जैन अनुष्ठान 'संथारा' से जुड़ी नाबालिग की मौत पर जनहित याचिका पर मध्य हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
Shahadat
9 July 2025 3:29 PM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार (8 जुलाई) को केंद्र और राज्य सरकारों को जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और विक्षिप्त व्यक्तियों के लिए 'संथारा' अनुष्ठान पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई।
बता दें, संथारा एक जैन अनुष्ठान है जिसमें स्वेच्छा से मृत्युपर्यंत उपवास किया जाता है। इस प्रथा के अनुसार, व्यक्ति आध्यात्मिक शुद्धि और संसार से विरक्ति प्राप्त करने के लिए मृत्युपर्यंत धीरे-धीरे भोजन और जल का सेवन कम करता है। याचिका में कहा गया कि इस प्रथा में भोजन और जल से परहेज करने का सचेत निर्णय शामिल होता है, जो अंततः मृत्यु का कारण बनता है। हालांकि, यह एक वयस्क जैन व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए, जिसे इस प्रथा और इसके निहितार्थों की स्पष्ट समझ हो।
यह जनहित याचिका एक तीन वर्षीय बच्ची की मृत्यु के बाद दायर की गई, जिसे कथित तौर पर उसके माता-पिता ने संथारा अनुष्ठान करने के लिए मजबूर किया।
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,
"प्रक्रिया शुल्क के भुगतान हेतु प्रतिवादियों को तीन कार्यदिवसों के भीतर नोटिस जारी करें। नोटिस चार सप्ताह के भीतर वापस किया जाए। नोटिस की तामील के बाद सूची में डालें।"
याचिका में भारत संघ, जिसका प्रतिनिधित्व गृह मंत्रालय और विधि मंत्रालय के माध्यम से किया जा रहा है, राज्य के मुख्य सचिव, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष, राज्य के पुलिस महानिदेशक, इंदौर के संभागीय आयुक्त, इंदौर के पुलिस आयुक्त और जिला कलेक्टर प्रतिवादी हैं।
याचिकाकर्ता प्रांशु जैन सोशल एक्टिविस्ट बताए जा रहे हैं। अदालत उनके द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। उन्होंने इंदौर में जैन समुदाय के परिवार द्वारा किए गए क्रूर कृत्यों पर प्रतिवादियों की निष्क्रियता को चुनौती दी। आरोप है कि इस परिवार ने एक तीन साल की बच्ची को संथारा लेने के लिए मजबूर किया, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई।
याचिका में कहा गया कि संथारा की प्रक्रिया के लिए उसे गोद लेने वाले व्यक्ति की सहमति आवश्यक है। आरोप है कि नाबालिग बच्ची को मरने तक भूखे रहने के लिए एक कमरे में छोड़ दिया गया, जबकि उसे यह भी नहीं पता था कि वह किस प्रक्रिया से और क्यों गुजर रही है।
याचिका में दावा किया गया कि जैन समुदाय में प्रचलित रीति-रिवाजों के अनुसार, केवल वही व्यक्ति संथारा प्रक्रिया अपना सकता है, जो इसे समझने और अपनी सहमति देने में सक्षम हो और किसी भी व्यक्ति पर उसकी सहमति के बिना संथारा प्रक्रिया जबरन लागू नहीं की जा सकती।
याचिका में आरोप लगाया गया कि नाबालिग लड़की की मृत्यु के तुरंत बाद उसके माता-पिता और परिवार के सदस्यों ने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स से संपर्क किया। संथारा प्रक्रिया अपनाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया। याचिका में दावा किया गया कि इसके बाद नाबालिग मृत लड़की के माता-पिता को भी प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।
इन आरोपों के मद्देनजर, याचिका में प्रतिवादियों को नाबालिगों और विक्षिप्त व्यक्तियों के लिए संथारा प्रथा पर रोक लगाने के निर्देश देने की मांग की गई। याचिका में नाबालिग बच्चों और विक्षिप्त व्यक्तियों पर संथारा शुरू करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई।
Case Title: Pranshu Jain v Union (WP No. 17313 of 2025)

