केरल हाइकोर्ट ने शिक्षा और सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की याचिका पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया

Amir Ahmad

17 Jan 2024 10:34 AM GMT

  • केरल हाइकोर्ट ने शिक्षा और सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की याचिका पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया

    केरल हाइकोर्ट ने शिक्षा और सार्वजनिक रोजगार में समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करने वाली ट्रांसजेंडर व्यक्ति द्वारा दायर याचिका में स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया।

    जस्टिस देवन रामचंद्रन ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा,

    "हम जाति, पंथ, समुदाय, रंग, शिक्षा, भाषा के लिए आरक्षण दे सकते हैं, लेकिन आप किसी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए आरक्षण नहीं दे सकते, क्योंकि उसे मुख्यधारा में नहीं माना जाता।”

    याचिकाकर्ता का दावा है कि राज्य सरकार और लोक सेवा आयोग (PSC) NALSA बनाम भारत संघ (2014) मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षण प्रदान करने में विफल रहे।

    कोर्ट ने टिप्पणी की कि NALSA बनाम यूनियन इज इंडिया मामले में फैसला संविधान की प्रस्तावना की तरह है।

    आदेश में कहा गया,

    "पी8 के फैसले को ध्यान में रखते हुए मैं स्वत: संज्ञान लेते हुए भारत संघ को पक्षकार बनाता हूं।"

    कोर्ट ने PSC को भी नोटिस जारी किया और राज्य के वकील से निर्देश प्राप्त करने को कहा।

    याचिकाकर्ता अकैडमिक रूप से योग्य होने का दावा करता है और टीचर फील्ड में अपना करियर बनाना चाहता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि PSC ने विज्ञापित और भर्ती किए गए किसी भी पद पर ट्रांसजेंडर समुदाय के किसी भी व्यक्ति को नियुक्त नहीं किया। याचिकाकर्ता PSC द्वारा आयोजित यूपी स्कूल सहायक या हाईस्कूल शिक्षक के लिए चयन प्रक्रिया में भाग लेना चाहता है।

    यह कहा गया कि NALSA में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद PSC ने अभी तक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आरक्षण शुरू नहीं किया।

    याचिका में कहा गया,

    “यह उल्लेख करने योग्य है कि NALSA बनाम UNION OF INDIA निर्णय के बाद जारी अधिसूचना में, श्रेणी नंबर 517/2019 के रूप में असाधारण राजपत्र दिनांक 31/12/2019 में प्रकाशित और संबंधित रैंक सूची से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि ट्रांसजेंडर समुदाय से संबंधित व्यक्तियों के लिए कोई आरक्षण प्रदान नहीं किया गया और किसी भी ट्रांसजेंडर व्यक्ति को रैंक सूची में भी शामिल नहीं किया गया। लेकिन वास्तव में, उपरोक्त दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया और केरल लोक सेवा आयोग द्वारा रोजगार के लिए एक भी ट्रांसजेंडर व्यक्ति का चयन नहीं किया गया।''

    याचिकाकर्ता ने शिक्षा और रोजगार में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षण प्रदान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लागू करने के लिए न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की। इसने विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आरक्षण के प्रावधानों को शामिल करने के लिए राज्य सरकार और पीएससी को निर्देश देने की भी मांग की।

    यह याचिका वकील पद्मा लक्ष्मी और मरियम्मा ए के, हसीना टी द्वारा दायर की गई।

    केस टाइटल- अनीरा कबीर सी बनाम केरल राज्य

    केस नंबर- WP(C) 1970/2024

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