मध्यस्थ के समक्ष प्रभावी समाधान उपलब्ध होने पर रिट सुनवाई योग्य नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

15 April 2024 10:12 AM GMT

  • मध्यस्थ के समक्ष प्रभावी समाधान उपलब्ध होने पर रिट सुनवाई योग्य नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने माना कि जब याचिकाकर्ता मध्यस्थ के समक्ष प्रभावी संविदात्मक उपाय का लाभ उठाने में विफल रहे तो रिट पर विचार नहीं किया जाएगा।

    जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की पीठ ने कहा कि केवल इसलिए कि नामित मध्यस्थ प्रतिवादी निगम का प्रबंध निदेशक है, यह नहीं माना जा सकता है कि वह मध्यस्थ के रूप में अपने कार्यों का निष्पक्ष रूप से निर्वहन नहीं कर पाएगा।

    कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को अनुबंध के तहत विस्तार का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है। मामले में यह देखा गया कि विस्तार का मुद्दा यूनियन ऑफ इंडिया को तय करना है और प्रतिवादी ने इस मामले को यूनियन ऑफ इंडिया के साथ आगे बढ़ाया, जिसने इसे बढ़ाने से इनकार कर दिया।

    न्यायालय ने कहा कि प्रतिवादी की शिकायत का समाधान मध्यस्थता के माध्यम से किया जा सकता है। यह माना गया कि जब याचिकाकर्ता मध्यस्थ के समक्ष प्रभावी संविदात्मक उपाय का लाभ उठाने में विफल रहते हैं तो रिट पर विचार नहीं किया जाएगा।

    न्यायालय ने माना कि केवल इसलिए कि नामांकित मध्यस्थ प्रतिवादी निगम का प्रबंध निदेशक है, यह नहीं माना जा सकता है कि वह मध्यस्थ के रूप में अपने कार्यों का निष्पक्ष रूप से निर्वहन करने में सक्षम नहीं होगा।

    न्यायालय ने कहा कि केवल इसलिए कि प्रतिवादी नंबर 2 को प्रशासनिक कर्तव्यों का पालन करना आवश्यक है, यह नहीं माना जा सकता है कि वह कानून के अनुसार मध्यस्थ के रूप में अपने कर्तव्यों को निभाने में विफल रहेगा। यह माना गया कि नोटिस जारी करना और विवाद पर निर्णय लेना दो अलग-अलग पहलू हैं, जिन्हें प्रतिवादी नंबर 2 द्वारा निष्पादित किया जा सकता है।

    तदनुसार, न्यायालय ने माना कि प्रभावोत्पादक संविदात्मक उपचार उपलब्ध होने के कारण रिट पर विचार नहीं किया जा सकता है।

    केस टाइटलः रमेश कुमार खंडेलवाल बनाम मध्य प्रदेश राज्य, WP No 11123/2019

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