ग्रेच्युटी अपील के लिए ब्याज सहित पूरी राशि जमा करना अनिवार्य: केरल हाईकोर्ट
Praveen Mishra
13 Dec 2025 3:16 PM IST

केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि Payment of Gratuity Act, 1972 के तहत ग्रेच्युटी से जुड़े आदेश को चुनौती देते समय नियोक्ता को केवल ग्रेच्युटी की राशि ही नहीं, बल्कि उस पर अर्जित ब्याज सहित पूरी राशि जमा करनी होगी। यह राशि अपील को स्वीकार किए जाने की पूर्व-शर्त (condition precedent) होगी।
यह निर्णय जस्टिस के. बाबू ने Kerala State Financial Enterprises Ltd. (KSFE) द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनाते हुए दिया।
मामला क्या था?
याचिकाकर्ता ने क्षेत्रीय संयुक्त श्रम आयुक्त, कोल्लम (जो कि Gratuity Act के तहत अपीलीय प्राधिकरण हैं) के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें नियोक्ता को धारा 7(4) के तहत निर्धारित ग्रेच्युटी की राशि जमा करने का निर्देश दिया गया था।
मुख्य विवाद यह था कि धारा 7(7) के प्रावधान में प्रयुक्त शब्द “amount equal to the amount of gratuity required to be deposited” का अर्थ क्या केवल ग्रेच्युटी राशि है या ग्रेच्युटी के साथ उस पर देय ब्याज भी शामिल है।
याचिकाकर्ता की दलील
KSFE ने तर्क दिया कि कानून केवल “ग्रेच्युटी राशि” जमा करने की बात करता है, ब्याज जमा करना अनिवार्य नहीं है। उनके अनुसार, पूर्व के कुछ निर्णयों में ब्याज को शामिल करने की बात per incuriam (कानून की अनदेखी में दिया गया निर्णय) है।
अमीकस क्यूरी और प्रतिवादी की दलील
अमीकस क्यूरी और स्वयं उपस्थित प्रतिवादी ने दलील दी कि धारा 7(4)(c) के तहत जब नियंत्रक प्राधिकारी विवाद का निपटारा करता है, तो वह ग्रेच्युटी के साथ-साथ देरी पर देय ब्याज भी निर्धारित करता है। इसलिए अपील के लिए आवश्यक प्री-डिपॉजिट में ब्याज भी शामिल होगा।
कोर्ट का विश्लेषण
कोर्ट ने धारा 7 का विस्तृत विश्लेषण करते हुए कहा:
• धारा 7(3A) नियोक्ता को ग्रेच्युटी के भुगतान में देरी होने पर ब्याज देने के लिए बाध्य करती है।
• धारा 7(4)(c) के तहत नियंत्रक प्राधिकारी द्वारा तय की गई राशि में ग्रेच्युटी और उस पर अर्जित ब्याज दोनों शामिल होते हैं।
• इसलिए धारा 7(7) के तहत अपील के लिए जो राशि जमा करनी होती है, वह धारा 7(4)(c) के तहत निर्धारित पूरी राशि है, जिसमें ब्याज भी शामिल है।
कोर्ट ने कहा कि इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर्मचारी को देय राशि के भुगतान में अनावश्यक देरी न हो।
पूर्व निर्णयों पर टिप्पणी
कोर्ट ने माना कि Standard Stonewares and Tiles v. Appellate Authority के निर्णय में ब्याज को बाहर रखने की टिप्पणी वैधानिक प्रावधानों के विपरीत थी और इसलिए वह per incuriam है। वहीं, BL Rubber Industries, COIRFED और अन्य मामलों में दिए गए निर्णय, जिनमें ब्याज सहित राशि जमा करने की बात कही गई थी, सही हैं और उन्हें पुनः पुष्टि दी गई।
निष्कर्ष
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया:
“धारा 7(7) के दूसरे प्रावधान के तहत अपील के लिए जो राशि जमा की जानी है, वह ग्रेच्युटी की निर्धारित राशि के साथ उस पर देय ब्याज को भी सम्मिलित करती है।”
अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उसमें कोई दम नहीं है।

