ससुराल वालों को सौंपे गए सोने को वापस पाने के लिए विवाहित महिला को देना होगा सबूत? हाईकोर्ट ने किया फैसला
Shahadat
10 July 2025 8:08 PM IST

केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अदालतें शादी के समय अपने ससुराल वालों को सौंपे गए सोने के आभूषणों का दावा करने वाली महिला से सख्त सबूत की मांग नहीं कर सकतीं।
जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस एम.बी. स्नेहलता की खंडपीठ ने कहा,
“ज़्यादातर भारतीय घरों में, दुल्हन द्वारा अपने ससुराल वालों को सोने के आभूषण सौंपना वैवाहिक घर की चारदीवारी के भीतर होता है। नवविवाहित महिला अपने पति या ससुराल वालों को आभूषण सौंपते समय रसीद या स्वतंत्र गवाहों की मांग करने की स्थिति में नहीं होगी। ऐसे लेन-देन की घरेलू और अनौपचारिक प्रकृति के कारण वह सौंपे गए आभूषणों को साबित करने के लिए दस्तावेज़ या स्वतंत्र गवाह पेश करने की स्थिति में नहीं होगी।”
यह टिप्पणी फैमिली कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ ससुराल वालों द्वारा दायर वैवाहिक अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए की गई, जिसमें उन्हें मूल याचिकाकर्ता के सोने के आभूषण वापस करने का निर्देश दिया गया।
तथ्यों के अनुसार, याचिकाकर्ता के पति की शादी के तुरंत बाद मृत्यु हो गई, जिसके बाद उसके ससुराल वालों ने उस पर घर छोड़ने का दबाव डाला। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसके सोने के गहने ससुराल वालों ने सुरक्षा की आड़ में ले लिए और माँग के बावजूद वापस नहीं किए।
हाईकोर्ट ने इस मामले पर निर्णय लेने के लिए याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत बिलों और तस्वीरों की एक श्रृंखला पर भरोसा किया। इसने घरेलू परिस्थितियों में सोना सौंपे जाने को साबित करने में महिलाओं के सामने आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों का न्यायिक संज्ञान लिया।
यह टिप्पणी की गई कि आपराधिक कानून में आवश्यक उचित संदेह से परे कठोर प्रमाण अन्याय को जन्म देंगे और संभाव्यता के सिद्धांत पर सौंपे जाने के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा,
"महिला एक परिवार की सदस्य होने के नाते, भविष्य में किसी कानूनी विवाद का अनुमान लगाने और ऐसे घर में दस्तावेज़ी साक्ष्य तैयार करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती, जहां उससे अपेक्षा की जाती है कि वह अनुरूपता दिखाए, विश्वास करे और चुप रहे, खासकर अपनी शादी के शुरुआती दौर में।"
हालांकि, न्यायालय ने यह देखते हुए अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया कि देवर बाहर रहता है। इसलिए सोने की कस्टडी उसके पास होने की संभावना नहीं है। न्यायालय ने सास को निर्देश दिया कि वह सोना याचिकाकर्ता को लौटा दे।
Case Title - X & Anr v Y

