अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका हाईकोर्ट में खारिज

Shahadat

28 March 2024 8:03 AM GMT

  • अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका हाईकोर्ट में खारिज

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तार किए गए अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका गुरुवार को खारिज कर दी।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और स्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।

    यह याचिका दिल्ली निवासी सुरजीत सिंह यादव ने दायर की थी, जो खुद को किसान और सोशल एक्टिविस्ट बताते हैं। उन्होंने दावा किया कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

    केजरीवाल फिलहाल ED की हिरासत में हैं।

    यादव ने जनहित याचिका में कहा कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होगी और न्याय की प्रक्रिया बाधित होगी, बल्कि राज्य में संवैधानिक मशीनरी भी ध्वस्त हो जाएगी, क्योंकि केजरीवाल से उनके कारावास के कारण भारत के संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 के अधिकांश अंग संतुष्ट नहीं हैं।

    याचिका में कहा गया,

    "प्रतिवादी नंबर 4 ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया। चूंकि वह हिरासत में है, इसलिए उन्होंने लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम कर लिया है। इस तरह उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बने रहना चाहिए।"

    गौरतलब है कि AAP के मंत्री मीडिया में बयान दे रहे हैं कि केजरीवाल अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे और जरूरत पड़ी तो जेल के अंदर से ही सरकार चलाएंगे।

    यादव ने दलील दी कि जेल में बंद मुख्यमंत्री किसी भी व्यवसाय को करने में असमर्थ होगा, जिसका कानून उसे आदेश देता है। यदि उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जाती है तो किसी भी सामग्री को, चाहे उसकी गोपनीय प्रकृति कुछ भी हो, जेल अधिकारियों द्वारा पहले पूरी तरह से स्कैन किया जाना चाहिए। केजरीवाल के हाथों तक पहुंचता है। इस तरह का कृत्य सीधे तौर पर संविधान की तीसरी अनुसूची के तहत सीएम को दिलाई गई गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन होगा।

    इसके अलावा, याचिका में कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के कामकाज का लेनदेन नियम, 1993 मुख्यमंत्री को कैबिनेट के किसी भी विभाग से फाइलें मंगाने का अधिकार देता है। अगर केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रहते हैं तो उन फाइलों की जांच की मांग करना उनके अधिकारों के दायरे में रहेगा, जिनमें उन्हें आरोपी बनाया गया।

    याचिका में कहा गया,

    "ऐसी स्थिति आपराधिक न्यायशास्त्र के लोकाचार के खिलाफ है।"

    यादव ने अदालत से क्वो वारंटो की प्रकृति में रिट जारी करने की प्रार्थना की, जिसमें केजरीवाल से जवाब देने को कहा गया कि वह किस अधिकार के तहत सीएम का पद संभाल रहे हैं और परिणामस्वरूप उन्हें हटा दें।

    यादव ने अन्य जनहित याचिका भी दायर की। उक्त याचिका में केजरीवाल को ED हिरासत में निर्देश या आदेश जारी करने से रोकने की मांग की गई। हालांकि, याचिका अभी सूचीबद्ध नहीं हुई।

    केस टाइटल: सुरजीत सिंह यादव बनाम भारत संघ और अन्य।

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