क्या पुलिस जांच के दौरान अचल संपत्ति को जब्त कर सकती है?

Himanshu Mishra

1 Oct 2024 5:52 PM IST

  • क्या पुलिस जांच के दौरान अचल संपत्ति को जब्त कर सकती है?

    यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या पुलिस जांच के दौरान अचल संपत्ति (Immovable Property) को जब्त (Attach) कर सकती है, खासकर CrPC (Code of Criminal Procedure) की धारा 102 (Section 102) के तहत।

    इस मुद्दे पर भारत के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने Nevada Properties Pvt. Ltd. v. State of Maharashtra के मामले में व्यापक रूप से विचार किया, जहां अदालत ने यह स्पष्ट किया कि क्या धारा 102 में इस्तेमाल किया गया शब्द "कोई भी संपत्ति" (Any Property) अचल संपत्ति (Immovable Property) को भी कवर करता है, और क्या पुलिस इसे जांच के दौरान जब्त कर सकती है।

    CrPC की धारा 102 (Section 102) का दायरा

    CrPC की धारा 102 पुलिस अधिकारी को यह अधिकार देती है कि वह किसी भी संपत्ति को जब्त कर सकता है यदि उसे संदेह हो कि वह संपत्ति किसी अपराध से जुड़ी हुई है।

    धारा 102 इस प्रकार है:

    “(1) कोई भी पुलिस अधिकारी उस संपत्ति को जब्त कर सकता है, जिसे चोरी की गई या अपराध के संदेहजनक परिस्थितियों में पाया गया हो।”

    यह प्रावधान पुलिस अधिकारियों को यह शक्ति देता है कि वे किसी संपत्ति को जब्त कर सकें, यदि उन्हें संदेह हो कि वह संपत्ति अपराध से जुड़ी है, चाहे वह चोरी की गई वस्तु हो या किसी अन्य अपराध से संबंधित सबूत। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह शक्ति अचल संपत्ति, जैसे जमीन या इमारत, तक भी फैली हुई है?

    न्यायिक व्याख्या (Judicial Interpretation) का ऐतिहासिक दृष्टिकोण

    ऐतिहासिक रूप से, अदालतों ने धारा 102 को केवल चल संपत्ति (Movable Property) पर लागू किया है। इसका कारण यह है कि "जब्ती" (Seizure) का अर्थ है संपत्ति का भौतिक कब्जा (Physical Custody) लेना, जो केवल चल संपत्ति के लिए ही संभव है।

    चल संपत्ति, जैसे नकद, गहने, वाहन, को पुलिस द्वारा जब्त किया जा सकता है और उन्हें अपने कब्जे में रखा जा सकता है। लेकिन अचल संपत्ति को भौतिक रूप से जब्त करना संभव नहीं है।

    महत्वपूर्ण फैसले (Key Judgments) और धारा 102

    अचल संपत्ति के संदर्भ में धारा 102 के तहत जब्ती का सवाल सबसे पहले State of Maharashtra v. Tapas D. Neogy (1999) के मामले में उठाया गया था, जहां सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि बैंक खाते (Bank Accounts) को धारा 102 के तहत "संपत्ति" माना जा सकता है।

    इस मामले में, अदालत ने कहा कि भले ही बैंक खाते अमूर्त (Intangible) होते हैं, वे फिर भी CrPC के तहत संपत्ति की परिभाषा में आते हैं और पुलिस उन्हें जब्त कर सकती है। हालांकि, इस मामले में अचल संपत्ति पर सीधे विचार नहीं किया गया था।

    इसके बाद के मामलों में, जैसे Jagdish Chander v. State, अदालतों ने स्पष्ट किया कि धारा 102 में "संपत्ति" मुख्य रूप से चल संपत्ति तक ही सीमित है। अचल संपत्ति को "जब्त" करना व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि अचल संपत्ति, जैसे जमीन या घर, को पुलिस द्वारा भौतिक रूप से कब्जे में नहीं लिया जा सकता। अचल संपत्ति का अटैचमेंट (Attachment) और कब्जा हटाना (Dispossession) आमतौर पर दीवानी कानून (Civil Law) के तहत किया जाता है, न कि आपराधिक कानून (Criminal Law) के तहत।

    Nevada Properties Pvt. Ltd. में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

    Nevada Properties Pvt. Ltd. के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि CrPC की धारा 102 अचल संपत्ति पर लागू नहीं होती है। इससे पहले बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने यह कहा था कि पुलिस अचल संपत्ति को धारा 102 के तहत जब्त नहीं कर सकती। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जहां अदालत ने यह फैसला सुनाया कि अचल संपत्ति CrPC की धारा 102 के अंतर्गत नहीं आती है।

    अदालत ने यह तर्क दिया कि "जब्ती" का अर्थ है संपत्ति का भौतिक रूप से कब्जा लेना, जो केवल चल संपत्ति के मामले में ही संभव है। अचल संपत्ति को जब्त करने के लिए किसी को उसके कब्जे से बेदखल करना (Dispossess) होगा, जो कि एक कानूनी प्रक्रिया (Legal Process) है, जिसे आमतौर पर दीवानी अदालतों (Civil Courts) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

    इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि धारा 102 का उद्देश्य आपराधिक जांच (Criminal Investigation) में सबूत संरक्षित करना (Preserve Evidence) है, और अचल संपत्ति आमतौर पर इस प्रकार के सबूत के रूप में काम नहीं करती।

    धारा 102 और विधायी मंशा (Legislative Intent)

    धारा 102 की व्याख्या करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने 'Purposive Interpretation' का सिद्धांत लागू किया। इसका अर्थ है कि किसी कानून के शब्दों को उस उद्देश्य के संदर्भ में समझा जाना चाहिए, जिसे वह कानून पूरा करना चाहता है। धारा 102 का उद्देश्य पुलिस को अपराध से जुड़े सबूत इकट्ठा करने और संरक्षित करने की शक्ति देना है।

    चल संपत्ति, जैसे चोरी की गई वस्तुएं, नकद, या हथियार, अक्सर अपराध से सीधे संबंधित होते हैं और इनका जब्त किया जाना आवश्यक होता है ताकि सबूत नष्ट या छुपाए न जा सकें। इसके विपरीत, अचल संपत्ति इस प्रकार का कार्य नहीं करती, और इसका अटैचमेंट या जब्ती आमतौर पर दीवानी कानून के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित होती है।

    अदालत ने यह भी अन्य प्रावधानों का हवाला दिया, जैसे कि CrPC की धारा 145, जो अचल संपत्ति से जुड़े कब्जे (Possession) के विवादों से संबंधित है। इन प्रावधानों में स्पष्ट रूप से अचल संपत्ति का उल्लेख किया गया है और ऐसे मामलों में विशेष कानूनी प्रक्रियाएं (Legal Procedures) निर्धारित की गई हैं।

    धारा 102 में अचल संपत्ति का कोई उल्लेख न होना यह साबित करता है कि विधायिका (Legislature) ने पुलिस अधिकारियों को अचल संपत्ति जब्त करने की शक्ति देने का इरादा नहीं किया था।

    अचल संपत्ति और पुलिस की शक्तियाँ

    Nevada Properties Pvt. Ltd. के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने धारा 102 की व्याख्या में एक लंबे समय से चले आ रहे अस्पष्टता (Ambiguity) को दूर किया। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि पुलिस के पास जांच के दौरान अचल संपत्ति को जब्त करने का अधिकार नहीं है।

    पुलिस की शक्ति धारा 102 के तहत केवल चल संपत्ति तक सीमित है, और किसी को अचल संपत्ति से बेदखल (Dispossess) करने का प्रयास उचित कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से ही किया जा सकता है।

    यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपराधिक जांच के दौरान व्यक्तियों के अचल संपत्ति के अधिकारों की सुरक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि ऐसे विवाद उचित दीवानी प्रक्रिया (Civil Procedures) के माध्यम से सुलझाए जाएं।

    यह पुलिस शक्तियों के दुरुपयोग (Misuse of Police Powers) को रोकने में भी सहायक है और यह सुनिश्चित करता है कि आपराधिक जांच का उपयोग संपत्ति विवादों (Property Disputes) में हस्तक्षेप के लिए न किया जाए।

    Next Story