झारखंड हाईकोर्ट ने भूमि 'घोटाला' मामले में ED की गिरफ्तारी के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका खारिज की
Shahadat
3 May 2024 2:26 PM IST
झारखंड हाईकोर्ट ने भूमि घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका खारिज की।
एक्टिंग चीफ जस्टिस चन्द्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा ED की गिरफ्तारी के खिलाफ सोरेन की याचिका को 6 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में पोस्ट करने के 4 दिन बाद उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसमें कहा गया कि मामले में यह फैसला सुनाने के लिए हाईकोर्ट के लिए खुला होगा।
गौरतलब है कि सोरेन ने ED की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली अपनी याचिका पर फैसला सुनाने में हाईकोर्ट की देरी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। याचिका पर आदेश 28 फरवरी, 2024 को हाईकोर्ट द्वारा सुरक्षित रख लिया गया था।
31 जनवरी को ED द्वारा गिरफ्तारी के बाद से JMM नेता हिरासत में हैं। 2 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने ED की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी पिछली याचिका पर विचार करने से इनकार किया और उन्हें इसके बजाय हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा।
हालांकि, उन्हें अपने चाचा (राजा राम सोरेन) के श्राद्ध समारोह में शामिल होने के लिए एक दिन की अंतरिम जमानत दी गई, जिनका पिछले महीने निधन हो गया।
जस्टिस आर मुखोपाध्याय की पीठ ने सोरेन को न्यायिक हिरासत में रहने का निर्देश देते हुए अंतरिम राहत के लिए उनकी याचिका स्वीकार कर ली और कहा कि उन्हें मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
27 अप्रैल को विशेष PMLA अदालत ने सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी। सोरेन ने अपने चाचा शिबू सोरेन के बड़े भाई के अंतिम संस्कार में शामिल होने की मांग की।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सोरेन पर अवैध खनन मामले के साथ-साथ राज्य की राजधानी रांची में कथित भूमि घोटाले के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच की जा रही है। ED दोनों मामलों की जांच कर रहा है और तर्क देता है कि लगभग 8.5 एकड़ संपत्ति अपराध की आय है। इसने सोरेन पर अनधिकृत कब्जे और उपयोग का आरोप लगाया।
ED ने इन आय के अधिग्रहण, कब्जे और उपयोग में सोरेन की प्रत्यक्ष भागीदारी का आरोप लगाया, उन पर अर्जित संपत्ति को बेदाग दिखाने के लिए मूल रिकॉर्ड को छिपाने में भानु प्रताप प्रसाद सहित अन्य लोगों के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया।
पिछले साल सितंबर में झारखंड मुक्ति मोर्चा अध्यक्ष ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED के समन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उपलब्ध वैकल्पिक उपाय की ओर इशारा करते हुए मामले पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त की। ऐसे में सोरेन अपनी याचिका वापस लेने पर सहमत हो गए।