राजस्व अधिकारी के पास शहरी आवासीय संपत्ति पर अधिकार नहीं, विभाजन आदेश रद्द: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
Amir Ahmad
27 May 2025 2:50 PM IST

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि शहरी आवासीय संपत्ति जम्मू-कश्मीर भूमि राजस्व अधिनियम, 1996 के दायरे में नहीं आती। इसके साथ ही कोर्ट ने राजस्व अधिकारी द्वारा पारित विभाजन आदेश को रद्द कर दिया।
जस्टिस जावेद इकबाल वानी की पीठ ने कहा कि अधिनियम की धारा 105 केवल कृषि भूमि या उससे संबंधित उद्देश्यों के लिए है, न कि शहरी क्षेत्रों में स्थित मकानों या भूमि के लिए।
मामले में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि वह अपनी मृत माता की वसीयत के आधार पर 4.5 कनाल संपत्ति का एकमात्र मालिक है, जबकि प्रत्युत्तरदाता संख्या 4 ने संयुक्त विरासत का दावा किया था।
कोर्ट ने कहा कि राजस्व अधिकारी ने वसीयत व अन्य कानूनी पहलुओं की अनदेखी कर आदेश दिया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। ऐसे विवादों को सिविल कोर्ट भेजा जाना चाहिए था।
याचिकाकर्ता ने जेके माइग्रेंट एक्ट की धारा 7(1)(b) की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी थी, जिसमें अपील दायर करने से पहले कब्जा खाली करने की शर्त है।
कोर्ट ने इसे कानूनी रूप से वैध ठहराया और कहा कि इससे माइग्रेंट संपत्तियों की रक्षा सुनिश्चित होती है।
टाइटल: अशोक टॉश्कानी बनाम जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र, 2025

