झारखंड हाईकोर्ट ने पारसनाथ पहाड़ी पर राज्य को पर्यटन, शराब और मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लागू करने का आदेश दिया, कहा- जैन समुदाय के लिए पवित्र

Shahadat

3 May 2025 3:20 PM IST

  • झारखंड हाईकोर्ट ने पारसनाथ पहाड़ी पर राज्य को पर्यटन, शराब और मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लागू करने का आदेश दिया, कहा- जैन समुदाय के लिए पवित्र

    राज्य द्वारा पारसनाथ पहाड़ी को जैन समुदाय के लिए "पवित्र धार्मिक स्थल" मानने की बात को ध्यान में रखते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने 2023 के ज्ञापन को लागू करने का निर्देश दिया, जिसमें पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियों के लिए शराब की बिक्री या सेवन, मांसाहारी भोजन परोसने और ठहरने की योजना पर प्रतिबंध लगाया गया।

    चीफ जस्टिस एम.एस. रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन ने अपने आदेश में कई निर्देश पारित किए:

    (i) प्रतिवादी 2019 की अधिसूचना और 2023 के कार्यालय ज्ञापन को लागू करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करें और उनका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें।

    (ii) सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गिरिडीह को याचिकाकर्ता और प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने के बाद पारसनाथ पहाड़ी का दौरा करने का निर्देश दिया जाता है, जिससे (i) यह पता लगाया जा सके कि पारसनाथ पहाड़ी पर स्कूल/आंगनवाड़ी मौजूद हैं या नहीं और क्या इस पर कोई खनन गतिविधि संचालित की जा रही है; (ii) पारसनाथ पहाड़ी पर कितनी संरचनाएं बनाई गई हैं और उनकी प्रकृति क्या है (वाणिज्यिक या आवासीय; और सरकारी/निजी)।

    (iii) क्या उचित निर्माण अनुमति प्रदान करने के बाद ऐसी संरचनाएं वैध रूप से बनाई गईं। प्रतिवादियों को इस संबंध में सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गिरिडीह को रिकॉर्ड प्रस्तुत करना चाहिए ताकि उक्त अधिकारी इसे सत्यापित कर सकें।

    (iv) पुलिस अधीक्षक, गिरिडीह 2019 अधिसूचना और 2023 कार्यालय ज्ञापन के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए पारसनाथ पहाड़ी पर होमगार्ड की संख्या बढ़ाएंगे; संदर्भ के लिए, पर्यावरण मंत्रालय ने अगस्त 2019 में "पारसनाथ पहाड़ी के आसपास एक पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र नामित करने" की अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना के खंड 3(18) (पृष्ठ 84) और 7(पृष्ठ 88) में यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार अन्य अतिरिक्त उपायों को निर्दिष्ट करेंगे, यदि वे इस अधिसूचना के प्रावधानों को प्रभावी करने के लिए उन्हें आवश्यक मानते हैं।

    इसके बाद 2023 में केंद्र ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया, (i) पारसनाथ पहाड़ी की पवित्रता और जैन समुदाय के लिए इसके महत्व को मान्यता देते हुए; (ii) राज्य सरकार को पहाड़ी की पवित्रता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करने का निर्देश देते हुए, जिसमें शराब और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री या खपत, मांसाहारी भोजन परोसने और जानवरों को नुकसान पहुंचाने वाले कार्य करने पर प्रतिबंध लगाना शामिल है; और (iii) पहाड़ी पर पर्यटन और पारिस्थितिकी पर्यटन गतिविधियों की योजना पर रोक लगाने का निर्देश देना।

    न्यायालय जैन धार्मिक ट्रस्ट 'ज्योत' द्वारा पारसनाथ पहाड़ी की पवित्रता की रक्षा करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह पहाड़ी जैन धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है, जिसका धार्मिक महत्व हिंदुओं के लिए अयोध्या या मुसलमानों के लिए मक्का के बराबर है। इसे उन गतिविधियों से संरक्षित किया जाना चाहिए जो इसके आध्यात्मिक सार को अपवित्र करती हैं।

    इस तर्क को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा:

    "प्रतिवादियों द्वारा दायर जवाबी हलफनामों में इनमें से किसी भी तर्क का खंडन नहीं किया गया और यह स्वीकार किया जाता है कि पारसनाथ पहाड़ी वास्तव में जैन समुदाय के सदस्यों का पवित्र धार्मिक स्थल है, लेकिन उनका तर्क है कि वे इसे बनाए रखने के लिए कार्य कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने इस पर गंभीरता से विरोध किया है। हम यह बता सकते हैं कि धार्मिक महत्व वाले स्थानों पर कुछ प्रथाओं/गतिविधियों पर प्रतिबंध कोई नई घटना नहीं है। इस तरह के प्रतिबंधों को कई मामलों में न्यायालयों द्वारा बरकरार रखा गया है।"

    हालांकि राज्य ने तर्क दिया कि उसका पारसनाथ हिल को व्यावसायिक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन वे झारखंड पर्यटन नीति, 2021 के अनुसार इसे धार्मिक तीर्थस्थल के रूप में विकसित करना चाहते हैं।

    राज्य ने आगे तर्क दिया कि उसका जैन समुदाय या किसी अन्य समुदाय की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है। उसका होटल या रिसॉर्ट आदि जैसी व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर राजस्व उत्पन्न करने का भी कोई इरादा नहीं है और वह पारसनाथ को एक व्यावसायिक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा नहीं देगा या वहां पारंपरिक पर्यटन गतिविधियों की अनुमति नहीं देगा।

    हालांकि याचिकाकर्ता ने पहाड़ी में चिड़ियाघर/जंगल सफारी जैसी प्रस्तावित गतिविधियों, दुकानें या उद्योग खोलने जैसी व्यावसायिक और आर्थिक गतिविधियों, प्रशासनिक गतिविधियों आदि, वाहनों के उपयोग और गैर-धार्मिक उद्देश्य के लिए संरचनाओं के निर्माण की ओर इशारा किया, जिसे पीठ ने कहा कि जवाबी हलफनामे में संतोषजनक ढंग से अस्वीकार नहीं किया गया था।

    न्यायालय ने तब कहा,

    "वे (राज्य) यह भी नहीं कहते कि पारसनाथ पहाड़ी पर ऐसी गतिविधियां नहीं हो रही हैं। जब 2023 के कार्यालय ज्ञापन में पर्यटन और पारिस्थितिकी पर्यटन दोनों गतिविधियों पर रोक लगा दी गई तो हम यह समझने में विफल हैं कि राज्य सरकार इसके विपरीत कैसे कार्य कर सकती है। 22.02.2019 की अधिसूचना के आधार पर पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल के रूप में मानना ​​जारी रख सकती है और उपरोक्त गतिविधियों की अनुमति/प्रस्ताव दे सकती है।"

    इसने आगे कहा,

    "याचिकाकर्ता के इस तर्क में दम है कि 2023 के कार्यालय ज्ञापन की भाषा पारिस्थितिकी पर्यटन के साथ-साथ धार्मिक पर्यटन सहित सभी प्रकार के पर्यटन को कवर करने के लिए पर्याप्त व्यापक है और दोनों निषिद्ध हैं।"

    न्यायालय ने कहा कि 16,000 एकड़ क्षेत्र की निगरानी के लिए केवल 25 होमगार्ड तैनात किए गए, "हम 2019 की अधिसूचना और 2023 के कार्यालय ज्ञापन में निहित प्रतिबंधों/निषेधों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए होमगार्ड की इतनी कम संख्या की अपेक्षा नहीं कर सकते।" इसके अलावा, याचिकाकर्ता के इस आरोप पर कि आंगनवाड़ी और प्राथमिक विद्यालय पारसनाथ पहाड़ी पर स्थापित किए गए हैं और इन विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजनाओं में "अंडे जैसे मांसाहारी भोजन" परोसे जा रहे हैं।

    न्यायालय ने कहा,

    "कार्यालय ज्ञापन दिनांक 02.01.2023 विशेष रूप से राज्य सरकार को पारसनाथ पहाड़ी पर मांसाहारी खाद्य पदार्थों के उपभोग पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने का निर्देश देता है। यदि ऐसे विद्यालय और आंगनवाड़ी पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित हैं तो उनमें अंडे जैसे मांसाहारी भोजन की खपत की अनुमति नहीं दी जा सकती है।"

    निर्देश जारी करते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई 21 जुलाई को तय की।

    केस टाइटल: ज्योत बनाम झारखंड राज्य और अन्य

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