निर्धारित योग्यता नहीं रखने वाले व्यक्ति को नियुक्ति नहीं दी जा सकती, भले ही वे भर्ती के लिए निर्धारित सभी परीक्षाओं में उत्तीर्ण हों: जम्मू-कश्मीर हाइकोर्ट

Amir Ahmad

5 Feb 2024 6:41 AM GMT

  • निर्धारित योग्यता नहीं रखने वाले व्यक्ति को नियुक्ति नहीं दी जा सकती, भले ही वे भर्ती के लिए निर्धारित सभी परीक्षाओं में उत्तीर्ण हों: जम्मू-कश्मीर हाइकोर्ट

    जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाइकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भले ही कोई उम्मीदवार भर्ती परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करता हो, लेकिन बुनियादी पात्रता मानदंडों की कमी होने पर उन्हें नियुक्त नहीं किया जा सकता।

    जस्टिस संजीव कुमार ने मैट्रिक योग्यता न होने के बावजूद भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कांस्टेबल (GD) के लिए चयन प्रक्रिया में भाग लेने वाले व्यक्ति द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए कहा,

    "भर्ती के लिए पात्रता चयन के मूल है और जिस व्यक्ति के पास निर्धारित योग्यता नहीं है, उसे पद के विरुद्ध नियुक्त नहीं किया जा सकता। भले ही उसने ऐसी भर्ती के लिए निर्धारित सभी परीक्षण उत्तीर्ण कर लिए हों। "

    मामले की पृष्ठभूमि

    याचिकाकर्ता ने आईटीबीपी द्वारा विज्ञापित 6224 कांस्टेबल रिक्तियों के लिए चयन प्रक्रिया में भाग लिया। उन्होंने अस्थायी रूप से लिखित परीक्षा उत्तीर्ण की और अंतिम चयनित उम्मीदवार से अधिक अंक प्राप्त किए। हालांकि अंतिम जांच के दौरान यह पता चला कि उनके पास विज्ञापन में निर्धारित मैट्रिकुलेशन या इसके समकक्ष की न्यूनतम योग्यता नहीं है। अच्छे अंक प्राप्त करने के बावजूद अयोग्यता के कारण उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई।

    याचिकाकर्ता ने अंतिम सूची से खुद को बाहर किए जाने को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि परीक्षाओं में उनके प्रदर्शन के आधार पर उनके नाम पर विचार किया जाना चाहिए।

    न्यायालय की टिप्पणियां

    जस्टिस कुमार ने मामले पर फैसला सुनाते हुए इस बात पर जोर दिया कि पात्रता मानदंड चयन प्रक्रिया की नींव बनाते हैं। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, भले ही कोई उम्मीदवार बाद के चरणों में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन करता हो।

    योग्यता आवश्यकताओं को निर्धारित करने और उनके समकक्ष योग्यताओं को मान्यता देने के सरकार के विशेषाधिकार को स्वीकार करते हुए पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायालय इस क्षेत्र में प्रवेश करने और उन योग्यताओं को निर्धारित करने के इच्छुक नहीं हैं, जो किसी पद पर भर्ती के लिए निर्धारित विशेष योग्यता के बराबर हैं।

    इस मामले में अदालत ने बताया कि सरकार ने जामिया उर्दू, अलीगढ़ से अदीब योग्यता को उस स्तर पर उर्दू दक्षता की आवश्यकता वाले पदों के लिए मैट्रिकुलेशन के बराबर मान्यता दी। हालांकि, कांस्टेबल पद के लिए ऐसी उर्दू विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है।

    जस्टिस कुमार ने यह देखते हुए कि ग्रेड बनाना बुनियादी योग्यताओं की अनिवार्यता की जगह नहीं ले सकता, कहा,

    "इस तथ्य के संबंध में कोई विवाद नहीं है कि कांस्टेबल का पद ऐसा नहीं है जिसके लिए मैट्रिकुलेशन मानक के उर्दू ज्ञान की आवश्यकता होगी। इसका मतलब यह होगा कि याचिकाकर्ता के पास जामिया उर्दू, अलीगढ़ से अदीब की योग्यता है। 10वीं या समकक्ष योग्यता नहीं रखता है, इसलिए कांस्टेबल (GD) के रूप में नियुक्त होने के लिए पात्र नहीं है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि उन्होंने चयन प्रक्रिया में अस्थायी रूप से भाग लिया है और यहां तक ​​कि ग्रेड भी बना लिया है।''

    इन टिप्पणियों के आलोक में अदालत ने अनिवार्य योग्यता की कमी के कारण याचिकाकर्ता की अयोग्यता को बरकरार रखते हुए याचिका खारिज की।

    केस टाइटल- विशाल खजूरिया बनाम कर्मचारी चयन आयोग

    साइटेशन- लाइव लॉ (जेकेएल) 12 2024

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