दूसरी पत्नी का खर्च बताकर पहली पत्नी का भरण-पोषण नहीं टाला जा सकता: केरल हाईकोर्ट

Praveen Mishra

26 Nov 2025 3:42 PM IST

  • दूसरी पत्नी का खर्च बताकर पहली पत्नी का भरण-पोषण नहीं टाला जा सकता: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पहली शादी के दौरान दूसरी शादी करने वाला मुस्लिम पति यह तर्क नहीं दे सकता कि उसके पास पहली पत्नी का भरण-पोषण करने के साधन नहीं हैं। जस्टिस डॉ. काउसर एडप्पगाथ यह टिप्पणी उस मामले में कर रहे थे, जिसमें पति ने फैमिली कोर्ट द्वारा पहली पत्नी को भरण-पोषण देने और बेटे के खिलाफ उसकी याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी थी। पति ने दावा किया कि वह बेरोजगार है, जबकि पत्नी ब्यूटी पार्लर चलाती है, और यह भी कहा कि वह दूसरी पत्नी का भरण-पोषण कर रहा है, इसलिए पहली पत्नी को रकम नहीं दे सकता।

    कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम कानून में एक से अधिक विवाह का अधिकार नहीं, बल्कि अपवाद है, और बहुविवाह केवल तभी मान्य है जब पति सभी पत्नियों के साथ समान व्यवहार और समान भरण-पोषण सुनिश्चित कर सके। कुरान की आयत (IV:3) के आधार पर कोर्ट ने कहा कि “न्याय” में आर्थिक समानता भी शामिल है, इसलिए दूसरी शादी का बहाना बनाकर पहली पत्नी का भरण-पोषण रोका नहीं जा सकता।

    कोर्ट ने पति का यह तर्क भी खारिज कर दिया कि पत्नी बेटे से सहायता ले रही है, यह कहते हुए कि BNSS की धारा 144 के तहत पत्नी का पति से भरण-पोषण का अधिकार उसके बच्चों की जिम्मेदारी से स्वतंत्र है। साथ ही कोर्ट ने माना कि पहली पत्नी का पति की दूसरी शादी के बाद अलग रहना पूरी तरह उचित कारण है और इससे उसका भरण-पोषण का अधिकार समाप्त नहीं होता। अंत में हाईकोर्ट ने पति की पुनरीक्षण याचिका खारिज करते हुए कहा कि पत्नी भरण-पोषण पाने की हकदार है और पति बेटे से भरण-पोषण लेने का अधिकारी नहीं है।

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