पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जमानत की शर्त का पालन किए बिना रिहाई वारंट जारी करने वाले मजिस्ट्रेट से स्पष्टीकरण मांगा

Shahadat

28 Nov 2024 9:41 AM IST

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जमानत की शर्त का पालन किए बिना रिहाई वारंट जारी करने वाले मजिस्ट्रेट से स्पष्टीकरण मांगा

    यह देखते हुए कि न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा रिहाई वारंट जारी करने के तरीके से न्यायालय का न्यायिक विवेक स्तब्ध है, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगा।

    अदालत ने पाया कि अंबाला के JMIC ने धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी के लिए जमानत की पूर्व शर्त का पालन किए बिना रिहाई वारंट जारी किया, जिसके लिए हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई शर्त के अनुसार 20 लाख रुपये जमा करने की आवश्यकता थी।

    जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर ने कहा,

    "यह अंबाला के JMIC की ओर से फैसले में दी गई अनिवार्य शर्त के अनुपालन की आवश्यकता के बारे में पूरी तरह से लापरवाही है, जो इस न्यायालय की न्यायिक अंतरात्मा को पीड़ा पहुंचाती है। इसलिए इस तथ्य के बावजूद कि उक्त आदेश को चुनौती नहीं दी गई, जबकि हरियाणा राज्य के कहने पर इसे चुनौती देने की आवश्यकता है। फिर भी इस न्यायालय की न्यायिक अंतरात्मा JMIC अंबाला द्वारा रिहाई वारंट तैयार करने के तरीके से स्तब्ध है।"

    न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगते हुए न्यायालय ने टिप्पणी की कि हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई पूर्व शर्त का अनुपालन किए बिना रिहाई वारंट जारी करना जज की पूरी तरह से "नासमझी" है।

    इसमें आगे कहा गया,

    "इस न्यायालय द्वारा तैयार किए गए फैसले में दी गई अनिवार्य शर्त के अनुपालन के बारे में JMIC अंबाला से उनकी लापरवाही के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा जाता है।"

    वर्ष 2022 में हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 406 और 420 के तहत दर्ज FIR में आरोपी को इस शर्त के साथ जमानत दी कि वह ट्रायल जज के प्रतिष्ठान में 20 लाख रुपये की राशि जमा करेगा।

    जमानत की पूर्व शर्त के अनुपालन के बाद ट्रायल जज को रिहाई आदेश जारी करने का निर्देश दिया गया।

    न्यायालय ने कहा,

    "JMIC अंबाला ने रिहाई आदेश जारी करने की कार्यवाही शुरू की, लेकिन केवल आरोपी द्वारा प्रस्तुत व्यक्तिगत और जमानत बांड को स्वीकार करने के बाद, लेकिन इस तथ्य को ध्यान में रखे बिना कि इसमें निर्धारित आगे की शर्त, जो कि आदेश (सुप्रा) की तारीख से 3 महीने की अवधि के भीतर संबंधित ट्रायल जज के प्रतिष्ठान में 20 लाख रुपये की राशि जमा करने से संबंधित है। इस प्रकार, रिहाई वारंट बनाने के लिए भी पूर्व-आवश्यक अनुपालन योग्य शर्त थी।"

    परिणामस्वरूप न्यायालय ने स्वप्रेरणा से रिहाई आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी तथा आरोपी को शर्त का पालन करने का अंतिम अवसर प्रदान किया।

    मामले को आगे के विचार के लिए 13 दिसंबर तक स्थगित किया जाता है।

    केस टाइटल: सुमित अवस्थी बनाम हरियाणा राज्य

    Next Story