AP Land Grabbing Act | कानूनी अधिकार के बिना शांतिपूर्ण तरीके से कब्जा करना अब भी 'भूमि हड़पना' माना जाएगा : सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

26 May 2025 10:26 AM IST

  • AP Land Grabbing Act | कानूनी अधिकार के बिना शांतिपूर्ण तरीके से कब्जा करना अब भी भूमि हड़पना माना जाएगा : सुप्रीम कोर्ट

    आंध्र प्रदेश भूमि हड़पना (निषेध) अधिनियम के तहत भूमि हड़पने के दायरे की व्याख्या करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भूमि हड़पने के लिए हिंसा कोई शर्त नहीं है। कोर्ट ने कहा कि भूमि पर शांतिपूर्ण या "अहिंसक" अनधिकृत कब्जा भी अधिनियम के दायरे में आता है।

    हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि करते हुए जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने इस निष्कर्ष को बरकरार रखा कि अपीलकर्ता भूमि पर अपने अनधिकृत और अहिंसक कब्जे के कारण अधिनियम के तहत "भूमि हड़पने वाला" था।

    जस्टिस चंद्रन द्वारा लिखित निर्णय कोंडा लक्ष्मण बापूजी बनाम आंध्र प्रदेश सरकार, (2002) 3 एससीसी 258 के मामले पर आधारित है, जिसने कानूनी स्थिति निर्धारित की कि भले ही कोई व्यक्ति कानूनी अधिकार के बिना "शांतिपूर्वक" भूमि पर कब्जा करता है। फिर भी यह अधिनियम के तहत भूमि हड़पने के रूप में योग्य हो सकता है।

    अदालत ने कहा,

    "जैसा कि उद्धृत निर्णय में माना गया, शब्द 'भूमि हड़पना' कानून में नियोजित है, जो इसे एक संकीर्ण और व्यापक अर्थ प्रदान करता है। यह नहीं कहा जा सकता कि अतिक्रमण या अतिचार के मामले में अनिवार्य रूप से आपराधिकता होनी चाहिए। आवश्यक मन्स रीआ या इरादा केवल अवैध रूप से या मनमाने तरीके से स्वयं या दूसरों के माध्यम से, तीसरे पक्ष के अधिकारों के निर्माण के लिए अनधिकृत रूप से निर्माण या उपयोग और कब्जे को अंजाम देने का है।"

    मामले की पृष्ठभूमि

    यह विवाद सर्वेक्षण नंबर 9 में 252 वर्ग गज भूमि के इर्द-गिर्द घूमता है, जिस पर मूल मालिक के कानूनी उत्तराधिकारियों ने दावा किया, जिनके पास 1965 से रिजस्टर्ड सेल डीड है। अपीलकर्ता, वी.एस.आर. मोहन राव ने 1997 में सर्वेक्षण नंबर 10 में एक बगल का प्लॉट खरीदा और दो मंजिला इमारत का निर्माण किया। अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि उसने कानूनी रूप से भूमि का एक विशिष्ट टुकड़ा (सर्वेक्षण नंबर 10) खरीदा था। हालांकि, सरकारी सर्वेक्षण से पता चला कि वह वास्तव में अलग प्लॉट (सर्वेक्षण नंबर 9) के कब्जे में है, जिस पर उसका कोई कानूनी अधिकार नहीं है।

    सवाल यह है कि क्या अपीलकर्ता को प्रतिवादी की भूमि के एक हिस्से (सर्वेक्षण नंबर 9 में 555 वर्ग गज में से 252 वर्ग गज) पर कथित रूप से कब्जा करने के लिए अधिनियम के तहत "भूमि हड़पने वाला" घोषित किया जा सकता है।

    कानून को लागू करते हुए न्यायालय ने फैसला सुनाया कि बल या आक्रामकता की अनुपस्थिति के बावजूद, अपीलकर्ता द्वारा लगातार अनधिकृत कब्जा करना अधिनियम के प्रावधानों के तहत भूमि हड़पने के बराबर है।

    उपरोक्त के संदर्भ में न्यायालय ने अपील को खारिज कर दिया।

    केस टाइटल: वी. एस. आर. मोहन राव बनाम के. एस. आर. मूर्ति एवं अन्य।

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