J&K हाईकोर्ट ने पंजाब के मजदूरों को कथित हिरासत में प्रताड़ित करने के मामले में पुलिस को अवमानना नोटिस जारी किया, डीके बसु और अर्नेश कुमार दिशानिर्देशों का उल्लंघन बताया

Avanish Pathak

24 July 2025 3:36 PM IST

  • J&K हाईकोर्ट ने पंजाब के मजदूरों को कथित हिरासत में प्रताड़ित करने के मामले में पुलिस को अवमानना नोटिस जारी किया, डीके बसु और अर्नेश कुमार दिशानिर्देशों का उल्लंघन बताया

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने पंजाब के दो मज़दूरों की अवैध गिरफ्तारी और हिरासत में यातना के लिए बसोहली पुलिस स्टेशन के उप-मंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ), स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) और अन्य पुलिसकर्मियों को अवमानना नोटिस जारी किया है।

    जस्टिस मोक्ष खजूरिया काज़मी की पीठ ने अधिवक्ता शकील अहमद और राहुल रैना द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। याचिका में डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य जैसे ऐतिहासिक निर्णयों में दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के बाध्यकारी दिशानिर्देशों के घोर उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, जो मनमानी गिरफ्तारी और हिरासत में दुर्व्यवहार के खिलाफ प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का आदेश देते हैं।

    याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि पंजाब के रहने वाले पीड़ितों के साथ गैरकानूनी हिरासत में अमानवीय व्यवहार किया गया, जिससे सत्ता के दुरुपयोग और पुलिस की ज्यादतियों पर गंभीर चिंताएँ पैदा होती हैं।

    यह भी आरोप लगाया गया कि मज़दूरों को हिरासत में लेने में कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई और हिरासत में लगी चोटों के चिकित्सीय साक्ष्य भी रिकॉर्ड में दर्ज किए गए।

    आरोपों का संज्ञान लेते हुए, उच्च न्यायालय ने दोषी अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया और उन्हें अगली सुनवाई तक जवाब देने का निर्देश दिया। मामला अब 3 सितंबर, 2025 के लिए सूचीबद्ध है।

    याचिकाकर्ताओं के विद्वान वकील ने दलील दी कि प्रतिवादियों ने 30 जून, 2025 को लगभग 12:30 बजे, बिना किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए, याचिकाकर्ताओं को अवैध और मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया।

    यह भी दलील दी गई कि गिरफ्तारी की कोई कानूनी आवश्यकता न होने के बावजूद, याचिकाकर्ताओं को हिरासत में क्रूरतापूर्वक प्रताड़ित किया गया।

    यह घटनाक्रम हिरासत में हिंसा के प्रति न्यायपालिका की बढ़ती असहिष्णुता को रेखांकित करता है तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों के कानून के शासन को बनाए रखने के कर्तव्य को मजबूत करता है।

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