ED की शिकायत में इस बात का कोई दावा नहीं कि अनुसूचित अपराधों से अपराध की आय उत्पन्न हुई: सुप्रीम कोर्ट ने PMLA मामले में जमानत दी

Shahadat

15 Aug 2024 9:53 AM IST

  • ED की शिकायत में इस बात का कोई दावा नहीं कि अनुसूचित अपराधों से अपराध की आय उत्पन्न हुई: सुप्रीम कोर्ट ने PMLA मामले में जमानत दी

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के तहत मामले में जमानत दी। कोर्ट ने उक्त जमानत यह देखते हुए दी कि अभियोजन पक्ष की शिकायत में इस बात का कोई दावा नहीं था कि अनुसूचित अपराध से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की आय उत्पन्न हुई है।

    कोर्ट ने कहा,

    "प्रथम दृष्टया, शिकायतों में तथ्यात्मक दावे होने चाहिए, जिससे यह पता चले कि जिन अपराधों को अनुसूचित अपराध के रूप में नामित किया गया, जिनके आधार पर शिकायतें दर्ज की गई, उनसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की आय उत्पन्न हुई।"

    कोर्ट ने झारखंड के साहिबगंज जिले में अवैध रेत खनन से जुड़े धन शोधन मामले में आरोपी भगवान भगत और सुनील यादव को जमानत दी।

    जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष की शिकायतों से यह संकेत नहीं मिलता है कि अपीलकर्ता धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA Act) के तहत धन शोधन के दोषी हैं।

    भगत ED द्वारा लगातार दो शिकायतों में आरोपी हैं। न्यायालय ने पाया कि पहली शिकायत में उल्लिखित पांच एफआईआर में से चार को दूसरी शिकायत में भी शामिल किया गया।

    हालांकि, न्यायालय ने पाया कि इन एफआईआर और अपराध की कथित आय के बीच कोई संबंध नहीं था। न्यायालय ने पाया कि पहली शिकायत में विभिन्न स्थानों पर दर्ज कई अपराधों का संदर्भ था।

    हालांकि, न्यायालय ने कहा-

    “हालांकि, हम पाते हैं कि यह दिखाने के लिए कोई प्रथम दृष्टया सामग्री नहीं है कि अपराध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से धन या अवैध रूप से खनन किए गए खनिजों के रूप में अपराध की आय उत्पन्न हुई है। निस्संदेह, आरोपी के खिलाफ बड़े पैमाने पर अवैध खनन के आरोप हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।”

    न्यायालय ने यह भी नोट किया कि दोनों शिकायतों में उल्लिखित पहला अपराध आईपीसी की धारा 120 बी के तहत था, जो अकेले PMLA अनुसूची के तहत पूर्ववर्ती अपराध नहीं है। एफआईआर में कोई अन्य अनुसूचित अपराध का उल्लेख नहीं था, जो मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप को पुष्ट कर सके।

    न्यायालय ने कहा,

    "प्रथम दृष्टया, हम इस बात से संतुष्ट हैं कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि शिकायतें यह संकेत नहीं देती कि अपीलकर्ता धन शोधन के अपराध के दोषी हैं। हम यहां यह भी नोट कर सकते हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया, जिससे यह पता चले कि अपीलकर्ता PMLA के तहत धन शोधन के किसी अन्य अपराध में शामिल हैं। साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ का आरोप नहीं लगाया गया। दोनों अपीलकर्ता लगभग 01 वर्ष की अवधि के लिए कारावास में रहे हैं। इसलिए अपीलकर्ताओं को जमानत पर रिहा करने का मामला बनता है।"

    सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि भगवान भगत को अधिकतम एक सप्ताह की अवधि के भीतर PMLA के तहत विशेष न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए। इसने विशेष PMLA कोर्ट को भगत को उचित नियमों और शर्तों पर जमानत देने का निर्देश दिया।

    कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि आदेश में की गई टिप्पणियां अपीलकर्ताओं तक सीमित हैं। केवल जमानत आवेदन पर विचार करने के उद्देश्य से हैं।

    केस टाइटल- भगवान भगत बनाम प्रवर्तन निदेशालय और अन्य।

    Next Story