आईटी नियम 2021| केरल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से 'मध्यस्थ' की भूमिका स्पष्ट करने को कहा

LiveLaw News Network

20 Feb 2024 11:59 AM GMT

  • आईटी नियम 2021| केरल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से मध्यस्थ की भूमिका स्पष्ट करने को कहा

    केरल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के नियम 3(i)(डी) और नियम 3(ii)(ए) के तहत मध्यस्थ के कर्तव्यों, जिम्मेदारियों और शक्तियों के दायरे को समझाने का निर्देश दिया है। जस्टिस देवन रामचन्द्रन की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई की।

    मामले में याचिकाकर्ता, जो कि मार्थोमा ईसाई समुदाय का हिस्सा है, मार्थोमा बिशप आरटी रेव्ह डॉ यूयाकिम मार कूरिलोस पर एक यूट्यूब वीडियो से व्यथित होकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनका आरोप है कि वीडियो से सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा हुआ।

    याचिकाकर्ता ने आईटी नियमों के तहत छठे और सातवें प्रतिवादियों (यूट्यूब और यूट्यूब के लिए शिकायत अधिकारी, गूगल एलएलसी - भारत संपर्क कार्यालय) के खिलाफ आधिकारिक शिकायत दर्ज की थी, जिसका समाधान नहीं किया गया था।

    गूगल की ओर से पेश वकील श्री संतोष मैथ्यू ने प्रस्तुत किया कि उनके द्वारा नियुक्त शिकायत अधिकारी को, नग्नता या उन मामलों को छोड़कर जिनका‌ जिक्र नियम 2(बी) के तहत किया गया है, किसी भी ऐसी शिकायत से निपटने का कोई अधिकार नहीं है जो अदालत के आदेश या सरकार द्वारा अधिसूचना द्वारा समर्थित नहीं है।

    अदालत ने बताया कि 'मध्यस्थों द्वारा सम्यक उद्यम' विषय के तहत नियम 3(i)(बी) निर्दिष्ट करता है कि वे अदालत के आदेशों या सरकारी अधिसूचनाओं के आधार पर कार्य करेंगे, लेकिन नियम 3(ii)(ए) शिकायत अधिकारी को 'नियम' के प्रावधानों के उल्लंघन के खिलाफ शिकायतों पर विचार करने के लिए बाध्य करता है, हालांकि यदि Google का तर्क स्वीकार कर लिया जाता है तो बाद वाला "अनावश्यक" हो जाएगा।

    कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला,

    “यदि स्वीकार किया जाता है तो वाक्यांश 'उपयोगकर्ता या पीड़ित नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन के खिलाफ शिकायत कर सकता है' वास्तव में अनावश्यक प्रतीत होगा। यह न्यायालय निश्चित नहीं है कि प्रावधानों को इसी तरीके से डिज़ाइन किया गया है; और इसलिए, मेरा विचार है कि भारत सरकार को इसका विशेष रूप से उत्तर देना चाहिए।''

    मामले की सुनवाई एक मार्च 2023 को तय की गई है।

    केस टाइटल: अनीश के. थंकाचन

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