असम पंचायत नियमों का नियम 47(1) सिर्फ़ बाज़ार सेटलमेंट के लिए सबसे ज़्यादा बोली की सीमा तय करता है, सबसे कम सही दर तय नहीं करता: गुवाहाटी हाईकोर्ट

Shahadat

25 Dec 2025 12:42 PM IST

  • असम पंचायत नियमों का नियम 47(1) सिर्फ़ बाज़ार सेटलमेंट के लिए सबसे ज़्यादा बोली की सीमा तय करता है, सबसे कम सही दर तय नहीं करता: गुवाहाटी हाईकोर्ट

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा कि असम पंचायत (वित्तीय) नियम, 2002 का नियम 47(1) सिर्फ़ बाज़ारों के सेटलमेंट के लिए ऊपरी सीमा तय करता है और कानूनी योजना में किसी न्यूनतम या "सबसे कम सही" बोली की शर्त को पढ़ने की अनुमति नहीं देता है।

    कोर्ट ने आगे कहा कि टेंडर से जुड़े आंकड़ों से निकाले गए प्रशासनिक नोटिस या अनुमानों का इस्तेमाल नियम 47(1) में ऐसी शर्तें जोड़ने के लिए नहीं किया जा सकता, जो नियम में खुद नहीं दी गईं।

    जस्टिस देवाशीष बरुआ ने नियम 47(1) के दायरे की जांच करते हुए कहा,

    "ऊपर बताए गए नियम को देखने से पता चलता है कि इस नियम के तहत सीलबंद टेंडर बुलाकर कोर्ट फीस स्टैंप लगाकर हाट, घाट या मछली पालन का सेटलमेंट ऐसी रकम के लिए होना चाहिए, जो संबंधित हाट, घाट, मछली पालन, तालाब वगैरा के पिछले तीन सालों के औसत सेटलमेंट मूल्य के 10% से ज़्यादा न हो। यह नियम सिर्फ़ बोली के मूल्य की ऊपरी सीमा पर रोक लगाता है, लेकिन बोली के सबसे कम मूल्य के बारे में कुछ नहीं कहता है।"

    कोर्ट ने आगे साफ किया,

    "इस कोर्ट की राय में 07.06.2025 का टेंडर नोटिस, 16.06.2025 का कंटिन्यूएशन नोटिस और 2002 के नियमों का नियम 47(1) यह ज़रूरी नहीं करते कि बताई जाने वाली दर पिछले तीन सालों के सेटलमेंट मूल्य के औसत और पिछले तीन सालों के सेटलमेंट मूल्य के 10% के बीच होनी चाहिए। इस कोर्ट की राय में अगर याचिकाकर्ताओं की बात मान ली जाती है तो यह एक ऐसी शर्त को शामिल करना होगा, जो न तो टेंडर की शर्तों का हिस्सा है और न ही 2002 के नियमों का।"

    2002 के नियमों के नियम 47(1) के अनुसार,

    “47.(1) ऐसे बाज़ार या घाट या मछली पालन या पशु बाड़े जो अधिनियम की धारा 105, 106, 107, 108 और 109 के तहत पंचायत के नियंत्रण और प्रशासन में हैं, उन्हें सीलबंद टेंडर आमंत्रित करके निपटाया जाएगा, जिसमें प्रचलित राशि के लिए कोर्ट फीस स्टाम्प लगाया जाएगा और बिक्री के लिए न्यूनतम बोली मूल्य के दो प्रतिशत से कम नहीं की बयाना राशि जमा की जाएगी और बाज़ारों या घाटों या मछली पालन और पशु बाड़ों के संबंध में अधिकृत फीस वसूलने के अधिकार का निपटारा एक पंचायत के वित्तीय वर्ष के बराबर अवधि के लिए किया जाएगा। इस प्रकार प्राप्त बयाना राशि को इन नियमों की अनुसूची के फॉर्म नंबर 12 में एक रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा।”

    उपरोक्त फैसला रिट याचिका में दिया गया, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने प्रतिवादी के पक्ष में बालिसत्रा अर्ध साप्ताहिक बाज़ार के निपटारे को चुनौती दी। गौरतलब है कि यह निपटारा मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नागांव जिला परिषद द्वारा शुरू की गई एक टेंडर प्रक्रिया के तहत किया गया।

    मामले के तथ्यों के अनुसार, वर्ष 2025-2026 के लिए विभिन्न बाज़ारों के निपटारे के लिए एक टेंडर नोटिस जारी किया गया, जिसमें बालिसत्रा अर्ध साप्ताहिक बाज़ार भी शामिल है। इसके बाद एक निरंतरता नोटिस जारी किया गया, जिसमें पिछले तीन वर्षों के निपटारे के मूल्य, उनका औसत, और उक्त औसत में दस प्रतिशत जोड़ने के बाद प्राप्त आंकड़ा बताया गया।

    जैसा कि कोर्ट ने नोट किया, याचिकाकर्ताओं का मामला यह है कि निरंतरता नोटिस में बताए गए आंकड़ों पर भरोसा करते हुए उन्हें लगा कि निपटारा उन्हीं आंकड़ों के अनुसार किया जाएगा। याचिकाकर्ताओं ने टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। बाद में उन्हें पता चला कि आनुपातिक गणना के बाद बाज़ार का निपटारा प्रतिवादी के पक्ष में 66,23,866/- रुपये के वार्षिक मूल्य पर किया गया।

    इस निपटारे से व्यथित होकर याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट का रुख किया और तर्क दिया कि यह निपटारा टेंडर से संबंधित नोटिस और लागू नियमों के विपरीत है, जिसके कारण यह वर्तमान रिट याचिका दायर की गई।

    नियम 47(1) की जांच करने के बाद कोर्ट ने कहा कि नियम में बोली के सबसे कम मूल्य के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं है। यह केवल निर्धारित ऊपरी सीमा से परे निपटारे को प्रतिबंधित करता है।

    कोर्ट ने कहा,

    "जिस आधार पर यह रिट याचिका दायर की गई, वह गलत लगता है, क्योंकि सबसे ज़्यादा मुमकिन रेट तो तय किया गया, लेकिन सबसे कम मुमकिन रेट तय नहीं किया गया। इसमें यह भी ज़रूरी नहीं है कि बोली की कीमत पिछले तीन सालों के सेटलमेंट रेट के औसत यानी 1,48,00,350/- रुपये और पिछले तीन सालों के सेटलमेंट रेट के औसत में 10% बढ़ोतरी यानी 1,62,80,385/- रुपये के बीच हो।"

    कोर्ट ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि याचिकाकर्ताओं ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया।

    कोर्ट ने कहा,

    "इस कोर्ट के सामने ऐसा कुछ नहीं लाया गया, जिससे पता चले कि याचिकाकर्ताओं में ऐसी टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेने की क्षमता है। याचिकाकर्ताओं ने टेंडर नोटिस और कंटिन्यूएशन नोटिस के क्लॉज़ 12 के संबंध में स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा। असल में, याचिकाकर्ताओं ने 03.10.2025 को ही एक रिप्रेजेंटेशन जमा किया। याचिकाकर्ताओं की स्थिति घुसपैठियों जैसी है। इसलिए इस कोर्ट की यह भी राय है कि याचिकाकर्ताओं के पास प्रतिवादी नंबर 5 के पक्ष में बोली सेटलमेंट को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है।"

    इसलिए कोर्ट ने याचिका खारिज की और प्रतिवादी के पक्ष में किए गए सेटलमेंट को सही ठहराया।

    Case Title: Hementa Kumar Nath and Another v. State of Assam and Others

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