NI Act में इंस्ट्रूमेंट से रिलेटेड एविडेन्स
Shadab Salim
19 April 2025 9:59 AM

इस एक्ट की धारा 118 में इंस्ट्रूमेंट से रिलेटेड कुछ सबूतों के संबंध में उपधारणा की गयी है। जैसे-
डेट के सम्बन्ध में उपधारणा
लिखतों में यह उपधारणा होती है कि प्रत्येक परक्राम्य लिखत पर जो तिथि होती है वह उस तिथि पर लिखत रचा या लिखा गया होगा, जब तक कि इसके प्रतिकूल साबित न किया जाए।
प्रतिग्रहण के समय की उपधारणा
यह कि प्रत्येक विनिमय पत्र इसके लिखे जाने के युक्तियुक्त समय के युक्तियुक्त समय के पश्चात् एवं परिपक्वता के पूर्व प्रतिग्रहीत किया गया होगा। हालांकि यह उपधारणा नहीं होती है कि प्रतिग्रहण का निश्चित समय क्या था। रावस बनाम बीधेल में एक विनिमय पत्र तिथि के तीन माह पश्चात् प्रतिग्रहीत किया गया था, प्रतिग्रहण की कोई तारीख नहीं थी, और ऊपरवाल वयस्कता प्राप्त किया, लिखत के परिपक्वता के दिन के पूर्व, यह उपधारित किया गया कि ऊपरवाल ने विनिमय पत्र को उस समय प्रतिग्रहीत किया था जब वह अवयस्क था।
अन्तरण के समय की उपधारणा
लिखतों में यह उपधारणा होती है कि लिखत का प्रत्येक अन्तरण उसके परिवपक्वता के पूर्व किया गया था, परन्तु उसके अन्तरण करने के ठीक समय की उपधारणा नहीं होती है।
पृष्ठांकन के क्रम की उपधारणा
यह कि जिस क्रम में लिखत का पृष्ठांकन किया गया है उसके सम्बन्ध में उपधारणा होती है। इस उपधारणा को खण्डित किया जा सकता है।
स्टाम्प की उपधारणा
खोए हुए परक्राम्य लिखतों के सम्बन्ध में यह उपधारणा होती है कि उसे सम्यक् रूपेण स्टाम्पित किया गया होगा। ऐसी उपधारणा नष्ट किए गए लिखतों के सम्बन्ध में भी होती है। हालांकि कि चेक को स्टाम्पित होने की आवश्यकता नहीं होती है।
प्रत्येक धारक को सम्यक् रूपेण होने की उपधारणा
महत्वपूर्ण उपधारणा प्रत्येक धारक को सम्यक् रूपेण धारक होने की होती है। परन्तु यह कि जहाँ लिखत को इसके विधिक स्वामी से उसके विधिपूर्ण अभिरक्षक से किसी अपराध द्वारा या कपट या उसके रचयिता या प्रतिग्रहीता से किसी अपराध या कपट या अवैध प्रतिफल से प्राप्त किया गया है, इसे साबित करने का कि धारक एक सम्यक् अनुक्रम धारक है, उसी पर होगा।
यह पहलू बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि केवल एक पाने वाला या एक सम्यक् अनुक्रम धारक ही धारा 138 के अधीन चेक के अनादर के लिए वाद संस्थित कर सकेगा। एक साधारण धारक ऐसा नहीं कर सकता है।
डी० एन० साहू बनाम बंगाल नेशनल बैंक लिले के मामले में यह धारित किया गया है कि परक्राम्य लिखत का प्रत्येक धारक प्रतिफल से प्राप्त किया है। यह एक सम्यक् अनुक्रम धारक को यह साबित करने की आवश्यकता नहीं होगी कि वह कैसे सम्यक् अनुक्रम धारक बना है।
इस विषय को पूर्व में विस्तार से स्पष्ट किया गया है। वचन पत्र के निष्पादन के सम्बन्ध में उपधारणा वचन पत्र के निष्पादन के सम्बन्ध में उपधारणा को मद्रास हाईकोर्ट ने अशोक कुमार बनाम लाथ के मामले में स्पष्ट किया है-
वचन पत्र के निष्पादन की मूलतः साबित करने की आवद्धता सदैव वादी की होती है। उसे अकेले वचन पत्र के निष्पादन को साबित करना होता है और जब वह सफलतापूर्वक इसे साबित कर देता है तो इससे धारा 118 के अधीन प्रतिफल की सांविधिक उपधारणा स्थापित हो जाती है। ऐसी सांविधिक उपधारणा खण्डनीय होती है और प्रतिवादी इसे खण्डित करने के लिए स्वतंत्र होता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई आवश्यक नहीं है कि प्रतिवादी प्रत्यक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करे। यहाँ तक कि परिस्थितिजन्य या अधिसम्भावनाएँ (preponderance of possibilities) की प्रबलता भी विधिक उपधारणा को खण्डित करने के लिए पर्याप्त होगी।
धारा 118 (क) के क्षेत्र और साक्ष्य विधि की धारा 114 के सम्बन्ध में इसकी प्रयोज्यता को नारायण राव बनाम वेन्कटाप्पैय्या के बाद में स्पष्ट किया गया है-
साक्ष्य का विशेष नियम जो इस धारा में स्थापित किया है, वह केवल लिखत पक्षकारों के बीच और उनसे अधिकारों का दावा करने वाले पर ही प्रयोज्य होता है। एक मृतक रचयिता के अविभक्त पुत्रों जो मिताक्षरा विधि से शासित थे, एक वचन पत्र के लिए वाद संस्थित किया गया। धारित किया गया कि रचयिता के उत्तराधिकारी या प्रतिनिधि के रूप में उन पर वाद नहीं लाया गया था, क्योंकि वादी ने हिन्दू विधि के पवित्र आबद्धता के सिद्धान्त पर पुत्रों के सम्बन्ध में जो उन्होंने सम्पत्ति के उत्तरजीवी के रूप में प्राप्त किए थे, वाद लाया था। पवित्र आवद्धता तभी उत्पन्न हो सकती है जब पिता द्वारा देय ऋण आस्तित्व में हो। ऐसी दशा में ऋण के अस्तित्व को साबित करने की आवद्धता लेनदारों पर होती है जो साक्ष्य विधि के सामान्य सिद्धान्त जिसे साक्ष्य विधि की सामान्य विधि अर्थात् धारा 114 में अनुयोग्य उपधाराणा का सहयोग ले सकते हैं न कि इस अधिनियम की धारा 118 (क) के अधीन उपधारणा से।
इस धारा के अधीन उपधारणा वचन पत्र के रचयिता की मृत्यु पर प्रभावित नहीं होती है। यह सरकारी वचन पत्र भी लागू होता है।