बैंक की शर्तें पूरी किए बिना चूककर्ता उधारकर्ता OTS लाभ का दावा नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट ने SBI की अपील स्वीकार की

Shahadat

17 Sept 2025 11:14 AM IST

  • बैंक की शर्तें पूरी किए बिना चूककर्ता उधारकर्ता OTS लाभ का दावा नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट ने SBI की अपील स्वीकार की

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक की एकमुश्त निपटान (OTS) स्कीम का लाभ उठाना उधारकर्ता का अधिकार नहीं है, खासकर तब जब अनिवार्य पूर्व शर्तों, जैसे कि आवश्यक अग्रिम भुगतान, का पालन न किया गया हो।

    यदि कोई उधारकर्ता OTS लाभ के लिए पात्र भी है तो भी जब तक OTS स्कीम में निर्धारित शर्तें पूरी नहीं की जातीं, तब तक उसे लाभ प्राप्त करने का कोई निहित अधिकार नहीं है।

    अदालत ने कहा,

    "पात्रता की सीमा पार करने पर चूककर्ता उधारकर्ता को अपने आवेदन पर विचार का दावा करने का अधिकार नहीं होगा, जब तक कि आवेदन स्वयं अन्य निर्धारित शर्तों को पूरा नहीं करता।"

    चूंकि प्रतिवादी-उधारकर्ता ने भारतीय स्टेट बैंक की OTS स्कीम का लाभ उठाने की शर्त के रूप में बकाया राशि का 5% अग्रिम भुगतान नहीं किया, इसलिए जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें अपीलकर्ता-SBI को प्रतिवादियों की पिछली चूकों और OTS का दावा करने के लिए अग्रिम भुगतान करने में विफलता पर विचार किए बिना प्रतिवादी के OTS प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया गया था।

    अदालत ने कहा,

    "यह बिल्कुल स्पष्ट है कि (OTS) लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन पर तभी कार्रवाई की जाएगी, जब ऐसे आवेदन के साथ बकाया राशि का 5% अग्रिम भुगतान हो। निस्संदेह, प्रतिवादी ने बकाया राशि का 5% अग्रिम भुगतान के रूप में जमा न करके ऐसी स्कीम की स्पष्ट शर्तों का पालन नहीं किया, जिससे उसका आवेदन कार्रवाई के लिए भी अयोग्य हो गया। अनुकूल विचार का पात्र होना तो दूर की बात है।"

    अदालत ने बिजनौर अर्बन को-ऑप. बैंक लिमिटेड बनाम मीनल अग्रवाल मामले में दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि "OTS का लाभ पूर्ण अधिकार के रूप में नहीं लिया जा सकता।"

    यह विवाद प्रतिवादी-तान्या एनर्जी द्वारा सात गिरवी रखी गई संपत्तियों पर सुरक्षित ऋणों का भुगतान न करने के बाद उत्पन्न हुआ। खाते को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति के रूप में वर्गीकृत किए जाने के बाद अपीलकर्ता-SBI ने SARFAESI Act के तहत वसूली के उपाय शुरू किए और गिरवी रखी गई संपत्तियों की नीलामी का प्रयास किया। इसी समय, उधारकर्ता ने SBI की 2020 की ओटीएस योजना के तहत आवेदन किया।

    हालांकि, बैंक ने पिछले चूकों, तथ्यों को छिपाने और ऋण वसूली न्यायाधिकरण के समक्ष चल रहे मुकदमे का हवाला देते हुए आवेदन अस्वीकार कर दिया। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की सिंगल बेंच और खंडपीठ ने इस अस्वीकृति को खारिज कर दिया और SBI को प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। SBI ने इन आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

    विवादित आदेश रद्द करते हुए जस्टिस दत्ता द्वारा लिखित निर्णय में कहा गया,

    "प्रत्येक चूककर्ता को OTS 2020 योजना के तहत अपने आवेदन पर विचार करवाने के लिए OTS राशि के 5% के अग्रिम भुगतान के साथ आवेदन करना आवश्यक था।" हालांकि, "हमें OTS 2020 स्कीम के लाभ के लिए आवेदन करते समय प्रतिवादी द्वारा अग्रिम भुगतान के लिए एक भी पैसा जमा करते हुए नहीं पाया गया। OTS 2020 योजना के खंड 4(i) के अनुसार, बिना अग्रिम भुगतान के प्राप्त किसी भी आवेदन पर कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार, पहली बात तो यह है कि प्रतिवादी का आवेदन अधूरा था और उसे कानूनी तौर पर यह दावा करने का कोई अधिकार नहीं था कि ऐसे आवेदन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।"

    तदनुसार, अपील स्वीकार कर ली गई।

    हालांकि,साथ ही यह भी कहा गया,

    "अपीलकर्ता सुरक्षा हित के प्रवर्तन हेतु कानून के अनुसार आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र हैं। साथ ही हम प्रतिवादी को OTS के लिए एक नया प्रस्ताव प्रस्तुत करने का अवसर भी प्रदान करते हैं। हालांकि, OTS 2020 स्कीम के अंतर्गत नहीं। यदि प्रतिवादी द्वारा प्रस्तुत नियम और शर्तें उचित, व्यावहारिक और स्वीकार्य पाई जाती हैं तो अपीलकर्ता परिस्थितियों के अनुसार उचित समझे जाने पर उस पर निर्णय ले सकते हैं।"

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