नौकरी के विज्ञापन के अनुसार पुरानी पेंशन योजना को इसलिए अस्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि कर्मचारी अंतिम तिथि के बाद नियुक्त हुए: झारखंड हाईकोर्ट

Shahadat

21 Oct 2025 10:31 PM IST

  • नौकरी के विज्ञापन के अनुसार पुरानी पेंशन योजना को इसलिए अस्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि कर्मचारी अंतिम तिथि के बाद नियुक्त हुए: झारखंड हाईकोर्ट

    चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि 01.01.2004 से पहले जारी विज्ञापनों के आधार पर चयनित कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के लाभों के हकदार हैं, भले ही उनकी वास्तविक नियुक्ति या कार्यभार नई पेंशन योजना लागू होने के बाद हुआ हो।

    पृष्ठभूमि तथ्य

    भारतीय खनन विद्यालय, धनबाद द्वारा 02.09.2003 को सीनियर मेडिकल अधिकारी के पद के लिए विज्ञापन जारी किया गया। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि इस पद पर सामान्य भविष्य निधि (GPF)-सह-पेंशन लाभ मिलेगा। प्रतिवादी इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज लिमिटेड में कार्यरत था और उसने इस पद के लिए आवेदन किया। चयन प्रक्रिया में देरी हुई। उसे 03.04.2004 को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। उसे नियुक्ति का प्रस्ताव मिला और उसने 30.06.2004 को नया कार्यभार ग्रहण कर लिया।

    इस बीच नई पेंशन योजना (NPS) 22.12.2003 को अधिसूचित की गई और 01.01.2004 से प्रभावी हुई। मूल विज्ञापन की शर्तों के विपरीत प्रतिवादी को नई योजना के अंतर्गत रखा गया। प्रतिवादी ने पुरानी पेंशन योजना में स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुए कई अभ्यावेदन दिए, लेकिन अपीलकर्ता प्राधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। व्यथित होकर प्रतिवादी ने रिट याचिका दायर की। रिट कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि विज्ञापन के समय उपलब्ध लाभों का सम्मान किया जाना चाहिए और प्रतिवादी पुरानी पेंशन योजना का हकदार है।

    इस आदेश से व्यथित होकर अपीलकर्ता भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (ISM) धनबाद ने अपील दायर की।

    अपीलकर्ताओं ने तर्क दिया कि प्रतिवादी ने 30.06.2004 को कार्यभार ग्रहण किया था, जो कि निर्धारित तिथि के काफी बाद की बात थी। इसलिए उनकी सेवा शर्तें उनके वास्तविक कार्यभार ग्रहण के समय लागू नई नीति व्यवस्था द्वारा उचित रूप से शासित थीं। दूसरी ओर, प्रतिवादी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को पुरानी पेंशन योजना/GPF-सह-पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए, क्योंकि विज्ञापन 2 सितंबर, 2003 को जारी किया गया, जबकि नई पेंशन योजना 22 दिसंबर, 2003 को शुरू की गई थी और 01.01.2004 से प्रभावी हुई।

    न्यायालय के निष्कर्ष

    न्यायालय ने यह पाया कि विज्ञापन में ही स्पष्ट रूप से GPF-सह-पेंशन लाभों का वादा किया गया था, और विज्ञापन पवित्र है और दोनों पक्षों पर बाध्यकारी है।

    न्यायालय ने इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह एवं अन्य बनाम भारत संघ मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय पर भरोसा किया, जिसमें न्यायालय ने इस सिद्धांत को दोहराया कि विज्ञापन के समय लागू पेंशन योजना सहित सेवा की शर्तें पवित्र हैं। पुरानी पेंशन योजना का लाभ उन नियुक्तियों को भी दिया जाना चाहिए, जिनका विज्ञापन 01.01.2004 की अंतिम तिथि से पहले दिया गया था, भले ही उनकी वास्तविक नियुक्ति उसके बाद ही हुई हो।

    इसके अलावा, डॉ. दविंदर सिंह बराड़ बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले का भी हवाला दिया गया, जिसमें यह दोहराया गया कि यदि कोई उम्मीदवार 01.01.2004 से पहले जारी विज्ञापन के आधार पर चयनित हो जाता है, अर्थात वह तिथि जब नई परिभाषित अंशदायी पेंशन योजना अस्तित्व में आई है और चयन भी उक्त तिथि से पहले हुआ है तो नई अंशदायी पेंशन योजना के अस्तित्व में आने के बाद नियुक्ति पत्र जारी करने मात्र से नियुक्त व्यक्ति का पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत शासित होने का अधिकार समाप्त नहीं हो जाएगा।

    न्यायालय ने यह माना कि जहां विज्ञापन 01.01.2004 से पहले जारी किया गया था, वहां नियुक्त व्यक्ति, भले ही 01.01.2004 के बाद नियुक्त हुआ हो, पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत शासित होगा। इसलिए नई अंशदायी पेंशन योजना, जो केवल 01.01.2004 से अस्तित्व में आई थी, ऐसे नियुक्त व्यक्तियों पर लागू नहीं की जा सकती और वे संबंधित समय के कानून, अर्थात् पुरानी पेंशन योजना, के अधीन ही रहेंगे।

    परिणामस्वरूप, अपील में कोई दम नहीं पाया गया। यह माना गया कि प्रतिवादी पुरानी पेंशन योजना के अधीन रहने का हकदार है। उपरोक्त टिप्पणियों के साथ अपीलकर्ताओं (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (ISM) धनबाद) द्वारा दायर अपील को न्यायालय ने खारिज कर दिया।

    Case Name : Indian Institute of Technology (ISM) Dhanbad & Anr. Vs. Dr. Praveen Kumar

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