धोखाधड़ी से मिला कोयला ब्लॉक आवंटन मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी 'संपत्ति' माना जा सकता है: दिल्ली हाईकोर्ट

Praveen Mishra

17 Oct 2025 5:14 PM IST

  • धोखाधड़ी से मिला कोयला ब्लॉक आवंटन मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी संपत्ति माना जा सकता है: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि धोखाधड़ी या भ्रामक जानकारी देकर प्राप्त किया गया कोयला ब्लॉक आवंटन, जिससे अपराध से प्राप्त आय (proceeds of crime) उत्पन्न होती है, धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध बनता है।

    जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि कोयले के खनन और बिक्री से हुई कमाई या उससे प्राप्त वित्तीय लाभों का उपयोग करके संपत्ति अर्जित करना 'अपराध से प्राप्त आय' के अंतर्गत आता है।

    अदालत ने 2022 में पारित एकल न्यायाधीश के फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि केवल कोयले का आवंटन अपने आप में अपराध से प्राप्त संपत्ति नहीं माना जा सकता। एकल न्यायाधीश ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड (PIL) और हाई-टेक मर्केंटाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ जारी अस्थायी कुर्की आदेश (Provisional Attachment Order - PAO) को निरस्त कर दिया था।

    ED द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए, खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन पत्र एक ऐसा दस्तावेज था जो सरकार से खनन पट्टा प्राप्त करने और कोयले का खनन करने का अधिकार प्रदान करता था।

    अदालत ने कहा कि इस आवंटन पत्र का उपयोग PIL ने कोयले के खनन के माध्यम से भारी वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए किया, जो ED द्वारा बताई गई 'अपराध से प्राप्त आय' की नींव थी।

    खंडपीठ ने माना कि चूंकि यह आवंटन पत्र मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया में सहायक था, इसलिए यह न केवल प्रासंगिक है बल्कि PMLA की योजना के तहत मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल संपत्ति (property involved in money laundering) भी माना जाएगा।

    अदालत ने यह भी कहा कि धोखाधड़ी से प्राप्त कोयला ब्लॉक आवंटन पत्र ने PIL को सरकार से खनन पट्टा प्राप्त करने और कोयला निकालने का मूल्यवान अधिकार प्रदान किया।

    खंडपीठ ने कहा कि PIL ने कोयले के खनन और बिक्री से लाभ अर्जित किए या उन लाभों से संपत्तियां प्राप्त कीं, जो PMLA की धारा 2(1)(u) के तहत 'अपराध से प्राप्त आय' के दायरे में आती हैं।

    अदालत ने कहा —

    “जब कोई व्यक्ति अपराध से प्राप्त आय का उपयोग, कब्ज़ा, छिपाव, या उसे वैध दिखाने की प्रक्रिया में शामिल होता है, तो वह मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध करता है। PIL द्वारा इन लाभों का उपयोग और स्वामित्व इस अपराध को स्पष्ट रूप से स्थापित करता है।”

    खंडपीठ ने माना कि ED द्वारा PMLA की धारा 5 के तहत कोयले के “मूल्य” को कुर्क करना उचित था, क्योंकि इसके लिए सभी पूर्व शर्तें पूरी की गई थीं।

    अदालत ने कहा —

    “PIL द्वारा आवंटन के बाद कोयले का खनन, उसका व्यावसायिक उपयोग, लाभ अर्जन या संपत्ति का प्रतिस्थापन — ये सभी आर्थिक श्रृंखला का हिस्सा हैं, जो अवैध आवंटन से उत्पन्न हुई है। इसलिए, प्रवर्तन निदेशालय इन सभी पर कार्रवाई करने के लिए विधिक रूप से सक्षम है।”

    अंत में अदालत ने कहा —

    “04.09.2003 को प्राप्त कोयला ब्लॉक आवंटन पत्र, जो मिथ्या प्रस्तुति के आधार पर प्राप्त हुआ, PMLA की धारा 2(1)(v) के तहत 'संपत्ति' (property) है, जबकि उससे उत्पन्न वित्तीय लाभ धारा 2(1)(u) के तहत 'अपराध से प्राप्त आय' है। PIL द्वारा इन लाभों का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध को स्थापित करता है। अतः ED द्वारा जारी कुर्की आदेश विधिसम्मत है।”

    यह मामला चोटिया कोल ब्लॉक के आवंटन से संबंधित था, जो 4 सितंबर 2003 को प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पक्ष में किया गया था।

    बाद में यह आवंटन सुप्रीम कोर्ट के मनोज कुमार शर्मा बनाम प्रिंसिपल सेक्रेटरी फैसले के तहत रद्द कर दिया गया।

    इससे पहले CBI ने 7 अप्रैल 2010 को FIR दर्ज की थी, जिसमें PIL पर झूठी जानकारी और दस्तावेज़ देकर आवंटन प्राप्त करने तथा कोयले के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था। हालांकि, हाईकोर्ट ने 5 सितंबर 2014 को FIR और चार्जशीट रद्द कर दी थी।

    इसके बाद 2 दिसंबर 2016 को दूसरी FIR दर्ज की गई, और 23 जनवरी 2020 को CBI ने धारा 120B व 420 IPC के तहत आरोपपत्र दाखिल किया।

    ED की कुर्की कार्रवाई इन्हीं आरोपों पर आधारित थी कि आवंटन का उपयोग अवैध खनन, कोयले की बिक्री और उससे अर्जित राशि से संपत्ति खरीदने के लिए किया गया।

    एकल न्यायाधीश ने 1 दिसंबर 2021 के कुर्की आदेश और 13 जनवरी 2022 के शो कॉज नोटिस को रद्द कर दिया था, यह कहते हुए कि “कोयला आवंटन” को PMLA के तहत संपत्ति नहीं माना जा सकता।

    खंडपीठ ने अब उस फैसले को पलटते हुए ED की कार्रवाई को सही ठहराया है।

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