कर्नाटक हाईकोर्ट ने एचडी रेवन्ना की जमानत रद्द करने से किया इनकार
Shahadat
28 Aug 2024 4:13 PM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट ने महिला के अपहरण के आरोपी जनता दल (सेक्युलर) नेता एचडी रेवन्ना की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली विशेष जांच दल (SIT) की याचिका खारिज की।
जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने पक्षों की सुनवाई के बाद 01 अगस्त को आदेश सुरक्षित रख लिया था। रेवन्ना को विशेष अदालत ने 13 मई को जमानत दी थी।
हाईकोर्ट ने मामले में सह-आरोपी सतीश बबन्ना और अन्य को भी जमानत दी।
SIT ने कहा कि महिला के साथ कथित तौर पर प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े अश्लील वीडियो ने उसके (पीड़िता के) बेटे को शिकायत दर्ज कराने के लिए प्रेरित किया। आरोप है कि शिकायत दर्ज होने से पहले ही महिला का अपहरण कर लिया गया था। उसे चुप कराने और सबूत नष्ट करने का प्रयास किया गया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वह जेडी(एस) नेता के बेटे के खिलाफ शिकायत दर्ज न कराए।
SIT की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने दलील दी,
"ये तथ्य एकत्रित साक्ष्यों से स्थापित हुए हैं और आरोपपत्र भी दाखिल किया गया है। इस तरह के मामले में जमानत रद्द की जानी चाहिए।"
उन्होंने कहा कि पीड़िता का बयान दर्ज किया गया और रेवन्ना को उनमें विशेष रूप से दोषी ठहराया गया। धारा 161 और 164 के तहत बयान का हवाला दिए बिना अदालत ने जमानत दे दी।
कुमार ने कहा,
"धारा 364-ए आईपीसी का मूल तत्व यह है कि आरोपी के आचरण से यह आशंका पैदा होती है कि पीड़िता का जीवन खतरे में है, अदालत ने इस पर ध्यान नहीं दिया।"
रेवन्ना की ओर से पेश सीनिययर एडवोकेट सी वी नागेश ने दलील का विरोध करते हुए कहा कि जमानत देने और जमानत रद्द करने के विचार पूरी तरह से अलग हैं।
उन्होंने कहा,
"पीड़िता के बेटे को सतीश बबाना (सह-आरोपी) द्वारा दिए गए बयान के अलावा कि प्रतिवादी (एचडी रेवन्ना) ने महिला को अपने घर लाने के लिए कहा था, कुछ भी नहीं। क्या यह दंडनीय अपराध होगा?"
उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में अपहरण का मामला नहीं बनता क्योंकि पीड़िता नाबालिग नहीं है।
नागेश ने तर्क दिया,
"अपहरण के लिए धारा 362 आईपीसी के तहत छल होना चाहिए। यहां ऐसी कोई घटना नहीं हुई है, महिला नौकरानी थी। इसलिए कोई छल नहीं है। इस मामले में मांग और धमकी की पुष्टि नहीं होती है।"
केस टाइटल: कर्नाटक राज्य और रेवन्ना एच.डी.