'हाथ' से छुटकारा पाने का इरादा: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव चिन्ह के रूप में 'शरीर के अंगों' के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाली जनहित याचिका खारिज की
Shahadat
6 Aug 2024 10:18 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की। उक्त याचिका में भारत के चुनाव आयोग (ECI) को राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव चिन्ह के रूप में किसी भी 'शरीर के अंग' के इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्देश देने की मांग की गई।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा ने याचिका पर विचार करने से इनकार किया। सीजेआई ने मौखिक रूप से कहा कि जनहित याचिका का उद्देश्य केवल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के चुनाव चिन्ह को लक्षित करना है।
सीजेआई ने मुस्कुराते हुए कहा,
"यह किस तरह की याचिका है? आपकी आंख नहीं हो सकती, आपकी नाक नहीं हो सकती, आपके हाथ नहीं हो सकते। इसका उद्देश्य हाथ (प्रतीक) से छुटकारा पाना है।"
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मानव शरीर के अंगों से मिलते-जुलते प्रतीक संभावित रूप से चुनाव नियमों का उल्लंघन कर सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि मतदान से पहले अनिवार्य 48 घंटे के प्रचार मौन अवधि के दौरान ऐसे प्रतीकों का दुरुपयोग किया जा सकता है, क्योंकि उन्हें आसानी से छिपाया नहीं जा सकता।
याचिका में कहा गया,
"आदर्श आचार संहिता में मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार बंद करने का स्पष्ट उल्लेख है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 130 मतदान के दिन 100 मीटर की परिधि के भीतर चुनाव चिह्न के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाती है। इसलिए कुछ प्रतीक जो मानव शरीर के अंग से मिलते जुलते हैं या समान हैं, उन्हें छिपाया नहीं जा सकता और ऐसे मानव शरीर के अंग के प्रदर्शन से उनका दुरुपयोग किया जा सकता है।"
इस मुद्दे के बारे में कथित तौर पर 2018 में ECI के पास शिकायत दर्ज की गई, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया। याचिकाकर्ता ने मार्च और जून 2024 में अतिरिक्त शिकायतें दर्ज कीं, जिसमें निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए मानव शरीर के अंगों के समान प्रतीकों को हटाने का अनुरोध किया गया।
उठाए गए मुख्य प्रश्न यह है कि क्या ECI मानव शरीर के अंगों को चुनाव चिह्न के रूप में आवंटित कर सकता है। क्या ऐसा करना चुनाव से संबंधित विभिन्न कानूनों और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
याचिकाकर्ता ने, जो मुख्य राहतें मांगी हैं, वे हैं -
(क) प्रतिवादी नंबर 1 को ऐसे चुनाव चिह्न को हटाने, फ्रीज करने और रद्द करने का निर्देश जारी करना जो मानव शरीर के अंग के समान दिखता हो या उसके समान हो।
(ख) ऐसे अन्य उचित रिट या निर्देश जारी करना जो मामले के तथ्यों और परिस्थितियों तथा न्याय के हित में उचित और समतापूर्ण समझे जा सकें।
जनहित याचिका एओआर ओमप्रकाश अजीत सिंह परिहार की मदद से दायर की गई।
केस टाइटल: सरगुजा सोसाइटी फॉर फास्ट जस्टिस बनाम भारत का चुनाव आयोग और एएनआर डायरी नंबर- 31637/2024