पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन के जरिए बढ़ती नशे की तस्करी पर जताई चिंता
Praveen Mishra
11 March 2025 12:39 PM

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पाकिस्तान सीमा पार से ड्रोन के जरिए अवैध नशीले पदार्थों की तस्करी में हो रही बढ़ोतरी पर चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि इसका "राज्य की सुरक्षा और विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ता है" और इसके खिलाफ कड़े कानूनी कदम उठाने की आवश्यकता है।
जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा, "पक्षकारों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद, यह न्यायालय सीमा पार से अवैध नशीले पदार्थों की तस्करी में लगातार वृद्धि को लेकर गंभीर चिंता प्रकट करता है। ड्रोन के माध्यम से तस्करी की नई प्रवृत्ति ने मानवरहित और किफायती तरीके से नशीले पदार्थों की तस्करी को बढ़ावा दिया है। पाकिस्तान सीमा से भारत में ड्रोन के जरिए नशीले पदार्थों की बढ़ती तस्करी राष्ट्रीय सुरक्षा और जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है।"
कोर्ट ने आगे कहा कि यह अवैध व्यापार न केवल संगठित अपराध को बढ़ावा देता है, बल्कि युवाओं पर भी विनाशकारी प्रभाव डालता है, जो नशे की लत के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा, "नशीले पदार्थों की आसान उपलब्धता देश की नैतिक और सामाजिक संरचना को कमजोर करती है, जिससे भविष्य की पीढ़ियों की प्रगति बाधित होती है। न्यायालय यह मानता है कि ऐसे अपराध केवल कानून का उल्लंघन मात्र नहीं हैं, बल्कि राज्य की सुरक्षा और विकास पर गंभीर प्रभाव डालते हैं, जिसके लिए कड़े कानूनी कदम उठाने की आवश्यकता है।"
ये टिप्पणियां NDPS Act की धारा 21(c), 23 और 29 तथा विमान अधिनियम की धारा 10, 11 और 12 के तहत दायर अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान की गईं।
FIR के अनुसार, 1 फरवरी 2025 को BSF अधिकारियों ने बॉर्डर आउटपोस्ट चंदूवडाला पर एक ड्रोन की भनभनाने की आवाज सुनी। अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान उन्होंने दो व्यक्तियों—सुखविंदर सिंह उर्फ सुखी और अमनदीप सिंह उर्फ गोरा (जो हरभजन सिंह के खेत में काम कर रहे थे)—को पकड़ लिया। इसके बाद दोनों की तलाशी ली गई, जिससे 550 ग्राम हेरोइन का एक पैकेट और दो मोबाइल फोन बरामद हुए। पूछताछ के दौरान, सह-आरोपियों ने याचिकाकर्ता का नाम मुख्य अपराधियों में से एक के रूप में बताया, जिसके बाद FIR में याचिकाकर्ता को आरोपी नामित किया गया।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और जांच एजेंसी के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जो उसे बरामद की गई नशीली सामग्री से जोड़ सके, जो स्पष्ट रूप से सह-आरोपियों के कब्जे से बरामद हुई है।
जमानत का विरोध करते हुए, राज्य के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता इस ड्रग तस्करी नेटवर्क का मुख्य कर्ताधर्ता है और ड्रग्स को पाकिस्तान से ड्रोन के माध्यम से भेजा गया था। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने भारत में प्रतिबंधित सामग्री की पूरी डिलीवरी की योजना बनाई, जिसमें पहले सह-आरोपियों के स्थान को प्राप्त करना और फिर इसे पाकिस्तान में ड्रग तस्कर को भेजना शामिल था। सह-आरोपियों के कब्जे से सीमा सुरक्षा बल द्वारा भारी मात्रा में हेरोइन बरामद की गई है।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, न्यायालय ने कहा कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सच का पता लगाने और ड्रोन के माध्यम से नशीले पदार्थों की तस्करी के पूरे षड्यंत्र को उजागर करने के लिए याचिकाकर्ता की हिरासत में पूछताछ आवश्यक है। अदालत ने कहा कि अग्रिम जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता, इसलिए याचिका खारिज की जाती है।