केरल हाईकोर्ट ने हिजाब मामले में छात्रा के स्कूल छोड़ने के बाद DDE के आदेश के खिलाफ याचिका बंद की
Praveen Mishra
24 Oct 2025 5:32 PM IST

केरला हाईकोर्ट ने शुक्रवार (24 अक्टूबर) को सेंट रीटा स्कूल की याचिका को बंद कर दिया, जिसमें स्कूल ने एर्नाकुलम के डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन (DDE) के नोटिस को चुनौती दी थी कि एक मुस्लिम छात्रा को हेडस्कार्फ़ पहनकर कक्षा में आने की अनुमति दी जाए। कोर्ट को बताया गया कि छात्रा के माता-पिता ने अब उसका प्रवेश वापस लेने का निर्णय लिया है। कोर्ट ने नोट किया कि बेहतर समझ बनी और संविधान की नींव का “भाईचारा” मजबूत बना रहा। जस्टिस वी.जी. अरुण ने कहा कि माता-पिता के निर्णय के बाद विवादास्पद मुद्दों पर जाने की कोई जरूरत नहीं है। छात्रा के वकील ने भी कहा कि वे अब स्कूल छोड़ना चाहती हैं, और राज्य के वकील ने कहा कि इस मामले को और बढ़ाने की जरूरत नहीं है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि मामला संवेदनशील है और स्कूल तथा परिवार दोनों की भावनाओं का सम्मान करना आवश्यक है। जस्टिस अरुण ने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने भी कैथोलिक स्कूल में पढ़ाई की है और उनका हर दिन प्रार्थना से शुरू होता था, जिससे उन्हें यह स्थिति समझने में मदद मिली।
मामले की पृष्ठभूमि:
सेंट रीटा पब्लिक स्कूल, जो कि CBSE से संबद्ध और ईसाई प्रबंधन वाला स्कूल है, पहले पुलिस सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि स्कूल ने मुस्लिम छात्रा को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दी थी और कथित धमकियों और भीड़ की घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं। इसके बाद DDE ने स्कूल को निर्देश दिया कि छात्रा को हेडस्कार्फ़ पहनकर कक्षा में आने दिया जाए। स्कूल ने हाई कोर्ट में तर्क दिया कि राज्य शिक्षा अधिकारियों का CBSE स्कूलों के आंतरिक नियमों पर कोई अधिकार नहीं है और यह CBSE के अधिकार क्षेत्र में आता है।
स्कूल ने यह भी कहा कि केरला सरकार ने स्कूलों में धार्मिक पोशाक की अनुमति देने के लिए कोई कानून नहीं बनाया है और ऐसे निर्देश लागू करना स्कूल की धर्मनिरपेक्ष और समावेशी शिक्षा नीति के खिलाफ है। स्कूल ने दावा किया कि राज्य शिक्षा अधिकारियों ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश दिया।
हाईकोर्ट ने याचिका बंद करते हुए कहा कि बेहतर समझ और संवाद से मामला सुलझ गया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मामला न केवल संवैधानिक अधिकारों से जुड़ा था बल्कि सामाजिक सद्भाव और भाईचारे को भी प्रभावित करता था। कोर्ट ने नोट किया कि इससे यह साबित होता है कि शिक्षा संस्थानों में संवाद और समझदारी बनाए रखना कितना जरूरी है।

