'गंभीर सामाजिक खतरा': दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटर-स्टेट चाइल्ड ट्रैफिकिंग के आरोप में गिरफ्तार महिलाओं की बेल कैंसिल की
Shahadat
20 Nov 2025 8:40 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने दो महिलाओं की बेल कैंसिल की, जिन पर आरोप है कि वे बड़े पैमाने पर इंटर-स्टेट चाइल्ड ट्रैफिकिंग रैकेट में शामिल थीं, जो पैसे के फायदे के लिए नए जन्मे बच्चों की खरीद-फरोख्त में मदद करती थीं।
जस्टिस अजय दिगपॉल ने कहा,
“कथित अपराध गंभीर और घिनौने हैं, जिनमें नए जन्मे बच्चों की ट्रैफिकिंग शामिल है, जो न केवल बच्चों के अधिकारों और सम्मान को खतरे में डालता है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर करता है। ऐसे अपराधों को पब्लिक ऑर्डर और समाज की नैतिक सोच के लिए गंभीर खतरा माना जाता है।”
प्रॉसिक्यूशन के अनुसार, इन अपराधों में राज्य की सीमाओं के पार फैली बड़ी साज़िश शामिल है, जिसमें कई आरोपी अभी भी फरार हैं। कुछ नाबालिग बच्चों का अभी तक पता नहीं चला है।
इस तरह सिंगल बेंच ने कहा कि सेशंस कोर्ट ने सिर्फ़ इसलिए ज़मानत देकर गलती की, क्योंकि मामले में चार्जशीट फ़ाइल हो चुकी थी।
बेंच ने आगे कहा,
“ASJ ने अपराध के नेचर और गंभीरता, अपराध करने के तरीके और गवाहों को प्रभावित करने की संभावना और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना के साथ-साथ आरोपी लोगों के इसी तरह के अपराध करने की आदत पर ठीक से विचार नहीं किया।”
महिलाओं पर दूसरों के साथ भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा 143(4)/61(2)/3(5) और जुवेनाइल जस्टिस (बच्चों की देखभाल और सुरक्षा) एक्ट, 2015 (JJ Act) की धारा 81 के तहत मामला दर्ज किया गया।
उन पर दिल्ली से राजस्थान और गुजरात तक फैले क्रिमिनल सिंडिकेट में “सेंट्रल लोग” होने का आरोप है।
पूजा को पूरे नेटवर्क की मुख्य आरोपी और ऑपरेशनल हेड बताया गया, जिसने खरीद को फाइनेंस किया, कमीशन तय किया और खरीदारों को फ़ाइनल डिलीवरी का इंतज़ाम किया। बताया गया कि बिमला ट्रैफिकिंग किए गए बच्चों की मुख्य रिसीवर और डिस्ट्रीब्यूटर थी।
इस तरह हाईकोर्ट ने कहा कि गंभीर अपराधों वाले मामलों में बेल के लिए बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि समाज पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है। ऐसे ही अपराधों के दोबारा होने की संभावना भी हो सकती है।
कोर्ट ने कहा,
“हालांकि जांच काफी हद तक पूरी हो चुकी है। फिर भी दूसरे फरार आरोपियों और लापता बच्चों के मामले में यह अभी भी चल रही है। ऐसे हालात में मुख्य आरोपियों को बेल पर रिहा करने से चल रही जांच की निष्पक्षता और ईमानदारी पर असर पड़ सकता है।”
कोर्ट ने आगे कहा कि दोनों महिलाओं पर बार-बार अपराध करने का आरोप है और समुदाय में उनकी मौजूदगी से उनके गवाहों से संपर्क करने या आगे की कार्रवाई में रुकावट डालने की पूरी संभावना है।
इस तरह कोर्ट ने उनकी बेल कैंसिल की और उन्हें सात दिनों के अंदर ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर करने का निर्देश दिया।
Case title: State v. Bimla (and connected matter)

