विकलांगता पेंशन| पेंशन का दावा करने के लिए किसी योग्यता सेवा की आवश्यकता नहीं है, रोग और सेवा के बीच संबंध को साबित करने का दायित्व नियोक्ता पर: गुवाहाटी हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
29 Feb 2024 10:01 PM IST
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में उन आदेशों को रद्द कर दिया जिनके द्वारा विकलांगता पेंशन के लिए एक पूर्व राइफलमैन (असम राइफल्स) का दावा महानिदेशक (असम राइफल्स) ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि उक्त आदेश अवैध और मनमाने हैं जो सीसीएस (असाधारण पेंशन नियम), 1939 के नियम 3(ए) के तहत उक्त राइफलमैन का कानूनी अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
जस्टिस अरुण देव चौधरी की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा,
“...विकलांगता पेंशन के मामले में यह नियोक्ता ही होता है जो कर्मचारी को इस संतुष्टि के बाद बर्खास्त कर देता है कि वह अपने कर्तव्यों का पालन करने में अक्षम हो गया है और ऐसी विकलांगता उसकी सेवा शर्तों के कारण है या सेवा शर्तों के कारण बढ़ी है। इसलिए, विधायिका ने अपने विवेक से नियम 1939 के नियम 3 (ए) के तहत विकलांगता पेंशन के लिए किसी भी योग्यता सेवा को निर्धारित नहीं किया है।"
16 मई, 2002 के हाईकोर्ट के आदेश के तहत, एक चिकित्सा परीक्षा आयोजित की गई और यह निष्कर्ष निकाला गया कि याचिकाकर्ता "गैर-जैविक मनोविकृति" से पीड़ित था, जो कि सेवा शर्तों के कारण नहीं था और न ही बढ़ा था और इसलिए, याचिकाकर्ता विकलांगता पेंशन का हकदार नहीं था। 04 अक्टूबर, 2002 और 06 जनवरी, 2011 के आक्षेपित आदेशों से व्यथित होकर, वर्तमान रिट याचिका दायर की गई थी।
न्यायालय ने अवैध और मनमाना होने के कारण विवादित आदेशों को रद्द कर दिया। इसने उत्तरदाताओं को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता को चिकित्सा आधार पर उसकी छुट्टी की तारीख से 6 महीने के भीतर विकलांगता पेंशन दें, ऐसा न करने पर उक्त पेंशन पर 6% का ब्याज लगाया जाएगा।
केस साइटेशन: 2024 लाइवलॉ (गौ) 13
केस टाइटल: मोहन सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य।
केस नंबर: WP(C)/7975/2018