NI Act में Presentment के रूल्स
Shadab Salim
8 April 2025 11:07 AM

हर लिखत में एक निश्चित धनराशि के संदाय की अपेक्षा होती और ऐसी धनराशि का संदाय तभी होता है जब उसे संदाय के लिए उपस्थापित किया सिवाय माँग पर देय वचन पत्र जिसे किसी विनिर्दिष्ट स्थान पर देय नहीं बनाया गया है। अतः एक विधिमान्य उन्मुक्ति या संदाय के लिए लिखत का Presentment की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लिखत को संदाय के लिये सम्यक् रूपेण है।
उपस्थापित किया जाना चाहिए अन्यथा ऐसे धारक के प्रति लिखत के पक्षकार आबद्धता से उन्मुक्त हो जाएंगे। संदाय के लिए नियमों का उपबन्ध अधिनियम की धारा 64 से 73 तक की गयी है। आंग्ल विधि के विनिमय पत्र अधिनियम, 1882 की धारा 45 में इस सम्बन्ध में नियम उपबन्धित है और इसी प्रकार के नियम भारतीय विधि में अधिनियम की धाराएं 64 से 73 तक दी गई हैं जो निम्नलिखित है-
अंग्रेजी विधि को धारा 45 में यह कहा गया है कि विनिमय पत्र को संदाय के लिए सम्यक् रूप से उपस्थापित किया जाना चाहिए। यदि ऐसे उपस्थित नहीं किया जाता है, तो लेखीवाल और पृष्ठांकक उन्मोचित हो जाएगा। विनिमय पत्र को भुगतान के लिए सम्यक रूप से उपस्थित किया जाता है जिसे निम्नलिखित नियमों के अनुसार उपस्थित किया जाता है।
जहाँ लिखत माँग पर देय नहीं है, यहाँ Presentment इस दिन किया जाना चाहिए जब यह शोध्य होता है।
जहाँ लिख माँग पर देय है, यहाँ इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन Presentment लिखत के जारी करने के पश्चात् नियुक्त समय में एवं पृष्ठांकन के पश्चात् युक्तियुक्त समय में किया जाना चाहिए। (3) Presentment धारक या ऐसे व्यक्ति के द्वारा किया जाना चाहिए जो धारक की ओर से गंदाय पाने के लिए अधिकृत हो एवं ऐसे कारवार के दिन युक्तियुक्त समय पर एतदद्वारा परिभाषित समुचित स्थान पर उस व्यक्ति को जिसे भुगतान करने वाला या भुगतान करने के लिए अधिकृत व्यक्ति या जो संदाय मना करने वाले को यदि ऐसा व्यक्ति युक्तियुक्त खोज के पश्चात् यहाँ पाया जा सके, को किया जाना चाहिए।
बिल (ख) को समुचित स्थान पर उपस्थापित किया जाय (i) यदि लिखत में संदाय का स्थान विहित है, Presentment उसी स्थान पर किया जाना चाहिए।
जहाँ लिखत में संदाय स्थान विहित नहीं, परन्तु लिखत में ऊपरवाल या प्रतिग्रहीता का पता दिया हुआ है, लिखत को उस पते पर उपस्थित किया जाना।
जहाँ न तो स्थान विहित है और न तो पता दिया हुआ है, यहाँ यदि ऊपरवाल या प्रतिग्रहीता का कारोबार स्थल जात है, यहाँ उस स्थान पर, यदि नहीं तो सामान्य निवास स्थान पर यदि ज्ञात हो।
अन्य मामलों में ऊपरवाल या प्रतिग्रहीता जहाँ भी पाया जाय या इसे उसके अन्तिम ज्ञात कारबार स्थल या निवास स्थान पर उपस्थापना किया जाय।
जहाँ लिखत समुचित स्थान पर उपस्थापित की जाती है और युक्तियुक्त प्रयास के पश्चात् भी संदाय करने या इन्कार करने का प्राधिकृत व्यक्ति नहीं पाया जाता है, पुनः Presentment अपेक्षित नहीं होता है। (6) जहाँ लिखत दो या अधिक व्यक्तियों पर लिखा गया है या प्रतिग्रहीत किया गया है, जो भागीदार नहीं है एवं संदाय का कोई स्थान विहित नहीं है, यहाँ Presentment उन सभी व्यक्तियों को किया जाना चाहिए।
ऊपरवाल या प्रतिग्रहीता की मृत्यु की दशा में उसके वैयक्तिक प्रतिनिधि को उपस्थापित किया जाना चाहिए।
अनुबन्ध या रुढ़ियों द्वारा प्राधिकृत होने पर पोस्ट ऑफिस द्वारा Presentment पर्याप्त होगा। उक्त उपबन्धों एवं सांविधिक प्रावधानों जो भारतीय विधि में उपबन्धित है, संदाय के लिए Presentment के नियमों को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है-
Presentment का स्थान
धारा 68 में यह उपबन्धित है कि वचन पत्र, विनिमय पत्र या चेक एक विहित स्थान पर देय बनाए गए हैं, अन्यत्र नहीं, यहाँ उसमें किसी पक्षकार को भारित करने के लिए संदाय के लिए Presentment उसी स्थान पर किया जाना चाहिए।
धारा 69 केवल वचन पत्र या विनिमय पत्र पर किसी विहित स्थान पर देय पर प्रयोज्य है, Presentment उसी स्थान पर किया जाना चाहिए। (iii) जो वचन पत्र या विनिमय पत्र धाराओं 68 एवं 69 में वर्णित तौर पर देय रचित नहीं है, उसे यथास्थिति, उसके रचयिता, लेखीवाल या प्रतिग्रहीता के कारबार स्थान में यदि कोई हो या प्राधिक निवास स्थान में संदाय के लिए उपस्थापित करना होगा।
धारा 71 के अधीन यदि लिखत के रचयिता लेखीवाल या प्रतिग्रहीता का कोई कारवार का ज्ञात स्थान या निवास स्थान नहीं है और लिखत में प्रतिग्रहणार्थ या संदायार्थ Presentment के लिए कोई स्थान विनिर्दिष्ट नहीं है तो ऐसे Presentment स्वयं उसको किसी ऐसे स्थान पर किया जा सकेगा, जहाँ कहीं यह पाया जा सके। एस० एस० वी० प्रसाद बनाम सुरेश कुमारों के मामले में धारित किया गया है कि जहाँ लिखत किसी विनिर्दिष्ट स्थान पर देय है एवं अन्यत्र नहीं, इसे उसी स्थान पर उपस्थापित किया जाना चाहिए।
Presentment के समय- धारा 65 में यह उपबंध किया गया है कि Presentment कारवार के सामान्य समय के दौरान और यदि बैंककार का हो, बैंककारी समय के भीतर किया जाना चाहिए।
युक्तियुक्त समय में धारा 74 कहती है कि एक परक्राम्य लिखत जो माँग पर देय है आवश्यक रूप में धारक द्वारा इसे अभिप्राप्त करने के पश्चात् युक्तियुक्त समय में संदाय के लिए उपस्थापित किया जाएगा। धारा 105 के अनुसार युतियुक्त के अवधारण करने में लिखत को प्रकृति और वैसे ही लिखतों के बारे में व्यवहार की प्रायिक कार्यवाही को ध्यान में रखा जाएगा एवं ऐसे समय की संगणना में लोक अवकाशों को अपवर्जित कर दिया जायेगा।
मांग पर देय लिखत का Presentment (धारा 74 ) धारा 74 यह उपवन्धित करती है कि परक्राम्य लिखत जो माँग पर देय बनाए गए हैं, संदाय के लिए धारक द्वारा इसकी प्राप्ति से युक्तियुक्त समय के अन्दर Presentment किया जाएगा। इस प्रकार वचन पत्र विनिमय पत्र या चेक जो माँग पर देय है, संदाय के लिए, उपस्थापित किए जाएंगे।
लिखत जो तिथि के पश्चात् या दर्शनोपरान्त देय है (धारा 66) - जो वचन पत्र या विनिमय पत्र उसमें दो हुई तारीख के पश्चात् या उसके दर्शनोपरान्त एक विनिर्दिष्ट कालावधि पर देय रचा गया है, उसे परिपक्वता पर संदाय के लिए उपस्थापित करना होगा।
अपवाद- धारा 64 का अपवाद यह कहता है कि जहाँ वचन पत्र माँग पर देय है और विनिर्दिष्ट स्थान पर देय नहीं है, यहाँ उसके रचयिता को भारित करने के लिए कोई Presentment आवश्यक नहीं है।
धारा 64 का अपवाद लागू होने के लिए-
वचन पत्र या विनिमय पत्र की माँग पर देय होना चाहिए एवं जो किसी विहित स्थान पर देय नहीं है।
एल० एन० गुप्ता बनाम तारामन्सा के मामले में यह धारित किया गया है कि एक वचन पत्र जो हस्ताक्षर के स्थान पर या भारत में किसी स्थान पर देय बनाया गया है, इसे किसी भी स्थान पर उपस्थापित या माँग किया जा सकता है।
किश्तों में देय वचन पत्र का संदाय के लिए Presentment (धारा 67) धारा 67 उपबन्ध करती किश्तों में देय वचन पत्र हर एक किश्त के संदाय के लिए नियत तारीख के पश्चात् तीसरे दिन संदाय के लिए उपस्थापित करना होगा और ऐसे Presentment पर असंदाय का यही प्रभाव होगा जो परिपक्वता पर वचनपत्र के असंदाय का होता है।
विलम्ब की माफी धारा 75क यह उपबन्धित करती है कि संदाय के Presentment में विलम्ब यदि धारक के नियंत्रण के परे की परिस्थितियों से हुआ है और उसके व्यतिक्रम, अवचार या उपेक्षा के कारण होने का दोष नहीं लगाया जा सकता, तो वह माफी योग्य होगा। (प) किसे Presentment किया जाएगा धारा 75 में यह उपबन्धित है कि लिखत के प्रतिग्रहण या संदाय के लिए Presentment किया जाएगा
लिखत के रचयिता, ऊपरवाल या प्रतिग्रहोता को की जाएगी
रचयिता या प्रतिग्रहीता के प्राधिकृत अभिकर्ता की
रचयिता या प्रतिग्रहीता के मृत्यु की दशा में उसके विधिक प्रतिनिधि
रचयिता या प्रतिग्रहीता के दिवालिया होने की दशा में उसके सरकारी समनुदेशितो, को को जाएगी। Presentment का परित्याग [ धारा 76(ग) ] धारा 64 में यह अपेक्षित है कि परक्राम्य लिखत संदाय के लिए उपस्थापित किए जायेंगे एवं इसके व्यतिक्रम होने पर उसके अन्य पक्षकार ऐसे धारक के प्रति उस पर दायी न होंगे।