूत तथ्य NDPS Act की धारा 52ए के गैर-अनुपालन को इंगित करते हैं तो उसके बाद अभियोजन पक्ष पर यह साबित करने का दायित्व होगा कि या तो (i) NDPS Act की धारा 52ए के अधिदेश का पर्याप्त अनुपालन किया गया या (ii) न्यायालय को यह संतुष्ट करना होगा कि इस तरह के गैर-अनुपालन से अभियुक्त के खिलाफ उसके मामले पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और अपेक्षित प्रमाण का मानक उचित संदेह से परे होगा।
केस टाइटल: भारत आंबले बनाम छत्तीसगढ़ राज्य

