अनुकंपा नियुक्ति से इनकार होने पर आवेदन की तिथि से ही आर्थिक मुआवज़ा दिया जाना चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट

Shahadat

29 Oct 2025 8:56 PM IST

  • अनुकंपा नियुक्ति से इनकार होने पर आवेदन की तिथि से ही आर्थिक मुआवज़ा दिया जाना चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट

    झारखंड हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने कहा कि यदि अनुकंपा नियुक्ति से इनकार किया जाता है तो नियोक्ता को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन की तिथि से ही आर्थिक मुआवज़ा देना होगा।

    पृष्ठभूमि तथ्य

    कर्मचारी सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) ढोरी (के) कोलियरी में पीस रेटेड कर्मचारी था। सेवाकाल के दौरान दिसंबर 1996 में उसकी मृत्यु हो गई। उसकी विधवा ने 1998 में अनुकंपा नियुक्ति का अनुरोध किया। 2002 में इस आधार पर अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया कि CCL के नियमों के अनुसार ऐसे आवेदन मृत्यु के छह महीने के भीतर प्रस्तुत किए जाने चाहिए।

    विधवा ने हाईकोर्ट में इस अस्वीकृति को चुनौती दी। कोर्ट ने CCL को उसके वैधानिक बकाया का भुगतान करने का निर्देश दिया। बाद में उसने अपील दायर की। 2014 में कोर्ट ने CCL को अनुकंपा नियुक्ति के बदले आर्थिक मुआवज़े के लिए उसके आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया। इसलिए CCL ने 20 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया। जनवरी 2015 से 15,712.62 प्रति माह। विधवा ने फिर से हाईकोर्ट का रुख किया और दलील दी कि यह लाभ मृत्यु की तिथि 1996 से दिया जाना चाहिए। सिंगल जज ने उसकी याचिका स्वीकार कर ली और मृत्यु की तिथि से मुआवज़ा देने का आदेश दिया।

    इससे व्यथित होकर CCL ने सिंगल जज के आदेश के विरुद्ध झारखंड हाईकोर्ट में अपील दायर की।

    CCL ने तर्क दिया कि सिंगल जज ने विधवा की ओर से की गई लंबी देरी को नज़रअंदाज़ कर दिया। कर्मचारी की मृत्यु दिसंबर 1996 में हो गई, लेकिन उसने दिसंबर, 2014 में आर्थिक मुआवज़ा मांगा। CCL ने तर्क दिया कि वह NCWA-VI की धारा 9.5.0 के तहत पूर्वव्यापी रूप से लाभ का दावा करने के लिए अपनी देरी का लाभ नहीं उठा सकती।

    दूसरी ओर, विधवा ने तर्क दिया कि राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता (NCWA-VI) मृतक कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने का आदेश देता है। यदि किसी महिला आश्रित को नियुक्ति नहीं मिलती है तो उसे आर्थिक मुआवज़ा दिया जाना चाहिए। उसने तर्क दिया कि CCL ने अनुकंपा नियुक्ति का दावा खारिज करते हुए उसे कभी भी आर्थिक लाभ नहीं दिया। यह प्रस्तुत किया गया कि सिंगल जज ने उसके पति की मृत्यु की तिथि से मुआवज़ा देने का सही आदेश दिया था।

    न्यायालय के निष्कर्ष

    अदालत ने कहा कि NCWA-VI की धारा 9.5.0, महिला आश्रित को आयु के आधार पर या तो अनुकंपा नियुक्ति या आर्थिक मुआवज़ा प्रदान करती है। विधवा अपने पति की मृत्यु के समय 45 वर्ष से कम आयु की थी। उसने शुरू में अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी। आवेदन दाखिल करने में देरी के कारण उसका अनुरोध खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने आगे कहा कि CCL ने अनुकंपा नियुक्ति का उसका दावा खारिज करते हुए वैकल्पिक आर्थिक लाभ की पेशकश न करके आदर्श नियोक्ता के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया।

    सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड बनाम हीरा देव के मामले में यह माना गया कि विधवा ने पहली बार गलत धारणा के तहत अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, इसलिए उसके अनुरोध को आर्थिक लाभ माना जाना चाहिए। इसलिए उसे अनुकंपा नियुक्ति के लिए उसके आवेदन की तिथि से लाभ प्राप्त होगा।

    पुतुल देवी बनाम मेसर्स भारत कोकिंग कोल लिमिटेड एवं अन्य के मामले पर भरोसा किया गया, जिसमें न्यायालय ने यह माना कि NCWA के तहत किसी महिला आश्रित को आर्थिक मुआवजे से वंचित नहीं किया जा सकता, जब लाभों का दावा करने में देरी उसके कारण नहीं हुई हो। इसके अलावा, गंगिया देवी बनाम मेसर्स भारत कोकिंग कोल लिमिटेड एवं अन्य के मामले में यह स्पष्ट किया गया कि NCWA के तहत आर्थिक मुआवजा कर्मचारी की मृत्यु की तिथि से देय होता है, न कि उस तिथि से जब आश्रित इसके लिए आवेदन करता है।

    न्यायालय ने यह माना कि विधवा को आर्थिक मुआवजा उस तिथि से मिलेगा, जिस तिथि से उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, अर्थात 15 अक्टूबर 1998। उपरोक्त टिप्पणियों के साथ CCL द्वारा दायर अपील का कोर्ट द्वारा निपटारा कर दिया गया।

    Case Name : Central Coalfields Limited & Ors. Vs. Sunita Devi

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