ई-कोर्ट परियोजना का तीसरा चरण भारतीय न्यायिक प्रणाली में व्यापक परिवर्तन लाएगा: चीफ जस्टिस जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाइकोर्ट
Amir Ahmad
1 Jun 2024 2:06 PM IST
जम्मू एंड कश्मीर तथा लद्दाख हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह ने शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि ई-कोर्ट का तीसरा चरण आने वाले दिनों में समग्र भारतीय न्यायिक परिदृश्य में नाटकीय परिवर्तन लाने वाला।
उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि टेक्नोलॉजी के हस्तक्षेप के कारण उत्पन्न भय दूर हो गया और न्याय वितरण प्रणाली न केवल सुविधाजनक हो गई, बल्कि केस सूचना प्रणाली, डिजिटलीकरण, ई-फाइलिंग और ई-भुगतान आदि की शुरूआत के माध्यम से आम जनता के लिए पारदर्शी और सुलभ भी हो गई।
चीफ जस्टिस ने यह टिप्पणी उत्तरी क्षेत्र हाइकोर्ट के लिए दो दिवसीय ई-कोर्ट चरण III क्षेत्रीय क्लस्टर कार्यशाला का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए की जो कि जम्मू-कश्मीर न्यायिक अकादमी श्रीनगर में आयोजित की जा रही है। दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान और इलाहाबाद के हाइकोर्ट के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख के हाइकोर्ट के प्रतिनिधि उक्त वर्कशॉप में भाग ले रहे हैं, जिसकी अध्यक्षता भारत सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के सदस्य और एनआईसी, पुणे की टीम कर रही है।
चीफ जस्टिस ने जस्टिस अतुल श्रीधरन, अध्यक्ष आईटी समिति, माननीय रजनीश ओसवाल, जस्टिस संजय धर और माननीय जस्टिस राहुल भारती, सदस्य, आईटी समिति, जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाइकोर्ट की उपस्थिति में हाइकोर्ट के जम्मू विंग से वर्कशॉप का वर्चुअल उद्घाटन किया।
जस्टिस संजय धर ने कार्यक्रम स्थल पर अपनी शारीरिक उपस्थिति से इस अवसर की शोभा बढ़ाई, जबकि जस्टिस विनोद चटर्जी कौल, जस्टिस वसीम सादिक नरगल, जस्टिस श्राजेश सेखरी और जस्टिस मुहम्मद यूसुफ वानी सहित आईटी समिति के अन्य सदस्य हाईकोर्ट के जम्मू विंग से वर्चुअल रूप से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
अपने उद्घाटन भाषण में चीफ जस्टिस ने ई-कोर्ट परियोजना की यात्रा शुरू करते हुए इस बात पर विचार-विमर्श किया कि इसने यात्रा के दौरान आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर काबू पाकर न्यायिक व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं के परिवर्तन प्रबंधन और संक्रमण में कैसे मदद की।
टेक्नोलॉजी के लाभों पर प्रकाश डालते हुए जस्टिस कोटिश्वर ने इस बात पर जोर दिया कि वर्कशॉप में संयुक्त सचिव, न्याय विभाग, भारत सरकार के वर्चुअल मोड और रिमोट जॉइनिंग के माध्यम से प्रतिभागियों को संबोधित करना न्यायिक बुनियादी ढांचे में हुई टेक्नोलॉजी प्रगति के कारण ही संभव हो पाया।
जस्टिस संजय धर, सदस्य आईटी समिति, जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाइकोर्ट ने अपने संबोधन में ई-कोर्ट परियोजना के विकास के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को साझा किया और आशा व्यक्त की कि परियोजना का तीसरा चरण न्याय वितरण प्रणाली में वरदान साबित होगा। उन्होंने जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाइकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बदर दुरेज अहमद के योगदान की सराहना की, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के हाइकोर्ट और जिला न्यायपालिका दोनों में ई-कोर्ट पहल को गति प्रदान की।
जस्टिस धर ने प्रतिनिधियों से वर्तमान वर्कशॉप से अधिकतम लाभ उठाने का आग्रह किया। भारत सरकार के न्याय विभाग के संयुक्त सचिव पी.पी. पांडे ने नई दिल्ली से उद्घाटन सत्र को वर्चुअली संबोधित किया और ई-कोर्ट परियोजना के लक्ष्यों को समय पर प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों की सराहना की। उन्होंने यह कहते हुए अपनी आशा व्यक्त की कि ई-कोर्ट परियोजना का तीसरा चरण भारतीय न्यायिक प्रणाली को टेक्नोलॉजी के उपयोग के मामले में दुनिया में बहुत आगे ले जाएगा। उन्होंने प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में भारत सरकार के न्याय विभाग के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।
भारत के सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति की सदस्य (मानव संसाधन) अरुलमोझी सेल्वी ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में इस तरह की वर्कशॉप का आयोजन करना चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) की पहल थी, जिससे टेक्नोलॉजी में विकास और प्रोजेक्ट की जरूरतों को वास्तविक हितधारकों के दरवाजे तक पहुंचाया जा सके।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर न्यायिक अकादमी के निदेशक वाई.पी. बौर्नी ने औपचारिक स्वागत भाषण दिया और कार्यक्रम का जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाइकोर्ट के यूट्यूब चैनल पर सीधा प्रसारण भी किया गया। इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों और अतिथियों में शामिल थे- डीसी रैना, एडवोकेट जनरल, ताहिर शम्सी, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल, भारत, शहजाद अज़ीम, रजिस्ट्रार जनरल, जावद अहमद, पीडीजे, श्रीनगर, तस्लीम आरिफ, रजिस्ट्रार विजिलेंस, राजेंद्र सप्रू, रजिस्ट्रार रूल्स, संदीप कौर, रजिस्ट्रार न्यायिक (जम्मू), प्रेम सागर, सचिव, हाइकोर्ट कानूनी सेवा समिति, रजनी शर्मा, संयुक्त रजिस्ट्रार (न्यायिक), जम्मू और अब्दुल बारी, संयुक्त रजिस्ट्रार (न्यायिक), श्रीनगर।