सुप्रीम कोर्ट ने अट्टिंगल दोहरे हत्याकांड मामले में अनु शांति की उम्रकैद की सजा निलंबित की

Avanish Pathak

16 Jan 2025 5:05 AM

  • सुप्रीम कोर्ट ने अट्टिंगल दोहरे हत्याकांड मामले में अनु शांति की उम्रकैद की सजा निलंबित की

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (15 जनवरी) को आट्टिंगल दोहरे हत्याकांड की दोषी अनु शांति की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित कर दिया। उन्हें 2014 में अपनी सास और तीन वर्षीय बेटी की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने सजा को निलंबित कर दिया और दोषसिद्धि के खिलाफ उसकी अपील के लंबित रहने तक जमानत दे दी।

    न्यायालय ने कहा, "छूट दे दी गई है। मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अपीलकर्ता अपील के अंतिम निपटारे तक सजा के निलंबन और जमानत का हकदार है।"

    तिरुवनंतपुरम सत्र न्यायालय ने अनु शांति को आजीवन कारावास की सजा दी ‌‌थी, जिसके पिछले साल केरल हाईकोर्ट ने पुष्टि की थी। उसी फैसले में हाईकोर्ट ने उसके सह-साजिशकर्ता और प्रेमी नीनो मैथ्यू को दी गई मौत की सजा को बिना किसी छूट के 25 साल के आजीवन कारावास में बदल दिया।

    अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह घटना 16 अप्रैल, 2014 को तिरुवनंतपुरम के आट्टिंगल में अनु शांति के आवास पर हुई थी। घटना की सुबह पीड़ित घर पर थे, जबकि अनु शांति तिरुवनंतपुरम के टेक्नोपार्क में काम के लिए चली गई थी। उसकी सास ओमाना ने अपने बेटे यानि अनु शांति के पति को फोन करके बताया कि एक आगंतुक, जिसकी बाद में पहचान मैथ्यू के रूप में हुई, उससे मिलने के लिए घर पर आया है। कुछ ही देर बाद, मैथ्यू ने परिवार पर हमला कर दिया।

    केरल हाईकोर्ट के जस्टिस पीबी सुरेश कुमार और जस्टिस जॉनसन जॉन की खंडपीठ ने आईपीसी की धारा 302 और अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत दोनों आरोपियों की सत्र न्यायालय द्वारा की गई सजा को बरकरार रखा। जबकि अनु शांति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, हत्याओं को अंजाम देने वाले मैथ्यू को शुरू में मृत्युदंड मिला।

    हाईकोर्ट ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के प्रोजेक्ट 39ए की ओर से की गई व्यापक जांच के बाद कम करने वाले कारकों को देखते हुए मैथ्यू की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि मैथ्यू 25 साल की छूट के लिए पात्र नहीं है।

    अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि हत्याएं पूर्व नियोजित थीं और दोनों की ओर से अपने अवैध संबंधों में बाधाओं को दूर करने के लिए एक साजिश का हिस्सा थीं। हाईकोर्ट ने इस आकलन से सहमति जताते हुए हत्याओं को अंजाम देने में उनके समन्वय के साक्ष्य का हवाला दिया। हालांकि, उसने मृत्युदंड लगाने के खिलाफ फैसला लेने से पहले मैथ्यू की पृष्ठभूमि और अन्य परिस्थितियों पर विचार किया।

    केस टाइटलः अनु शांति बनाम केरल राज्य | सीआरएल.ए. नंबर 4751/2024

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