NI Act की धारा 78 के प्रावधान

Shadab Salim

10 April 2025 3:49 AM

  • NI Act की धारा 78 के प्रावधान

    परक्राम्य में लिखत अधिनियम मूल रूप से तीन प्रकार के लिखत से संबंधित है तथा उन लिखतों में पेमेंट किए जाने का वचन होता है न कि पेमेंट होता है। पेमेंट किसे किया जाएगा इससे संबंधित प्रावधानों का विस्तारपूर्वक उल्लेख अधिनियम की धारा 78 के अंतर्गत प्राप्त होता है।

    किसे पेमेंट किया जाना चाहिए- धारा 78 रचयिता या प्रतिग्रहीता के उन्मोचन पेमेंट द्वारा धारक को करने का उपबन्ध करती है। यद्यपि कि धारा 82 में रचयिता, प्रतिग्रहीता या पृष्ठांकक का लिखत के अधीन दायित्व से उन्मोचन का उपबन्ध करती है। किसी लिखत के अर्थात् वचन पत्र या विनिमय पत्र के रचयिता या प्रतिग्रहीता के दायित्व का विधिमान्य उन्मोचन केवल धारक को पेमेंट द्वारा ही किया जा सकता है।

    लिखत के रचयिता या प्रतिग्रहीता का उन्मोचन धारक को पेमेंट द्वारा होता है। रचयिता या प्रतिग्रहीता का उन्मोचन वचन पत्र एवं विनिमय पत्र (चेक नहीं) के सम्बन्ध में ही होता है। इस प्रकार धारा 78 में उन्मोचन केवल वचन पत्र एवं विनिमय पत्र से सम्बन्धित है।

    धारा 78 आज्ञापक है एवं इस प्रकार किसी अन्य व्यक्ति को पेमेंट से उन्मोचन नहीं होगा जब तक कि ऐसे पेमेंट को लिखत का धारक स्वयं का पेमेंट का चुनाव न करे। सभी मामलों में लिखत के अधीन पेमेंट केवल धारक को या उसके अधिकृत अभिकर्ता को की जानी चाहिए।

    रायल बैंक ऑफ स्काटलैण्ड बनाम रहीम में यह धारित किया गया है कि एक बैंक किसी विनिमय पत्र या चेक की धारणाधिकार सहित वसूली के लिए धारित किया है, वह सम्यक् अनुक्रम धारक है और पेमेंट बैंक को ही किया जाना चाहिए। मूल पृष्ठांकक को किये गये पेमेंट को प्रतिग्रहीता के दायित्व के उन्मोचन नहीं माना जा जा सकता है। पेमेंट के लिए याद कौन ला सकता है-फेवल धारक या उसका विधिक प्रतिनिधि ही पेमेंट के लिए वाद प्रस्तुत कर सकता है। कोई अजनबी व्यक्ति किसी लिखत के अधीन पेमेंट के लिए वाद नहीं ला सकता है।

    संघवाल बनाम गीता देवी के मामले में यह धारित किया गया है कि वचन पत्र का रचयिता अपने ऋण से उन्मोचन केवल धारक को पेमेंट से हो प्राप्त कर सकता है, अन्य किसी व्यक्ति के द्वारा नहीं।

    एक विधिमान्य पेमेंट होने के लिए यह आवश्यक है कि इसे केवल धारक को किया जाय लिखत का कब्जा प्रथम दृष्टया धारक के पहचान का साक्ष्य होता है एवं एक धारक जब बिल का उपस्थापन पेमेंट के लिए करता है तो प्रतिग्रहोता को पेमेंट कर देना चाहिए और पेमेंट की मनाही अपने जोखिम पर करता है। यदि मालूम होता है कि उसने गलत व्यक्ति को पेमेंट किया है, वह पुनः पेमेंट के लिए आबद्ध होगा एवं मनाही की दशा में अनादर के लिए वाद लाए जाने की कार्यवाही की जोखिम उसकी होगी।

    उल्लेखनीय वाद स्पेन्सर बनाम शॉयरमैन में धारित किया गया है कि लिखत का रचयिता पेमेंट करने का हकदार है, यद्यपि उसे ऋण या लिखत के समनुदेशन की सूचना प्राप्त करा दी गयी है। परन्तु हरीश चन्दर बनाम जमुना के वाद में जहाँ वचन पत्र को स्वयं समनुदेशित कर दिया गया है और रचयिता को इस तथ्य की सूचना दे दी जाती है, वहाँ वह मूल धारक को पेमेंट नहीं कर सकता है, अर्थात् समनुदेशितों को ही पेमेंट किया जाएगा।

    आंग्ल विधि के अन्तर्गत क्या एक चोर विधिमान्य उन्मोचन दे सकता है? किसी परक्राम्य लिखत का सद्भावना पूर्वक एवं स्वत्व के दोष की जानकारी के बिना किया गया पेमेंट विधिमान्य होता है और लिखत को उन्मोचित बनाता है। अतः लिखत जो वाहक को देय है या निरंक पृष्ठांकित है, जिससे कि उसका स्वत्व केवल परिदान मात्र से ही अन्तरित हो जाय, एक पाने वाला या एक चोर जिसके कब्जे में ऐसा लिखत है, को किया गया पेमेंट विधिमान्य होगा और लिखत का उन्मोचन हो जाएगा। ऐसे व्यक्ति को सम्यक् अनुक्रम में किये गये पेमेंट से रचयिता या प्रतिग्रहीता उन्मोचित हो जाएगा।

    भारतीय विधि- हालांकि धारा 8 के अधीन परिभाषित "धारक" इतना विस्तृत नहीं है कि इसमें लिखत का पाने वाला या एक चोर को भी धारक माना जाए, परन्तु धारा 10 के अधीन परिभाषित "सम्यक् अनुक्रम में संदाय" इतना व्यापक है कि इसके अन्दर लिखत का पाने वाला या एक चोर को किया गया पेमेंट भी सम्मिलित किया जा सकता है।

    वाहक को देय लिखत का पेमेंट किसी भी व्यक्ति को किया जा सकता है जिसमें लिखत का पाने वाला या एक चोर भी सम्मिलित है। इस प्रकार चोर को किया गया पेमेंट क्या विधिमान्य उन्मोचन दे सकेगा भारतीय विधि आंग्ल विधि के ही समान है।

    उदाहरण- (1) एक बिल पृष्ठांकित किया गया "A and B or order" परिपक्वता पर एक अन्य व्यक्ति A and B के नाम से धारक है जो बिल को अपने नाम से पृष्ठांकित कर पेमेंट के लिए उपस्थापित करता है। प्रतिग्रहीता उसे पेमेंट कर देता है। यहाँ बिल का उन्मोचन नहीं हुआ और प्रतिग्रहीता पुनः वास्तविक A and B को पेमेंट करने को बाध्य होगा।

    एक वाहक को पृष्ठांकित बिल चोरी चला जाता है। परिपक्वता पर चोर इसे प्रतिग्रहीता को पेमेंट के लिए उपस्थापित करता है जिसे वह सम्यक् अनुक्रम में पेमेंट कर देता है। बिल का उन्मोचन हो गया।

    एक बिल पृष्ठांकिती द्वारा कपट से प्राप्त किया जाता है। पृष्ठांकिती पेमेंट के लिए प्रतिग्रहोता को उपस्थापित करता है जो सम्यक् अनुक्रम में पेमेंट कर देता है, बिल का उन्मोचन हो जाएगा भारतीय विधि में समान स्थिति नहीं होगी, क्योंकि एक व्यक्ति जो लिखत को कपट से प्राप्त किया है, यहाँ तक कि वह पृष्ठांकिती भी है, परन्तु उसे धारा 8 के अधीन धारक नहीं कहा जाएगा और इस धारा के प्रभाव से उसे पेमेंट धारक को पेमेंट नहीं माना जाएगा।

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