जमानत के बावजूद हिरासत केंद्रों में रखे जा रहे विदेशियों के मामलों का ट्रायल कोर्ट को शीघ्र निपटान करना चाहिए: दिल्ली हाइकोर्ट

Amir Ahmad

3 Feb 2024 8:57 AM GMT

  • जमानत के बावजूद हिरासत केंद्रों में रखे जा रहे विदेशियों के मामलों का ट्रायल कोर्ट को शीघ्र निपटान करना चाहिए: दिल्ली हाइकोर्ट

    दिल्ली हाइकोर्ट ने उन विदेशी नागरिकों के खिलाफ मामलों के शीघ्र निपटान की आवश्यकता पर जोर दिया, जिन्हें जमानत मिलने के बावजूद हिरासत केंद्रों में रखा गया है, जिससे लंबी अवधि तक मामले लंबित रहने के कारण उनकी स्वतंत्रता सीमित हो जाती है।

    जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में ट्रायल अदालतों को समानता और निष्पक्ष खेल के हित में विदेशियों से जुड़े आपराधिक मामलों को शीघ्रता से निपटाना चाहिए। इसके अतिरिक्त यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुकदमों के समापन में देरी के कारण उनकी स्वतंत्रता प्रतिबंधित या कम न हो।

    अदालत ने आदेश दिया,

    "इस आदेश की कॉपी अनुपालन के लिए सक्षम प्राधिकारी को भेजी जाए और जानकारी के लिए जिला न्यायपालिका के अधिकारियों को भी प्रसारित की जाए।"

    अदालत ने कहा कि यद्यपि सरकार के पास विदेशियों के प्रवेश और रहने को रेगुलेट करने की पूर्ण शक्ति है, भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 नागरिक और विदेशियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा की गारंटी देता है।

    अदालत ने आगे कहा,

    “कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा किसी भी व्यक्ति को व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता। जमानत पर रिहा किए गए किसी विदेशी को अपील के लंबित रहने के दौरान डिटेंशन सेंटर में हिरासत में रखने की आवश्यकता है, यह प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है।”

    जस्टिस मेंदीरत्ता ने नाइजीरियाई नागरिक द्वारा अपना पासपोर्ट जारी करने और वीजा के अपडेट की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं। यह आवेदन NDPS मामले में अपनी दोषसिद्धि और तीन साल की सजा के खिलाफ विदेशी नागरिक की अपील में दायर किया गया।

    फरवरी, 2017 में विदेशी नागरिक की सजा निलंबित कर दी गई। उसे हाईकोर्ट से जमानत भी मिल गई। पिछले साल अदालत ने रजिस्ट्री को उसका पासपोर्ट जारी करने का निर्देश दिया और उसे नाइजीरिया के उच्चायोग को अपने पासपोर्ट के अपडेट के लिए आवश्यक आवेदन करने की अनुमति दी।

    विदेशी नागरिक के वकील ने कहा कि पासपोर्ट को अपडेट कर दिया गया, लेकिन उचित श्रेणी के वीज़ा के अपग्रेडेशन के लिए निर्देश जारी करने की आवश्यकता है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसकी अपील लंबित रहने के दौरान भारत में रहने की अनुमति मिल सके।

    यह देखते हुए कि लंबित अपीलीय कार्यवाही के कारण विदेशी नागरिक को भारत में रुकने के लिए बाध्य किया गया, अदालत ने उसे अपनी अपील की लंबित अवधि के दौरान वीज़ा के विस्तार के अनुदान के लिए आवेदन दायर करने की अनुमति दी और अधिकारियों को इसे समयबद्ध ढंग से निपटाने का निर्देश दिया।

    इसमें कहा गया कि उचित श्रेणी के वीजा के एक्सटेंशन के अभाव में विदेशी नागरिक को उसकी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और उसकी सजा के निलंबन और जमानत दिए जाने के बावजूद डिटेंशन सेंटर में नहीं रखा जाना चाहिए।

    अदालत ने कहा,

    “आपराधिक मामलों में फंसे विदेशी नागरिकों के सामने आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए यह मामला महत्वपूर्ण है, क्योंकि जमानत का लाभ दिए जाने के बावजूद हिरासत केंद्रों में कैद के कारण उनकी आवाजाही प्रतिबंधित रहती है।”

    अपीलकर्ता के वकील- विकास वालिया, दृष्टि हरपलानी और यश बंसल।

    प्रतिवादी के वकील- अजय विक्रम सिंह, कीर्तिमान सिंह, वाइज अली नूर और विधि जैन, एफआरआरओ के वकील के साथ।

    केस टाइटल- माइकल बेन्सन नवाओगु चुना बेन्सन बनाम राज्य

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