हाईकोर्ट ने झारखंड RERA में लंबे समय से रिक्त पदों को भरने के लिए राज्य को समयसीमा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया

Avanish Pathak

2 May 2025 1:43 PM IST

  • हाईकोर्ट ने झारखंड RERA में लंबे समय से रिक्त पदों को भरने के लिए राज्य को समयसीमा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया

    झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को झारखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (JHARERA) के चेयरमैन, एडज्यूकेटिंग ऑफिसर और अन्य रिक्त पदों पर नियुक्ति की समयसीमा पेश करने का निर्देश दिया है।

    चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने निर्देश में कहा,

    “झारखंड रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष, न्याय निर्णायक अधिकारी और अन्य रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने की समयसीमा प्रतिवादियों द्वारा सुनवाई की अगली तारीख को पूरक हलफनामे के माध्यम से बताई जाए।”

    यह घटनाक्रम शशि सागर वर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका में आया है, जिसमें झारेरा में लंबे समय से रिक्त पदों को तुरंत भरने की मांग की गई है।

    याचिका के अनुसार, न्याय निर्णायक अधिकारी का पद नवंबर 2022 से खाली पड़ा है और जनवरी 2021 से कोई नियमित अध्यक्ष नहीं है, अंतरिम में प्राधिकरण केवल कार्यवाहक अध्यक्षों द्वारा चलाया जा रहा है। याचिकाकर्ता का दावा है कि आरटीआई के अनुसार, झारेरा के समक्ष 67 मामले लंबित हैं, जिनमें 45 शिकायतें, 16 निष्पादन याचिकाएं और 6 विविध मामले शामिल हैं।

    याचिका में दावा किया गया है कि प्रतिवादियों द्वारा एक न्यायाधिकरण अधिकारी की नियुक्ति करने और अन्य रिक्त पदों को भरने में विफलता अनुच्छेद 14 के तहत मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है, जो सार्वजनिक निवारण संस्थानों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य पर सकारात्मक दायित्व डालता है।

    याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया कि जिन वादियों के मामले न्यायाधिकरण के समक्ष लंबित हैं, उन्हें अपने विवादों का समयबद्ध तरीके से निपटारा करवाने के अधिकार से वंचित किया जाता है, जबकि कार्यरत न्यायाधिकरणों में अन्य वादियों को उनकी उचित सुनवाई और न्यायाधिकरण मिल रहा है, और न्याय तक पहुँच में इस असमानता के परिणामस्वरूप समान स्थिति वाले व्यक्तियों के साथ असमान व्यवहार होता है।

    इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने झारखंड रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) नियम, 2017 के नियम 19 का हवाला दिया, जिसमें प्रावधान है कि जब भी प्राधिकरण में अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य के लिए रिक्तियां मौजूद हों या उत्पन्न होने की संभावना हो, तो राज्य सरकार रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 की धारा 21 के प्रावधान के अनुसार दाखिल की जाने वाली रिक्तियों के संबंध में चयन समिति को संदर्भ दे सकती है। इसमें यह भी कहा गया है कि नियुक्ति शीघ्र की जानी चाहिए।

    याचिकाकर्ता ने झारखंड रियल स्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) रूल्स 2017 के नियम 21ए का भी हवाला दिया, जिसमें प्रावधान है कि जब भी प्राधिकरण में निर्णायक अधिकारी का पद रिक्त होता है या होने की संभावना होती है, तो प्राधिकरण शहरी विकास एवं आवास विभाग को संदर्भित करेगा और विभाग रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 की धारा 71 के संदर्भ में प्राधिकरण के अध्यक्ष और सदस्यों के चयन के लिए गठित चयन समिति को संदर्भित कर सकता है।

    हालांकि, 26.09.2024 को रिक्त पदों को भरने के लिए संबंधित अधिकारियों को अभ्यावेदन दिए जाने के बावजूद, याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में आरोप लगाया है कि आज तक इस संबंध में कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

    मामले को अब 17 जून को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

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