पत्नी के देर से लगाए गए क्रिमिनल आरोप, पति के लगातार क्रूरता के सबूतों से ज़्यादा भारी नहीं हो सकते: दिल्ली हाईकोर्ट
Shahadat
20 Nov 2025 8:24 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी के देर से लगाए गए क्रिमिनल आरोप, पति के लगातार क्रूरता के सबूतों को कम नहीं कर सकते या उनसे ज़्यादा भारी नहीं हो सकते।
जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस रेणु भटनागर की डिवीजन बेंच ने फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें पत्नी की क्रूरता के आधार पर शादी तोड़ने की पति की अर्जी खारिज कर दी गई थी।
उसका मामला यह था कि पत्नी ने उसके साथ क्रूरता की, यह दावा करते हुए कि— वह उसके बूढ़े माता-पिता से अलग रहने पर ज़ोर देती थी, अपने नाम पर एक नया घर मांगती थी, अपनी सास के बारे में बार-बार गाली-गलौज करती थी, फिजिकल रिलेशन बनाने से मना कर देती थी, उसे और उसके परिवार को झूठे क्रिमिनल केस में फंसाने की धमकी देती थी, कपड़े और गहने लेकर शादी का घर छोड़ देती थी। उसके बाद उसके और उसके परिवार के मना करने के बावजूद साथ रहने से मना कर देती थी।
पति की अपील को मंज़ूरी देते हुए कोर्ट ने देखा कि पत्नी के बार-बार गाली-गलौज, आत्महत्या की धमकियों, साथ रहने से पीछे हटने और आखिर में छोड़ देने के बारे में पति की गवाही क्रॉस-एग्जामिनेशन में एक जैसी और काफी हद तक वैसी ही रही।
इसमें यह भी कहा गया कि सबूतों से यह साबित होता है कि पत्नी के व्यवहार से पति और उसके परिवार को लगातार मानसिक तनाव और बेइज्जती झेलनी पड़ी।
बेंच ने देखा कि दहेज की मांग और पति के पिता द्वारा छेड़छाड़ की कोशिश के पत्नी के आरोपों को उस समय कोई सपोर्ट नहीं मिला।
इसने नोट किया कि पति की तलाक की अर्जी फाइल करने से पहले किसी भी समय कोई शिकायत, FIR या बचाव की कार्रवाई शुरू नहीं की गई।
कोर्ट ने कहा कि मुकदमे के बाद क्रिमिनल कार्रवाई शुरू करने से यह साफ पता चलता है कि आरोप असली या तुरंत हुई शिकायत को दिखाने के बजाय, रिएक्टिव, बढ़ा-चढ़ाकर या अधूरे थे।
इसने कहा कि पत्नी के देर से लगाए गए क्रिमिनल आरोप पति के लगातार क्रूरता के लगातार सबूतों को कम नहीं कर सकते या उनसे ज़्यादा नहीं हो सकते।
पत्नी के इस आरोप पर कि उसके ससुर ने उसके साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की, कोर्ट ने कहा कि अगर यह मान भी लिया जाए कि ऐसा आरोप सच है तो भी साथ रहना लगभग नामुमकिन हो जाता है, “क्योंकि ऐसा बुनियादी दावा परिवारों के बीच आपसी भरोसे की जड़ पर चोट करता है।”
कोर्ट ने कहा कि एक बार जब कोई पति या पत्नी दूसरे पक्ष के करीबी रिश्तेदारों पर यौन गलत व्यवहार का आरोप लगाता है तो शादी के रिश्ते को फिर से ठीक करने की संभावना पूरी तरह खत्म हो जाती है।
यह देखते हुए कि शादी के मुकदमे अक्सर गहरे इमोशनल निशान छोड़ जाते हैं, कोर्ट ने कहा:
“शादी का टूटना एक की दूसरे पर जीत नहीं है, बल्कि यह कानूनी मान्यता है कि रिश्ता अब ऐसी जगह पहुंच गया, जहां से वापसी नहीं हो सकती। दोनों पक्षों से आग्रह किया जाता है कि वे आगे की सभी बातचीत में खासकर मेंटेनेंस या दूसरी सहायक राहत से जुड़ी किसी भी पेंडिंग या भविष्य की कार्रवाई की स्थिति में तहज़ीब बनाए रखें।”
Title: X v. Y

