शक करने वाला पति वैवाहिक जीवन को नर्क बना सकता है: केरल हाईकोर्ट ने बेवफाई के संदेह में फंसी महिला को तलाक दिया
Praveen Mishra
29 Oct 2025 10:21 PM IST

केरल हाईकोर्ट ने तलाक देते हुए कहा कि पति का बिना कारण पत्नी पर शक करना मानसिक क्रूरता का गंभीर रूप है।
जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस एम.बी. स्नेहलता की खंडपीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब पत्नी ने कोट्टायम फैमिली कोर्ट द्वारा तलाक से इनकार करने के आदेश को चुनौती दी थी।
अदालत ने कहा,“विवाह आपसी विश्वास, प्रेम और समझ पर टिका होता है। एक शक करने वाला पति पत्नी का मानसिक शांति और आत्मसम्मान छीन लेता है। जब भरोसे की जगह शक ले लेता है, तो रिश्ते का अर्थ खत्म हो जाता है।”
पत्नी ने आरोप लगाया कि पति शुरू से ही उसकी निष्ठा पर संदेह करता था, उसे नौकरी छोड़ने को कहा, घर में बंद रखता था, फोन करने से रोकता था और केवल धार्मिक कार्यक्रम देखने देता था।
पति की ओर से कहा गया कि ये सब “सामान्य वैवाहिक मतभेद” हैं, पर अदालत ने माना कि ऐसा व्यवहार मानसिक पीड़ा और अपमान का कारण बनता है, जिससे पत्नी के लिए साथ रहना असंभव हो जाता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी के बयान और पिता की गवाही जैसे प्रत्यक्ष साक्ष्य तलाक के लिए पर्याप्त हैं, भले ही कोई दस्तावेजी सबूत न हो।
सुप्रीम कोर्ट के V. Bhagat बनाम D. Bhagat (1994) फैसले का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि मानसिक क्रूरता की परिभाषा समय और परिस्थितियों के साथ बदलती है।
अंत में, अदालत ने फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द कर विवाह को भंग कर दिया।

