सिर्फ़ इसलिए शादी को टूटा हुआ नहीं मान लेना चाहिए, क्योंकि पति-पत्नी अलग-अलग रह रहे हैं: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
25 Nov 2025 8:12 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट को चेतावनी दी कि सिर्फ़ इसलिए शादी खत्म न करें, क्योंकि कपल अलग रह रहे हैं। साथ ही इसे टूटने वाला ऐसा रिश्ता न कहें, जिसे सुधारा न जा सके। कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जजों को अलग होने के कारणों की अच्छी तरह से जांच करनी चाहिए और पति-पत्नी के अलग रहने का असली कारण पता लगाना चाहिए।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के उस ऑर्डर को रद्द करते हुए यह बात कही,
“हम यह भी कहना चाहेंगे कि हाल के दिनों में कोर्ट अक्सर यह देखते हैं कि चूंकि दोनों पक्षकार अलग-अलग रह रहे हैं, इसलिए शादी को पूरी तरह से टूटा हुआ मान लेना चाहिए। हालांकि, इस नतीजे पर पहुंचने से पहले फैमिली कोर्ट या हाईकोर्ट के लिए यह तय करना ज़रूरी है कि दोनों में से कौन शादी के बंधन को तोड़ने और दूसरे को अलग रहने के लिए मजबूर करने के लिए ज़िम्मेदार है। जब तक जानबूझकर छोड़ने या साथ रहने और/या दूसरे जीवनसाथी की देखभाल करने से इनकार करने का कोई पक्का सबूत न हो, तब तक शादी पूरी तरह से टूट जाने का नतीजा बहुत बुरा हो सकता है, खासकर बच्चों पर। ऐसे नतीजे पर पहुंचने पर कोर्ट पर रिकॉर्ड में मौजूद सभी सबूतों का गहराई से एनालिसिस करने, पार्टियों के सामाजिक हालात और बैकग्राउंड, और कई दूसरी बातों पर विचार करने की ज़िम्मेदारी आ जाती है।”
इस ऑर्डर में ट्रायल कोर्ट के उस ऑर्डर में दखल दिया गया, जिसमें रेस्पोंडेंट-आदमी को तलाक देने से मना कर दिया गया। रेस्पोंडेंट-आदमी पर आरोप था कि उसने अपीलेंट-पत्नी को ससुराल से निकाल दिया और उसे ज़बरदस्ती अलग रहने पर मजबूर किया।
हाईकोर्ट ने पति की पहली अपील मान ली और यह मानते हुए तलाक दे दिया कि शादी ऐसी टूटन है, जिसे सुधारा नहीं जा सकता, सिर्फ इसलिए कि पति-पत्नी अलग रह रहे हैं। इससे दुखी होकर पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
कथित ऑर्डर रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा,
“हाईकोर्ट ने, जो कारण उसे सबसे अच्छे से पता हैं, अपीलेंट की इस दलील पर ध्यान नहीं दिया कि उसे ससुराल से निकाल दिया गया और उसे अलग रहने के लिए मजबूर किया गया।”
कोर्ट ने आगे कहा कि हाईकोर्ट को ये हालात तय करने चाहिए थे:
(i) क्या अपीलेंट को ससुराल से निकाल दिया गया या उसने खुद अपनी मर्ज़ी से रेस्पोंडेंट को छोड़ दिया?
(ii) क्या पहली तलाक की अर्जी, जिसमें क्रूरता के आधार पर तलाक मांगा गया, वापस लेने से उसी कारण से दूसरी अर्जी दाखिल करने पर रोक लग जाएगी?
(iii) क्या अपील करने वाले को शादी के घर में रहने की इजाज़त न देकर और/या पार्टियों के नाबालिग बच्चे को कोई मेंटेनेंस, प्यार, स्नेह और देखभाल न देकर रेस्पोंडेंट ने क्रूरता की थी?
इसलिए अपील को कुछ हद तक मंज़ूरी दी गई। साथ ही मामले को कानून के मुताबिक नए फैसले के लिए हाईकोर्ट को वापस भेज दिया गया।
Cause Title: A v I

