जुवेनाइल जस्टिस एक्ट मुस्लिम लॉ पर लागू, गोद लिया बच्चा जैविक बच्चे के बराबर का अधिकारी: मद्रास हाईकोर्ट
Praveen Mishra
22 Oct 2025 2:03 PM IST

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (JJ Act) की धारा मुस्लिम पर्सनल लॉ पर प्राथमिक होगी और गोद लिया बच्चा जैविक बच्चे के समान दर्जा रखेगा। जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन ने कहा कि कोई भी बच्चा 'दूसरे दर्जे' का नहीं होगा।
अदालत ने गोद लेने की प्रक्रिया में प्रशासनिक देरी पर चिंता जताई। कई बच्चे अपने शुरुआती साल संस्थागत देखभाल में बिताते हैं, जिससे उनका विकास और जीवन प्रभावित होता है। अधिकारियों को गोद लेने की प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया गया।
मामला एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका से जुड़ा था, जिसे भाई की पत्नी ने अपने एक बच्चे को गोद देने के लिए प्रस्तुत किया था। पंजीकरण प्राधिकरण ने गोद लेने का दस्तावेज़ दर्ज करने से इनकार किया, इसलिए याचिका दायर की गई।
अदालत ने कहा कि इस्लाम और ईसाई धर्म में गोद लेना मान्यता प्राप्त नहीं है, लेकिन JJ Act 2000 और 2015 सभी धर्मों के लिए गोद लेने की अनुमति देता है। सुप्रीम कोर्ट के शबनम हाशमी बनाम भारत संघ के फैसले के अनुसार, धर्म के बावजूद व्यक्ति इस अधिनियम के तहत गोद ले सकता है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि JJ Act हिंदू बच्चों के लिए लागू नहीं है। मुस्लिम पक्षकारों को Adoption Regulations 2022 के तहत प्रक्रिया पूरी करनी होगी, जिसमें जिला बाल संरक्षण इकाई और जिला मजिस्ट्रेट शामिल हैं। केवल दस्तावेज़ बनवाकर पंजीकरण करना पर्याप्त नहीं है।
अदालत ने कहा कि बच्चे की सहमति को पूरी तरह ध्यान में लिया जाना चाहिए और जिला मजिस्ट्रेट को यह सुनिश्चित करना होगा कि गोद लेना बच्चे के हित में है।
अदालत ने निर्देश दिया कि आवेदन पोर्टल पर अपलोड होने के तीन सप्ताह के भीतर सत्यापन पूरा करें और जिला मजिस्ट्रेट तीन सप्ताह में आवेदन का निपटारा करें।

