राज्य प्राधिकारियों को धारा 376 या POCSO Act के तहत मामलों में पीड़िता की पहचान गुप्त रखनी चाहिए: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
Avanish Pathak
8 March 2025 10:19 AM

जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह अभियोक्ता/पीड़ित का नाम पहचाने गए पृष्ठों और आपराधिक मामले में अभियोजन पक्ष द्वारा चिह्नित किसी भी अन्य अतिरिक्त पृष्ठ से तुरंत हटा दे।
अदालत ने आदेश दिया कि अभियोक्ता की जांच करने वाले पुलिस, फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) और चिकित्सा पेशेवरों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अभियोक्ता का नाम न दिया जाए और केवल पीड़ित के माता-पिता का नाम दर्ज किया जाए, महिलाओं के खिलाफ धारा 376 के तहत या बच्चों के खिलाफ POCSO अधिनियम के तहत अपराधों से संबंधित मामलों में पूरा नाम या पता बताए बिना।
जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस पुनीत गुप्ता की पीठ ने उपरोक्त निर्देश तब दिए जब उनके ध्यान में लाया गया कि अभियोक्ता (पीड़ित) का नाम अपील ज्ञापन के कई पृष्ठों पर प्रकट किया गया था।
न्यायालय ने विपुल सक्सेना एवं अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य (2019) पर भरोसा करते हुए कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को जांच प्रक्रिया में शामिल सभी अंगों को सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णय में उल्लिखित दिशा-निर्देशों के संबंध में संवेदनशील बनाना चाहिए।
प्रतिवादी के वकील ने बताया कि आरोप पत्र में जिन दस्तावेजों पर भरोसा किया गया है, उनके कई पन्नों पर अभियोक्ता (पीड़ित) का नाम बताया गया है, जिनके अनुवाद मूल के साथ रखे गए हैं, जिससे अभियोक्ता का नाम पता चला है।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि अभियोक्ता का नाम तुरंत हटाया जाए और डिजिटल प्रतियों में भी आवश्यक परिवर्तन किए जाएं।