झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जेलों में बंद कैदियों की HIV जांच और इलाज के लिए दिशानिर्देश बनाने का निर्देश दिया

Shahadat

30 Sept 2025 10:27 AM IST

  • झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जेलों में बंद कैदियों की HIV जांच और इलाज के लिए दिशानिर्देश बनाने का निर्देश दिया

    झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को HIV और एड्स (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 2017 के वैधानिक ढांचे के अनुरूप जेलों में HIV जांच और उपचार के लिए उचित दिशानिर्देश और नियम बनाने और उन्हें लागू करने का निर्देश दिया। साथ ही छह सप्ताह के भीतर अपना प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

    जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस संजय प्रसाद की खंडपीठ ने दोषी द्वारा दायर आपराधिक अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसने जेल में प्रवेश के बाद "एचआईवी जाँच कराने से इनकार कर दिया था"।

    अदालत ने अपने आदेश में कहा,

    "हमने उपरोक्त अधिनियम की धारा 5 के तहत निहित प्रावधान का अध्ययन किया, जिसमें यह अनिवार्य किया गया कि इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन गैर-बाधा खंड वाले किसी भी व्यक्ति पर HIV टेस्ट नहीं किया जाएगा।"

    अदालत ने रोकथाम और इलाज के लिए सरकारों पर लगाए गए दायित्वों पर भी ध्यान दिया।

    अदालत ने कहा,

    "हमने इसकी धारा 13 का भी अध्ययन किया, जिसमें यह प्रावधान किया गया कि केंद्र सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार, जैसा भी मामला हो, दिशानिर्देशों के अनुसार HIV या एड्स के प्रसार की रोकथाम के लिए आवश्यक और समीचीन समझे जाने वाले सभी उपाय करेगी।"

    अदालत ने आगे कहा,

    "धारा 14(1) केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा किए जाने वाले उपायों का प्रावधान करती है, जिसमें HIV या एड्स से संबंधित नैदानिक ​​सुविधाओं का प्रावधान; HIV या एड्स से पीड़ित लोगों के लिए एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी और अवसरवादी संक्रमण प्रबंधन शामिल है..."

    अदालत ने यह भी कहा कि धारा 49 राज्य सरकार को अधिनियम, 2017 के प्रावधानों को लागू करने के लिए नियम बनाने का अधिकार देती है।

    सुनवाई के दौरान, स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और गृह, जेल एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रमुख सचिव ने संयुक्त रूप से दलील दी कि राज्य सरकार "उचित कदम उठाएगी" और ऐसे मामलों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए "एड्स नियंत्रण सोसाइटी के साथ भी विचार-विमर्श आवश्यक है"।

    इस दलील को रिकॉर्ड में लेते हुए अदालत ने राज्य सरकार को इस तरह का परामर्श करने और दिशानिर्देशों का मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया।

    अदालत ने कहा,

    "इस मामले को स्थगित करने की आवश्यकता है ताकि राज्य, स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और गृह, जेल एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रमुख सचिव के माध्यम से राज्य की नोडल एजेंसी, यानी राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के परामर्श से दिशानिर्देश/नियम बनाने और उनके प्रभावी कार्यान्वयन की स्थिति में हो सके।"

    अदालत ने सरकार के इस कथन को भी दर्ज किया कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के दिनांक 12.01.2024 के पत्र के अनुसरण में झारखंड राज्य संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए कैदियों में HIV टेस्ट सुनिश्चित करने हेतु कदम उठा रहा है।

    इसलिए अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया,

    "यदि ऐसा निर्देश पहले ही जारी किया जा चुका है तो संबंधित प्राधिकारियों द्वारा इसका प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।"

    यह मामला अब 7.11.2025 को अदालत के इस निर्देश के साथ सूचीबद्ध है कि राज्य सरकार प्रस्तावित दिशानिर्देशों को अभिलेख में दर्ज करे।

    Case Title: Mithilesh Kumhar @ Mithilesh Pandit v. State of Jharkhand

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