अनुच्छेद 226 के जरिए रिट शक्तियां सीमित: J&K हाईकोर्ट ने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र की कमी को लेकर पंजाब के अधिकारियों के खिलाफ याचिका खारिज की
Avanish Pathak
4 Jun 2025 12:27 PM IST

जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र की कमी के आधार पर पंजाब राज्य और जालंधर के सहायक पुलिस आयुक्त के खिलाफ दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता ने पंजाब के अधिकारियों द्वारा जारी कुछ नोटिसों के खिलाफ राहत की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली किसी भी कार्रवाई का कारण बताने में विफल रहा।
जस्टिस राहुल भारती की पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता ने दायर होने से पहले ही इस रिट याचिका को खारिज करने का खुद ही आह्वान किया था। अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर के अधिकारियों को लक्षित करते समय अधिकार क्षेत्र की दलील एक आवश्यक शर्त है।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि रिट कार्यवाही नियम, 1997 के तहत, क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र की दलील देने की कोई स्पष्ट आवश्यकता नहीं है।
हालांकि, अदालत ने प्रक्रियात्मक नियमों की इस "पांडितीय व्याख्या" को खारिज कर दिया, यह मानते हुए कि ऐसे नियम अनुच्छेद 226(1) के संवैधानिक ढांचे को ओवरराइड नहीं कर सकते।
न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 226 यह स्पष्ट रूप से बताता है कि उच्च न्यायालय की रिट शक्तियां उसके अधिकार क्षेत्र के भीतर व्यक्तियों या अधिकारियों तक ही सीमित हैं।
न्यायालय ने कहा कि दोनों प्रतिवादी उसके अधिकार क्षेत्र की क्षेत्रीय सीमाओं से बाहर स्थित थे और याचिका में इस बारे में एक शब्द भी नहीं था कि कार्रवाई का कारण जम्मू-कश्मीर और जम्मू-कश्मीर के भीतर कैसे उत्पन्न हुआ।
इस बारे में कोई दावा या स्पष्टीकरण नहीं था कि यह उच्च न्यायालय पंजाब में स्थित अधिकारियों पर वैध रूप से अधिकार क्षेत्र कैसे ग्रहण कर सकता है।
हालांकि न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वर्तमान याचिका को खारिज करने से याचिकाकर्ता के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा, जो जालंधर, पंजाब में दर्ज एफआईआर से संबंधित है और जिसमें अलग-अलग कानूनी आधार शामिल हैं।
इस प्रकार रिट याचिका को क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र की कमी के कारण खारिज कर दिया गया, साथ ही न्यायालय ने अपनी असाधारण रिट शक्तियों का आह्वान करते समय अधिकार क्षेत्र पर स्पष्टता की आवश्यकता को दोहराया।

