दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला हॉस्टल में की गई छापेमारी के विरोध में JNU स्टूडेंट के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही रद्द की

Shahadat

16 May 2025 10:40 AM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला हॉस्टल में की गई छापेमारी के विरोध में JNU स्टूडेंट के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही रद्द की

    दिल्ली हाईकोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की स्टूडेंट के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही रद्द की, जिसने 2017 में महिला हॉस्टल में की गई कथित अवैध छापेमारी के विरोध में कार्यवाही शुरू की थी।

    जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने 23 अप्रैल, 2018 को अदिति चटर्जी के खिलाफ जारी कारण बताओ नोटिस, साथ ही 14 मई, 2018 के कार्यालय आदेश और सभी परिणामी कार्यवाही यह कहते हुए रद्द कर दी कि वे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं।

    न्यायालय ने उस निर्णय को भी रद्द कर दिया, जिसके तहत उस पर 60,000 का जुर्माना लगाया गया था।

    यह आरोप लगाया गया कि अक्टूबर, 2017 में यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर और मुख्य प्रॉक्टर ने महिला हॉस्टल में अवैध रूप से छापेमारी की थी, जिसके खिलाफ चटर्जी और अन्य स्टूडेंट ने अपना विरोध जताया था। यह भी आरोप लगाया गया कि उक्त छापे महिला हॉस्टल में निजता का उल्लंघन हैं।

    उनका कहना था कि मुख्य प्रॉक्टर द्वारा उनके खिलाफ जांच कार्यवाही में न तो शिकायत की प्रति और न ही दर्ज किए गए बयानों के रूप में कोई सहायक सामग्री उन्हें प्रदान की गई। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें गवाहों से सवाल पूछने का कोई अवसर नहीं दिया गया।

    याचिका का निपटारा करते हुए न्यायालय ने कहा कि जब प्रशासनिक कार्यों की न्यायिक पुनर्विचार की बात आती है तो न्यायालय अपील में नहीं बैठता है और प्रशासनिक अधिकारियों के निर्णय को अपने निर्णय से प्रतिस्थापित नहीं कर सकता है।

    न्यायालय ने कहा,

    "प्रशासनिक निर्णय में हस्तक्षेप तब कहा जाता है, जब निर्णय अनुचित प्रक्रिया का परिणाम होता है। न्यायिक पुनर्विचार को अनिवार्य करने वाले कुछ आधार अवैधता, तर्कहीनता और प्रक्रियात्मक अनुचितता हैं।"

    यह निष्कर्ष निकाला कि यह स्पष्ट था कि वर्तमान मामले में अधिकारियों द्वारा ऑडी अल्टरम पार्टम के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया।

    न्यायालय ने कहा कि नोटिस के साथ शिकायत की प्रति नहीं दी गई तथा चटर्जी को मुख्य सुरक्षा

    कार्यालय की रिपोर्ट या सुरक्षा कर्मियों के बयान उपलब्ध नहीं कराए गए, जिससे उन्हें अपना बचाव तैयार करने तथा उनके विरुद्ध लगाए गए आरोपों का जवाब देने का उचित अवसर नहीं मिल पाया।

    न्यायालय ने कहा,

    "याचिकाकर्ता को 07.11.2017 को पहली बार शिकायत देखने की अनुमति दी गई, जब वह मुख्य प्रॉक्टर के समक्ष उपस्थित हुई, जो प्रतिवादियों द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया की अनुचितता को फिर से उजागर करता है।"

    केस टाइटल: अदिति चटर्जी बनाम जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी एवं अन्य।

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