दिल्ली हाईकोर्ट ने NDPS मामलों की जांच करते समय टेक्नोलॉजी के उपयोग का सुझाव दिया, कहा- इससे 'निष्पक्षता' सुनिश्चित होती है

Amir Ahmad

6 Jun 2025 11:45 AM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने NDPS मामलों की जांच करते समय टेक्नोलॉजी के उपयोग का सुझाव दिया, कहा- इससे निष्पक्षता सुनिश्चित होती है

    दिल्ली हाईकोर्ट ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 (NDPS Act) के तहत मामलों की जांच करते समय टेक्नोलॉजी के उपयोग पर विचार किया।

    जस्टिस रविंदर जुडेजा ने कहा कि ऐसे मामलों में प्रौद्योगिकी के उपयोग से पुलिस जांच की प्रभावकारिता और पारदर्शिता बढ़ती है और निष्पक्षता सुनिश्चित होती है।

    यह देखते हुए कि NDPS Act के तहत दर्ज किए गए मामले में बरामदगी का कोई स्वतंत्र सार्वजनिक गवाह नहीं था और इसकी कोई तस्वीर या वीडियोग्राफी नहीं है, न्यायालय ने कहा,

    “टेक्नोलॉजी का उपयोग निश्चित रूप से पुलिस जांच की प्रभावकारिता और पारदर्शिता को बढ़ाता है और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। आदर्श रूप से जांच एजेंसी द्वारा जांच में सहायता के लिए तकनीकी साधनों का उपयोग करने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। हालांकि ऐसी स्थितियां हो सकती हैं, जहां ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग वर्तमान मामले की तरह संभव न हो।”

    अदालत ने NDPS Act की धारा 15, 25 और 29 के तहत दर्ज मामले में इमरान अली नामक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। अली से बरामद एक बोरे से 10.860 किलोग्राम पोस्त बरामद किया गया। सह-आरोपी से बरामद बोरे में 11.870 किलोग्राम पोस्त था। उनकी निशानदेही पर एक घर से पांच और बोरे बरामद किए गए जिनमें पोस्त का भूसा भरा था जिनकी कुल मात्रा 54.640 किलोग्राम थी।

    अली का कहना था कि वाहन या किराए के आवास की तलाशी के लिए कोई सर्च वारंट नहीं लिया गया था और NDPS Act की धारा 42 के प्रावधानों का पालन न करने के मद्देनजर कथित बरामदगी अवैध थी। यह प्रस्तुत किया गया कि बरामदगी भीड़भाड़ वाली जगह से की गई लेकिन मौके पर की गई तलाशी और जब्ती की कार्यवाही में आम लोगों के साथ शामिल होने या वीडियोग्राफी करने का कोई ईमानदार प्रयास नहीं किया गया। यह भी प्रस्तुत किया गया कि सह-आरोपियों को समन्वय पीठ द्वारा जमानत दी गई थी अली भी समानता के आधार पर जमानत दिए जाने का हकदार है।

    कहा गया कि स्वतंत्र गवाहों की अनुपस्थिति और वीडियोग्राफी को तलाशी में एक प्रमुख अनियमितता माना जा सकता है। इससे अदालत पर तलाशी से संबंधित साक्ष्यों की अधिक सावधानी से जांच करने का अतिरिक्त कर्तव्य आ जाएगा।

    अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि अली से बरामद प्रतिबंधित पदार्थ की संयुक्त मात्रा कमर्शियल मात्रा की श्रेणी में आती है और NDPS Act की धारा 37 के तहत कठोर प्रावधान लागू होंगे।

    इसके अलावा अदालत ने कहा कि सह-आरोपियों को जमानत पर रिहा किया गया था लेकिन उनका मामला अलग था क्योंकि वे NDPS Act के तहत किसी अन्य मामले में शामिल नहीं थे, लेकिन अली NDPS Act के तहत दो और मामलों में शामिल था।

    अदालत ने कहा

    "याचिकाकर्ता 17.08.2023 से हिरासत में है। यह नहीं कहा जा सकता कि वह बहुत लंबे समय से सलाखों के पीछे है या मुकदमे के समापन में अत्यधिक देरी के कारण उसे जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। उसकी हिरासत की अवधि या यह तथ्य कि आरोप पत्र दायर किया गया और मुकदमा शुरू हो गया, अपने आप में पर्याप्त विचार नहीं हैं, जिन्हें NDPS Act की धारा 37 के तहत याचिकाकर्ता को राहत देने के लिए एक ठोस आधार माना जा सकता है।"

    टाइटल: इमरान अली @ समीर बनाम दिल्ली राज्य एनसीटी

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