पति की गलती के बिना पत्नी का समय-समय पर वैवाहिक घर छोड़ना मानसिक क्रूरता: दिल्ली हाईकोर्ट

Shahadat

5 April 2024 4:22 AM GMT

  • पति की गलती के बिना पत्नी का समय-समय पर वैवाहिक घर छोड़ना मानसिक क्रूरता: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पति की गलती के बिना पत्नी का समय-समय पर वैवाहिक घर छोड़ना मानसिक क्रूरता है।

    जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act) की धारा 13 (1) (i-a) और 13 (1) (i-b) के तहत क्रूरता और पत्नी द्वारा परित्याग के आधार पर एक पति को तलाक दे दिया।

    अदालत ने कहा,

    “यह स्पष्ट मामला है, जहां प्रतिवादी (पत्नी) ने अपीलकर्ता (पति) की ओर से कोई भी कार्य या गलती किए बिना समय-समय पर वैवाहिक घर छोड़ दिया। प्रतिवादी द्वारा समय-समय पर इस तरह की वापसी मानसिक क्रूरता का कार्य है, जिसका अपीलकर्ता को बिना किसी कारण या औचित्य के सामना करना पड़ा।”

    खंडपीठ ने कहा कि विवाह आपसी सहयोग, समर्पण और निष्ठा पर फलता-फूलता है, लेकिन निरंतर चलने वाले झगड़ों से बार-बार अलग होने की हरकतें, केवल इसकी नींव को उखाड़ देती हैं और संघ की पवित्रता को खतरे में डालती हैं।

    अदालत ने कहा,

    "दूरी और परित्याग के तूफ़ान के बीच यह बंधन टूट जाता है, जिसे सुधारा नहीं जा सकता। विश्वास और प्रतिबद्धता के परिदृश्य पर अपूरणीय घाव छोड़ जाता है।"

    इस जोड़े की शादी 1992 में हुई और उनके लड़का और लड़की है। फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक की याचिका खारिज कर दी थी।

    उन्होंने दावा किया कि पत्नी असंयमी और अस्थिर स्वभाव की है, उसने उन पर बहुत अधिक क्रूरताएं कीं और अंततः 2011 सहित कम से कम सात मौकों पर उन्हें छोड़ दिया।

    पति की अपील स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने कहा कि उसकी ओर से क्रूरता का कोई कार्य नहीं किया गया, बल्कि पूरे सबूतों से पता चला कि पत्नी अपनी मां के आचरण से असंतुष्ट थी, जिससे वह वैवाहिक घर में इतनी दुखी थी कि उसे स्थान, नियंत्रण और सम्मान की कमी महसूस होने लगी।

    अदालत ने कहा,

    “हमने पाया कि यह दिखाने के लिए बहुत सारे सबूत हैं कि यह प्रतिवादी ही है, जिसने अपीलकर्ता को अनिश्चितता के जीवन में डाल दिया। इसमें 20 साल साथ बिताने के बावजूद वैवाहिक जीवन में कोई समझौता और मानसिक शांति नहीं है। यह अपीलकर्ता के लिए मानसिक पीड़ा का मामला है, जो अधिनियम की धारा 13(1)(ia) के तहत क्रूरता के आधार पर उसे तलाक का अधिकार देता है।''

    इसमें कहा गया कि पत्नी द्वारा वैवाहिक घर लौटने के लिए कोई गंभीर सुलह प्रयास नहीं किया और पति द्वारा पारिवारिक मित्रों और रिश्तेदारों के माध्यम से प्रयास किए गए, लेकिन सफल नहीं हुए।

    खंडपीठ ने कहा,

    ''इसलिए यह साबित हो गया कि प्रतिवादी ने बिना किसी उचित कारण के अपीलकर्ता को छोड़ दिया और वह परित्याग के आधार पर तलाक का हकदार है।''

    केस टाइटल: एक्स बनाम वाई

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