P&H हाईकोर्ट ने SC/ST अधिनियम के आरोपी को दी जमानत, कहा- आरोपी स्वयं वंचित अनुसूचित जाति से, अधिनियम का लागू होना संदिग्ध
Avanish Pathak
22 Aug 2025 1:32 PM IST

पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दर्ज एक मामले में आरोपी को जमानत दे दी है। अदालत ने यह देखते हुए जमानत दी कि आरोपी स्वयं एक वंचित अनुसूचित जाति समुदाय, विशेष रूप से हरियाणा सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त खटीक जाति से संबंधित है।
जस्टिस मनीषा बत्रा ने कहा कि यह सवाल उठता है कि क्या इस मामले में SC/ST अधिनियम की धारा 3(1)(r) के तहत अपराध लागू हो सकता है, क्योंकि यह प्रावधान अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति को अपमानित करने या उसका अपमान करने के इरादे से की गई कार्रवाई को संबोधित करता है।
अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि FIR में यह नहीं बताया गया कि कथित जातिगत टिप्पणी विशेष रूप से याचिकाकर्ता द्वारा की गई थी। इसके अलावा, यह भी ध्यान दिया गया कि शिकायतकर्ता को कोई विशेष चोट नहीं आई थी, और याचिकाकर्ता से कोई हथियार भी बरामद नहीं हुआ था।
जस्टिस बत्रा ने कहा,
"यह ध्यान देने योग्य है कि याचिकाकर्ता स्वयं अनुसूचित जाति, विशेष रूप से खटीक जाति से है, जो हरियाणा सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त वंचित अनुसूचित जाति है। इस तथ्य को देखते हुए, यह संदिग्ध है कि क्या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(r) लागू होगी।"
अदालत ने यह भी माना कि याचिकाकर्ता को FIR दर्ज होने के 425 दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता पहले से ही हिरासत में है, और मामले की परिस्थितियों, शिकायतकर्ता को लगी चोटों की प्रकृति, और यह तथ्य कि याचिकाकर्ता से कोई हथियार बरामद नहीं हुआ, अदालत ने माना कि उसे और हिरासत में रखने का कोई उद्देश्य नहीं है।
इसलिए, अदालत ने याचिकाकर्ता को जमानत दे दी। यह याचिका अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 14-A(2) के तहत दायर की गई थी।

